- न्यूटिमा को लेकर जबरदस्त फजीहत, धरे रहे गए दावे और तैयारियां
- न्यूटिमा पर जमा हुए शहर भर के डाक्टरों ने बोला जोरदार हमला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, मेडा के जो अफसर चंद घंटे पहले ताव देते हुए गढ़ रोड स्थित न्यूटिमा की खामियां गिनाते नहीं थक रहे थे, उसको सील किए जाने की बात कर रहे थे, दिन निकलते-निकलते वो तमाम अफसर यूटर्न लेते नजर आए। सुबह करीब 10 बजे खबर मिली कि कार्रवाई टाल दी गयी। न्यूटिमा सील नहीं किया जाएगा। आगे और 15 दिन की मियाद बढ़ा दी गयी है। वहीं, न्यूटिमा पर सील की कार्रवाई के लिए मेडा इंजीनियर सुबह नौ बजे आफिस गए थे। अचानक उन्हें बताया गया कि सील की कार्रवाई नहीं की जाएगी। एक तरह से मेडा बैकफुट पर आ गया।
रात गुजारी जाग कर
न्यूटिमा को सील किए जाने की खबर सोमवार की मिल गयी थी। यह खबर मिलते ही आईएमए और मेरठ हॉस्पिटल एसोसिएशन के तमाम पदाधिकारी टेंशन में आ गए थे। उन्होंने आनन-फानन में इमरजेंसी मीटिंग तलब कर ली। साथ ही तय किया कि किसी भी कीमत पर सील नहीं लगने देंगे और उन्होंने जो कहा वो कर भी दिखाया। हालांकि डाक्टरों ने पूरी रात जागकर गुजारी। वहीं, दूसरी ओर जिन अफसरों ने डाक्टरों को ना कर दिया था, वो आज सुबह तमाम कोशिशों के बाद भी सामने आकर बात करने को तैयार नहीं थे।
डाक्टरों ने दिखाई ताकत
हालांकि डाक्टरों को सुबह 10 बजे न्यूटिमा पहुंचने को कहा गया था, लेकिन तनाव इतना ज्यादा था कि न्यूटिमा के संचालक समेत शहर के करीब 100 से ज्यादा डाक्टर सुबह नौ बजे से न्यूटिमा पहुंचने शुरू हो गए थे। 10 बजते-बजते यह संख्या 500 के पार जा पहुंची थी। मंच सजा हुआ था। इस मंच से जोरदार हमला बोला। हमले की कमान आईएमए के अध्यक्ष डा. संदीप जैन, मेरठ हॉस्पिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. शिशिर जैन, ग्रिवेन्स कमेटी के डा. जेबी चिकारा, डा. संदीप आदि ने संभाली।
उसके बाद जिसके हाथ भी माइक लगा, उन्होंने पूरी ताकत के साथ हमला बोला। हमला बोलने वाले डाक्टरों का कहना था कि उनकी कमाई तो सभी दिखती है, लेकिन खर्च किसी को नहीं दिखता। कितनी मेहनत कर डाक्टर बने हैं, यह किसी को नजर नहीं आता। जितनी फीस लेते हैं उसका तीस से चालिस फीसदी तमाम तरह के टैक्स के रूप में सरकार को देते हैं।
जय श्रीराम और भाजपा की वंदना
न्यूटिमा के मंच से हमलावर कई डाक्टर हमला बोलते हुए शायद यह भूल गए कि वो डाक्टर हैं। इनमें डा. संदीप भी थे। उन्होंने तो आवेश में आकर यहां तक कह दिया कि वह भाजपाई हैं और अंध भक्त भी हैं। वह भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। भाजपा को वोट देते हैं। कुछ डाक्टरों ने पूरा माहौल और न्यूटिमा के मंच को चुनावी मंच में तब्दील कर रख दिया।
उनकी मंशा इसके पीछे क्या थी यह किसी से छिपा नहीं। लेकिन उन्होंने बजाए अपनी बात रखने के लिए भाजपाइयों की शान में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए। डाक्टरों का भाषण राजनीतिक था, सो उनके समर्थन करने पहुंचे बाकि डाक्टर भी पूरी तरह से कार्यकर्ताओं की तरह उनके भाषण पर ताली पीटते नजर आए। करीब तीन घंटे तक यह सब चलता रहा।
एम्बुलेंस मेडिकल लौटी
