राहुल गांधी के खिलाफ असम में एक एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह एफआईआर गुवाहटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में एक वकील मनजीत चेतीया ने दर्ज कराई है। एफआईआर में मनजीत चेतिया ने कहा है कि 15 जनवरी को नई दिल्ली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक सार्वजनिक बयान दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि अब हम भाजपा, आरएसएस और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक मंच पर दिया गया यह बयान कोई साधारण बयान नहीं है। मनजीत चेतिया का आरोप है कि राहुल गांधी की यह टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा से परे चली गई है। ऐसी टिप्पणी सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। क्योंकि राहुल गांधी ने यह घोषणा की है कि उनकी लड़ाई स्वयं इंडियन स्टेट के खिलाफ है। गौरतलब है कि नए कांग्रेस मुख्यालय का उद्घाटन करते हुए राहुल गांधी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर टिप्पणी कर रहे थे जिसमें मोहन भागवत ने कहा था कि भारत 1947 को स्वतंत्र हो गया था लेकिन उस स्वतंत्रता को प्रतिष्ठा उस दिन मिली जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई। मोहन भागवत के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी ने कई सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि हम भाजपा, आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।
राहुल गांधी की इसी टिप्पणी को एफआईआर का आधार बनाया गया है। इस देश के संविधान ने भारत के सभी लोगों को यह अधिकार दिया हुआ है कि वे कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर किसी पर भी एफआईआर करा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी का यह बयान वास्तव में सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता हैै? जिस मुख्य शब्द पर आपत्ति जताई रही है वह है इंडियन स्टेट। यानी उन्होंने कहा है कि हम खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। केवल शब्दों के आधार पर यह निर्धारित नहीं किया जा सकता कि जिस व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है उसकी भावना सही नहीं है। उस व्यक्ति की भावना देखने के लिए उसके आचरण को भी देखना होगा। राहुल गांधी द्वारा इंडियन स्टेट से लड़ने की बात कहने पर भारतीय जनता पार्टी उन पर हमलावर है। सच्चाई तो यह है कि आज भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा डर राहुल गांधी से लगता है। इसलिए वह राहुल गांधी पर हमलावर होने का कोई भी मौका चूकना नहीं चाहती है। असली सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी के बयान का भाव समझना चाहती है या फिर उनके शब्दों पर हमलावर होना चाहती है? जाहिर है राहुल गांधी के बयान का भाव समझना भारतीय जनता पार्टी के लिए घाटे का सौदा है, इसलिए उनके प्रति हमलावार होना ही भाजपा को ज्यादा सही लगता है। राहुल गांधी का कहने का अर्थ था कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस ने देश के सारे संस्थानों पर कब्जा कर लिया है और इडिंयन स्टेट की सारी ताकतों को खुद में सामाहित कर लिया है। इसलिए हम इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।
सवाल यह है कि इंडियन स्टेट का अर्थ क्या है? क्या इंडियन स्टेट का अर्थ इंडियन नेशन ही है? दरअसल राहुल गांधी ने इंडियन नेशन या इंडियन रिपब्लिक का प्रयोग नहीं किया है। उन्होंने इंडियन स्टेट शब्द का प्रयोग किया है। इसका मोटा सा अर्थ है भारत सरकार। भारत की तमाम संस्थाए और सरकार मिलकर जो इंडियन स्टेट बनाते हैं, इन पर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का कब्जा हो गया है, हम इस इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। क्या राहुल गांधी देश के खिलाफ कोई काम कर रहे हैं? यदि उन्होंने कह दिया हम इंडियन स्टेट के खिलाफ लड़ रहे हैं तो क्या वह देश के खिलाफ लड़ रहे हैं? इस देश का कोई भी सच्चा नागरिक देश के खिलाफ कैसे लड़ सकता है। राहुल गांधी की गलती यह है कि वे धारदार तरीके से सत्ता पर हमला बोल रहे हैं। राहुल गांधी की गलती यह है कि वे लगातार सांप्रदायिकता, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर सत्ता से सवाल पूछ रहे हैं। राहुल गांधी लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि इस देश में मुसलमानों को दोयम दर्जें का नागरिक क्यों बना दिया गया? राहुल गांधी सवाल पूछ रहे हैं कि क्यों मुसलमानों की देशभक्ति पर शक किया जाता है? राहुल गांधी सवाल पूछ रहे हैं चुनाव आयोग क्यों सत्ता की कठपुतली बन कर रह गया है? राहुल गांधी सवाल पूछ रहे हैं कि चुनाव आयोग क्यों हमारे सवालों का जवाब नहीं देता है? अगर इन सवालों को पूछना ही इंडियन स्टेट से लड़ने के अर्थ में प्रयोग किया जा रहा है तो निश्चित रूप से राहुल गांधी को जेल में होेना चाहिए?
