- एनसीआरटीसी के अध्यक्ष और सचिव आवास ने निर्माण कार्य देखा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रविवार को आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय के सचिव एवं एनसीआरटीसी के अध्यक्ष मनोज जोशी ने एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय सिंह के साथ दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उनके निरीक्षण के शुरुआत सराय काले खां आरआरटीएस स्टेशन से हुई, जिसे सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों के साथ समेकित रूप से एकीकृत एक बड़े परिवहन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जोशी ने इस आरआरटीएस स्टेशन पर यातायात एकीकरण योजना और यात्रियों के मूवमेंट का अवलोकन किया, जहां आरआरटीएस के पहले चरण के सभी तीन आरआरटीएस कॉरिडोर एक साथ आ रहे हैं और आपस में इंटरआॅपरेबल होंगे।
अधिकारियों ने यमुना नदी पर आरआरटीएस पुल के लिए किए जा रहे निर्माण कार्य और आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन साइट का अवलोकन किया। एनसीआरटीसी के एमडी ने सचिव को इस बारे में अवगत कराया कि आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन को ‘कम्प्यूटर फर्स्ट’ दृष्टिकोण और कुशल मल्टीमॉडल एकीकरण को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जा रहा है।
यह भी बताया गया कि दिल्ली में चार टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम), कार्य करेंगी। दो टीबीएम आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर तथा दो आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर। पिछले महीने ही पहली टीबीएम (सुदर्शन 4.1) आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर के टनल निर्माण के लिए लॉन्च किया गया है।
सचिव ने आरआरटीएस कॉरिडोर के प्राथमिकता खंड पर बिजली आपूर्ति के लिए बनाए गए गाजियाबाद रिसीविंग सब स्टेशन (आरएसएस) की भी समीक्षा की। उन्होंने अत्याधुनिक प्रणालियों और परिष्कृत विद्युत उपकरणों की स्थापना का निरीक्षण किया। इसके अलावा जोशी ने गाजियाबाद आरआरटीएस स्टेशन साइट का दौरा किया, जो इस कॉरिडोर के 25 स्टेशनों में सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा होने का गौरव प्राप्त करेगा क्योंकि आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली मेट्रो के वायडक्ट और इस स्थान पर एक फ्लाईओवर को पार करता है।
सचिव ने गुलधर आरआरटीएस स्टेशन और उसके पास चल रहे ट्रैक बिछाने के कार्य का निरीक्षण किया। सचिव ने विभिन्न सुरक्षा और धूल-विरोधी उपायों सहित, विशेष रूप से प्राथमिकता खंड के निर्माण प्रगति की गति की सराहना की। सचिव को बताया गया कि 82 किमी लंबे कॉरिडोर के लिए वायडक्ट के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए 23वां लॉन्चिंग गैन्ट्री (तारिणी) को हाल ही में स्थापित किया गया है।
किसी भी शहरी परिवहन प्रणाली के निर्माण में इतने बड़े पैमाने पर संसाधनों की तैनाती देश में पहली बार की जा रही है। सचिव ने साइट पर कार्यरत इंजीनियरों से बातचीत की, 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद मेरठ कॉरिडोर के कार्यान्वयन में आ रही उनकी चुनौतियों को समझा।