- न्यूटिमा पर डाक्टरों ने रालोद और कांग्रेस द्वारा अतुल के आंदोलन को समर्थन नहीं देने पर जताया था आभार
- दोपहर बाद कांग्रेस नेत्री पूनम पंडित और रालोद जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ धरना स्थल पर पहुंचे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सपा विधायक अतुल प्रधान का कलक्ट्रेट पर दूसरे दिन भी आमरण अनशन जारी रहा। सोमवार को देर रात तक न्यूटिमा अस्पताल पर सीलिंग की कार्रवाई मंगलवार सुबह होने की खबर के चलते आमरण अनशन समाप्त होने की चर्चा चलती रही, लेकिन जैसे ही मंगलवार को सीलिंग की कार्रवाई अधर में लटकने की सूचना सपाइयों को मिली तो उनकी संख्या आमरण अनशन स्थल पर बढ़ने लगी।
रालोद और कांग्रेस द्वारा अतुल के आंदोलन को समर्थन नहीं देने की बात कहते हुए कुछ डाक्टरों ने दोनों ही पार्टियों का आभार जताया, लेकिन दोपहर बाद कांग्रेस नेत्री पूनम पंडित व रालोद जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ ने अतुल प्रधान के आमरण अनशन को पार्टी की तरफ से आमरण अनशन को समर्थन पत्र सौंपा।
आमरण अनशन पर हनुमान चालीसा/सुंदरकांड का पाठ भी किया गया। सपा विधायक ने लोगों को राहत दिलाने के लिए निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई। शहर के निजी अस्पतालों में लोगों के शोषण पर कार्रवाई की मांग को लेकर अतुल प्रधान ने कहा कि वह आम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। बिना मानक के चल रहे निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। वह अपने मुकदमे वापसी के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं।
वह गरीब जनता की जायज लड़ाई के लिए आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। कुछ डाक्टरों की मनमानी से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री रामकुमार शर्मा के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने डीएम दीपक मीणा से मिलकर निजी अस्पतालों में बेड, कमरे, आईसीयू, एंबुलेंस, दवा बिक्री आदि मानकों की जांच की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। उधर, देर शाम तक कोई वार्ता के लिए अधिकारी नहीं पहुंच सका।
जनता का मिलेगा भरपूर समर्थन
आमरण अनशन के दौरान कभी वक्ता अपनी बात रखते हैं तो कभी अतुल प्रधान। इस दौरान कुछ वक्ताओं ने कहा कि अतुल प्रधान का जिस तरह से लगातार समर्थन बढ़ता जा रहा है। उन्हें आगामी लोकसभा में चुनाव लड़ना चाहिए। इस दौरान कुछ वक्ताओं ने कहा कि यदि सांसद अतुल प्रधान बन गए तो सरधना विधानसभा सीट पर उनकी पत्नी को विधायक का चुनाव जिताया जायेगा।
काले चिट्ठों की किताब छपवाकर बटवा दूंगा
अतुल प्रधान ने कहा कि जो लोग उनकी संपत्ति की जांच कराने की बात कर रहे हैं, वह उनकी मांग का समर्थन करते हैं। वह चाहते हैं कि सभी की समंपत्ति की जांच होनी चाहिए। उनके खाते में आज भी तीन लाख रुपये पडेÞ हैं। उनको करीब सवा लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। उनको जनता चुनाव लड़ाती है। वह जल्द ही नेताओं के काले चिट्ठों की किताब छपवाकर बटवा देंगे, तब जाकर उन्हें पता चलेगा कि आय से अधिक संपत्ति किसके पास है।
शहर विधायक का नाम लिए बगैर कसा तंज
कलक्ट्रेट में अतुल के आमरण अनशन के दौरान कुछ वक्ताओं ने शहर विधायक रफीक अंसारी का नाम लिए बिना उन पर तल्ख टिप्पणी कर दी। जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें ऊर्जा भवन पर प्रदर्शन के लिए तो समय है, लेकिन उन्हें उसके अतिरिक्त कुछ और दिखाई नहीं देता, जबकि वास्तविक बुनकर समाज की लड़ाई सपा विधायक अतुल प्रधान के द्वारा लड़ी गई है।
सपा विधायक का समर्थकों ने मनाया जन्मदिन
सपा विधायक अतुल प्रधान स्वास्थ्य विभाग में कुछ चिकित्सिक एवं अस्पतालों पर लूट का आरोप लगाते हुए कलक्ट्रेट में सोमवार से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। मंगलवार को अतुल प्रधान का जन्मदिन था। इस दौरान समर्थक अतुल प्रधान के आमरण अनशन पर बैठे होने के बावजूद केक लेकर जा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केक काटकर अतुल प्रधान का जन्मदिन मनाया, लेकिन आमरण अनशन पर बैठने के कारण अतुल प्रधान अपने ही जन्मदिन पर केक नहीं खा सके।
इनकी दूरी पर सवाल, सिर्फ पद पाने में आगे
सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान जनहित में आमरण-अनशन पर कलक्ट्रेट में बैठे हैं। दो दिन से आंदोलित हैं। रालोद और कांग्रेस ने भी उनको समर्थन का ऐलान कर दिया हैं, लेकिन सपा की सत्ता के दौरान जो नेता राज्यमंत्री का दर्जा पाने की होड में दौड़ लगाते थे, वो कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। देखा जाए तो उनका राजनीतिक अस्तित्व है ही नहीं, एक तरह से उनकी गिनती वोट काटने वालों में हो रही हैं। सपा की छवि भी ऐसे दर्जा मंत्रियों की फौज ने खराब की हैं, जिसके चलते सपा मुखिया को ये सब भुगताना पड़ रहा हैं।
क्योंकि राज्यमंत्री का दर्जा पाने के बाद ऐसे नेताओं की गाड़ी थाने में जाकर खड़ी हो जाती थी, जिसके चलते सपा की छवि को झटका लगता था। वर्तमान में ऐसे राजनीति अस्तित्व खो चुके नेताओं की नींद अभी नहीं टूटी हैं। पार्टी के चल रहे आमरण-अनशन से ऐसे नेताओं ने किनारा कर लिया हैं। अस्पतालों का मामला पूर्व मुख्यमंत्री अखिेलश यादव भी लखनऊ विधानसभा में ये मामला उठा चुके हैं। इसके बाद ही अतुल प्रधान कलक्ट्रेट में आमरण-अनशन पर बैठ गए हैं।
सपा के दर्जा मंत्री रहे राजपाल सिंह, मोहम्मद अब्बास, मुकेश सिद्धार्थ, फारुख हसन, छोटा अय्यूब, हाजी इसरार सैफी आदि सपा के ऐसे नेता है, जिन्होंने सपा विधायक अतुल प्रधान के आमरण-अनशन से किनारा किया। वर्तमान में सपा अस्तित्व के लिए तड़प रही ही हैं, लेकिन इस दौरान भी ये वोट काटने वाले नेता कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। पहले तो कोई आंदोलन सपा कर नहीं रही हैं, यदि अतुल प्रधान ने आंदोलन खड़ा कर दिया है
तो उससे सपा के ही कुछ नेता किनारा कर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसमें भी सपा के कुछ नेता राजनीति तलाश रहे हैं। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, फिर भी सपा नेता आपस में ही उलझे हुए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव क्या खाक लड़ पाएंगे, जब इस आंदोलन में भी पार्टी के नेता एकजुट नहीं हैं। सपा नेताओं में ये बिखराव बता रहा है कि पार्टी के भीतर नेताओं के बीच बड़ी खींचतान चल रही हैं।