जो लोग भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को पसन्द करते हैं, उन्होंने अपने मन में राहुल गांधी के प्रति इतनी नफरत पैदा कर ली है उन्हें राहुल गांधी देशद्रोही दिखाई देते हैं। जब राहुल गांधी के प्रति हमारे मन में नफरत भरी होगी तो हम राहुल गांधी को नफरत भरी दृष्टि से अलग कैसे देख पाएंगे? मैं राहुल गांधी या कांग्रेस का प्रवक्ता नहीं हूं। कांग्रेस या फिर राहुल गांधी दूध के धुले हुए नहीं हैं। राहुल गांधी में हजार कमियां हो सकती हैं। लेकिन इस देश की व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए यदि एक पूर्वाग्रह के तहत हम राहुल गांधी के प्रति अपने दिल में नफरत पैदा करके न ही तो देश के साथ न्याय कर पाएंगे और न ही राहुल गांधी के साथ न्याय कर पाएंगे।
जिस देश में लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गाली दे सकते हैं उस देश में ऐसे लोगों के लिए राहुल गांधी क्या चीज हैं? ऐसे कई लोग हैं, जो महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानने से ही इंकार कर देते हैं। जाहिर है हम हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति कर भारतीय जनता पार्टी को एक ऐसी पार्टी मान लेते हैं, जिसमें कोई अवगुण नहीं है। मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए मोदी जी और योगी जी की जयकार करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में जब राहुल गांधी सत्ता से सवाल पूछेंगे तो वे हमें देशद्रोही ही दिखाई देंगे। लेकिन अपने दिल में नफरत पैदा कर जिस उज्जवल भविष्य का स्वप्न देख रहे हैं, वह ऐसे साकार नहीं होगा। निश्चित रूप से राहुल गांधी एक राजनेता हैं और वह भी राजनीति कर रहे हैं लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या इस देश की राजनीति आम आदमी के पक्ष में है या नहीं।
पूरे भारत को खोदकर भारत का गौरव वापस लाने का स्वप्न देखने वाली भारतीय जनता पार्टी क्या वास्तव में भारत का गौरव लौटा सकती है। निश्चित रूप से राहुल गांधी की आलोचना कीजिए। लेकिन इस आलोचना के पीछे आपका मकसद क्या है, यह भी सुनिश्चित करना होगा। जो लोग राहुल गांधी को देश का सबसे बड़ा दुश्मन सिद्ध करने पर तुले हैं, उन्हें भी एक बार जरूर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। यह किसी से छिपा नहीं है कि राहुल गांधी की छवि खराब करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया है। यह पैसा नफरत की अंधी सुंरग को और काला ही करेगा। एक ऐसी सुरंग जिससे बाहर निकलने का रास्ता हमें कभी दिखाई नहीं देगा। यह हमें सुनिश्चित करना है कि हमें नफरत की अंधी सुरंग में प्रवेश करना है या फिर खुले आकाश में उड़ना है?