सील की कार्रवाई के चलते न्यूटिमा में भर्ती मरीजों को शिफ्ट करने के लिए सुबह आठ बजे से एम्बुलेंस पहुंचनी शुरू हो गई थी। सड़क के दोनों ओर एम्बुलेंस की कतार लग गयी थी, लेकिन करीब 11.30 बजे अचानक सभी एम्बुलेंस वहां से लौटने लगीं। इनमें से ज्यादातर एम्बुलेंस मेडिकल से भेजी गयी थीं। गढ़ रोड से यूटर्न लेकर ये तमाम एम्बुलेंस वापस मेडिकल के गेट में एंट्री कर गयीं। न्यूटिमा में सील की खबर के बाद बड़ी संख्या में प्राइवेट एम्बुलेंस भी न्यूटिमा के बाहर पहुंची थीं, लेकिन जब साफ हो गया कि सील की कार्रवाई टाल दी गयी है तो प्राइवेट एम्बुलेंस चालक भी वापस लौट गए।
तीमारदार ले गए मरीज
मंगलवार सुबह जब अखबारों में न्यूटिमा को लेकर खबरें पढ़ी तो अनेक तीमारदार अपनी गाड़ियों से मरीजों डिस्चार्ज कराकर न्यूटिमा से ले गए। एक ओर तो मंच पर डाक्टरों का भाषण चल रहा था तो दूसरी ओर तीमारदार अपने मरीजों डिस्चार्ज करा-कराकर ले जा रहे थे। हालांकि दोपहर करीब 12 बजे यह साफ हो गया था कि अब सील नहीं लगायी जाएगी, लेकिन उसके बाद भी कई मरीजों को परिजनों द्वारा डिस्चार्ज कराने का सिलसिला लगातार जारी रहा।
स्टैंडबाई पर मेडिकल
मेडिकल प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता ने बताया कि सीएमओ का लेटर मिलने के बाद से सभी हम पूरी तरह से तैयार थे। आपात स्थितियों के लिए मेडिकल 24 घंटे स्टैंडबाई पर रहता है।
कुछ समय दिया
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि न्यूटिमा संचालकों को कुछ समय दिया गया है। कई बार क्रिटिकल मरीज को एकदम शिफ्ट किए जाने से उसकी जान को खतरा भी पैदा हो जाता है। मरीजों की सुरक्षा व उनके जीवन को देखते हुए समय दिया है।
मिलीभगत उजागर
सपा विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि न्यूटिमा संचालकों और अफसरों की मिलीभगत उजागर हो गयी है। अफसर बातचीत की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन जहां सच्चाई ना हो, ऐसी स्थिति में बातचीत बेमानी है। अफसरों ने सील की कार्रवाई इसलिए टाली है ताकि अतुल प्रधान को इसका श्रेय न मिले, लेकिन अतुल प्रधान अपने श्रेय नहीं गरीब लोगों के साथ की जा रही लूट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
प्रशासन से बैर नहीं, अतुल की खैर नहीं
न्यूटिमा पर सील लगाए जाने के एलान को लेकर भड़के डाक्टर जब हमलावर थे प्रशासन के खिलाफ कुछ भी बोलने से पूरा परहेज बरता जा रहा था। उनके हमले के केंद्र पर केवल और केवल विधायक अतुल प्रधान रहे। डा. संदीप ने तो विधायक की संपत्ति की जांच तक कराए जाने की मांग कर डाली, वहीं दूसरी ओर कुछ डाक्टरों ने उगाही जैसे संगीन आरोप लगा डाले। कुछ कहना था कि जो लोग डाक्टरों की कमाई पर अंगुली उठा रहे हैं। उनकी भी संपत्ति की जांच करायी जानी चाहिए।
चुनाव में उतरने से पहले कितनी संपत्ति थी और चुनाव जीतने के बाद उनकी संपत्ति कितनी हो गयी, यह सब जांच की बातें हैं। कुछ डाक्टरों का कहना था कि वो तो सेवा कर रहे हैं, उसके बाद भी उन पर गंभीर आरोपों का लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दौरान प्रशासन के खिलाफ किसी ने एक शब्द नहीं बोला। बात-बात में डा. संदीप ने यहां तक कहा दिया कि प्रशासन या किसी दूसरे अफसर के खिलाफ यदि कुछ बोलेंगे तो अफसर कहेंगे कि एक ओर तो प्रशासन साथ दे रहा है दूसरी ओर हम उनके ही खिलाफ बोलेंगे।
दरअसल, जनवाणी संवाददाता न्यूटिमा संचालक डाक्टर से पूरे प्रकरण पर वीडियो के लिए उनकी बाइट लेने के लिए गए थे। तभी उनके मुंह से निकला कि यदि कुछ गलत निकल गया तो प्रशासन के अधिकारी कहेंगे कि जब हम साथ दे रहे हैं तो फिर क्या जरूरत है कुछ भी बोलने की।