जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोरोना की दूसरी लहर लोगों के जीवन में विकराल रूप लेकर आई है। इस समय अधिकांश अपनों के खोने के गम से परेशान हैं, लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी से जीतने के लिए लोगों को दृढ़ संकल्प रखना होगा। क्योंकि कोरोना संक्रमित होने के बाद अगर व्यक्ति नकरात्मक में पहुंच जाता है।
वह जंग जीतने में भी पिछड़ जाता है। कोरोना वैश्विक महामारी से जंग जीतकर आए लोगों ने कुछ इस प्रकार अपनी बातें साझा की और अपना दर्द बयां किया।
अपने आपको रखो सकारात्मक
अपर जिलाधिकारी राजस्व वित्त के पद पर कार्यरत सुभाष चंद प्रजापति पत्नी समेत 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हो गए थे। संक्रमण के दौरान उन्होंने खुद व पत्नी सरिता को होम आइसोलेट कर लिया। सुभाष चंद के तीन बेटिया और एक बेटा है।
उन्होंने बताया कि संक्रमित होने के बाद मुझे और मेरी पत्नी को डर था कि कही हमारे बच्चे न संक्रमित हो जाए। मगर सरिता ने हिम्मत दिखाते हुए बच्चों को सकारात्मक रहने के लिए प्रेरित किया। वहीं कुछ समय पहले मां का आॅपरेशन हुआ था और वह बेड पर थी, लेकिन बड़ी बेटी खुशी की मदद से सरिता ने परिवार को भी संभाला और कोरोना से भी मुझे बाहर निकालने में मदद की।
डॉक्टर की सलाह से दवा ली और योगा भी किया। सुभाष चंद बताते है कि कोरोना से जंग जीतनी है तो अपने आपको सकारात्मक रखना बेहद जरूरी होता है।
अपनों का साथ होता है जरूरी
स्वाति बताती है कि कोरोना संक्रमित होने पर जरूरी है कि अपने साथ रहे। देखने में आ रहा है कि कोरोना होने के बाद लोग उस व्यक्ति को भयभीत कर देते हैं जो संक्रमित होता है।
ऐसा नहीं करना चाहिए। स्वाति बताती है कि कोरोना होने पर मां ने पूरा सहयोग किया और मैंने योगा आदि के माध्यम से कोरोना से जंग जीत ली। इसमें जरूरी होता है कि डॉक्टर की समय-समय पर सलाह लेते रहे और गर्म पानी की भांप जरूर ले उससे कोरोना संक्रमण बहुत जल्दी सही होता है।