Friday, April 19, 2024
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कैसे बनेगी युवतियां आईएएस, आईपीएस ?

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  • दावे विकास के पंख लगने के, लेकिन युवतियां आज भी झेल रही प्रताड़ना, हो रहीं उच्च शिक्षा से वंचित
  • दौराला और लावड़ क्षेत्र की युवतियों ने सुनाया अपना दुखड़ा, जनवाणी टीम की ग्राउंड रिपोर्ट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ/लावड़: उत्तर प्रदेश के आकांक्षी कस्बों में शामिल लावड़ बालिका शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ रहा है। कारण कस्बे में बालिकाओं की उच्च शिक्षा के लिए कोई उच्च शिक्षण संस्थान नहीं है। इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को स्नातक शिक्षा लेने के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।

कई मेधावी छात्राएं आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इतनी दूर शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ होती हैं, नतीजतन उन्हें मजबूर होकर पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है। इधर, दिन प्रतिदिन बढ़ रही आपराधिक घटनाएं अभिभावकों के लिए चिंता का कारण बनी हैं। लावड़ कस्बे के संभ्रांत नागरिक इलाके में एक डिग्री कॉलेज खोले जाने को जरूरी मानते हैं।

देहात क्षेत्र की प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार लाख प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इन प्रयासों पर दौराला और लावड़ क्षेत्र में पलीता लगता हुआ दिखाई दे रहा है। इस क्षेत्र की युवतियां आखिर कैसे आईएएस, आईपीएस और अन्य विभागों में अपना परचम लहराए? क्योंकि क्षेत्र में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद युवतियां आगे की पढ़ाई के लिए सोच-विचार करती है या फिर अपनी पढ़ाई पर अंकुश लगा देती है।

क्योंकि इसका मुख्य कारण क्षेत्र में डिग्री कॉलेज का न होना बना है। दौराला और लावड़ क्षेत्र आज के युग में भी शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि इन क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज का स्थापित न होना अब भयंकर समस्या बनता जा रहा है। क्योंकि इन क्षेत्रों की युवतियों को आगे की पढ़ाई के लिए महानगर जाना पड़ता है। इन क्षेत्रों से युवतियों को 25 किमी की दूरी को तय करना पड़ता है। इसके बाद वह आगे की शिक्षा ग्रहण करती है।

दादरी में डिग्री कॉलेज की अधूरी पड़ी बिल्डिंग

दादरी में युवतियों के डिग्री कॉलेज स्थापित करने के लिए सपा शासन काल में 2015-16 में लगभग 12 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। इस डिग्री कॉलेज को बनाने के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की पहली किस्त को भी मंजूरी मिल गई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में सत्ता का परिवर्तन होने के बाद से इस डिग्री कॉलेज को निर्माण बीच में ही लटक गया। अधर में लटका यह डिग्री कॉलेज अपनी पहचान खो गया है। सिर्फ आधी अधूरी बिल्डिंग ही खड़ी होकर रह गई है। अगर इस डिग्री कॉलेज को बनाने में सरकार प्रयास शुरू कर दे तो शायद इस क्षेत्र की बच्चियों के जीवन से खिलवाड़ नहीं होगा।

डिग्री कॉलेज हो स्थापित
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महलका एजुकेशन सेंटर की अंजली सैनी जोकि बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा है। उससे जनवाणी टीम ने बातचीत की तो उसका कहना है कि अगर लावड़ में डिग्री कॉलेज स्थापित हो जाए तो यहां की युवतियां शिक्षा से वंचित नहीं रह सकती है। सरकार को इस समय शिक्षा पर बेहद जोर देना चाहिए और यहां डिग्री कॉलेज स्थापित करना जरूरी चाहिए।

लहरा सकतीं हैं सफलता के झंडे
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कक्षा 12वीं की छात्रा निक्की का कहना है कि अगर डिग्री कॉलेज स्थापित हो जाए तो देहात की युवतियां सफलता के झंडे गाड़ देगी, लेकिन छात्राओं को सुविधाएं नहीं मिलेगी तो छात्राएं आईएएस और आईपीएस कैसे बनेगी? इसको लेकर युवतियां उच्चशिक्षा से वंचित रह जाती है। वह आगे पढ़ना चाहती है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के न होने से पढ़ाई को बीच में ही छोड़नी पड़ती है।

महानगर की दूरी 25 किमी
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कक्षा 12वीं की हिफजा रिजवी का कहना है कि लावड़ से महानगर की दूरी 25 किमी है। इस दूरी को तय करने में परिवार के लोग असुरक्षित महसूस करते हैं। अगर सरकार समय रहते डिग्री कॉलेज स्थापित करा दे तो शायद युवतियों के सपनों को पंख लग जाए और युवतियां भी अपने क्षेत्र का देश में नाम रोशन कर दे। जबकि कस्बा लावड़ इन सब सुविधाओं से वंचित है।

इंटरमीडिएट के बाद छोड़ देतीं है पढ़ाई
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महलका एजुकेशन सेंटर के मालिक शहजाद नसीर का कहना है कि लावड़ क्षेत्र में डिग्री कॉलेज का स्थापित होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यहां की युवतियां इंटरमीडिएट की शिक्षा के बाद या तो पढ़ाई छोड़ देती है या फिर महानगर जाकर संघर्ष करती है। अगर डिग्री कॉलेज स्थापित हो जाए तो यह समस्या ही समाप्त हो जाएगी।

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