बदहाली पर आ जाएगा रोना, उपेक्षा के शिकार हैं ग्रामीण अस्पताल
बड़ी आबादी पर बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के हालत, कहीं कूड़ा तो कहीं जानवरों का बसेरा
मनोज राठी |
इंचौली: उत्तर प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है। उन खोखले दावों की हकीकत बयां करता है कस्तला शमशेर नगर गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। कोई भी यह तय कर सकता है कि ये अस्पताल कैसे इस महामारी काल में मरीजों का इलाज कर सकता है।
डीएम साहब ! बीमार अस्पताल को कब मिलेगी संजीवनी ?https://t.co/2O0fL6RgmZ @DmMeerut @CMOfficeUP @myogiadityanath
— JANWANI NEWS OFFICIAL (@JanwaniTv) May 25, 2021
कोरोना वैश्विक महामारी लोगों के लिए आफत बनती जा रही है। दिन-प्रतिदिन रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन जिले में स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बेहतर सुविधा देने का डंका पीटने वाले स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है।
मेरठ से 15 किमी दूर स्थित रजपुरा ब्लॉक के गांव कस्तला शमशेर नगर का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रशासनिक उपेक्षा के कारण एक खंडहर में तब्दील हो चुका है, यहां पर कूड़े का ढेर है और डॉक्टर नहीं जानवर घूमते नजर आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी चिकित्सा तंत्र दम तोड़ने लगा है। एक हजार की आबादी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाए गए थे, देखरेख के अभाव और चिकित्सा विभाग की लापरवाही के चलते भवन जर्जर हो गए हैं।
जर्जर भवनों में खड़ी झाड़ झंकार के बीच लोग जाने से भी कतराने लगे हैं। ऐसे में जब स्वास्थ्य केंद्र ही बीमार हैं तो भला बीमारों का इलाज कौन करेगा। कोरोना की दूसरी लहर जहां शहरवासियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है, वही इसने अब गांव की ओर अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है और गांव में लोग कोरोना का शिकार हो रहे और यहां जो प्राथमिक सुविधाएं हैं उसको देखते हुए हालात पर काबू पाना काफी मुश्किल लग रहा है।
पीएचसी बना खंडहर
15 वर्ष पूर्व ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए रजपुरा ब्लॉक के कस्तला शमशेर नगर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ था। रखरखाव के अभाव में गांव के कुछ लोगों ने कब्जा कर उपले, भूसा, लकड़ी आदि रखने लगे। वर्तमान में स्वास्थ्य केंद्र के आसपास बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई हैं और यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में लिखित शिकायत कई बार संबंधित अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
गंदगी का लगा अंबार
पीएचसी पर विभागीय अधिकारियों का ध्यान तक नहीं जा रहा है। विभागीय उपेक्षा के चलते ग्रामीण भी इसका प्रयोग पशुओं को अब चारा रखने के लिए करते हैं। शासन की ओर से लाखों रुपये खर्च कर इस स्वास्थ्य केन्द्र को बनाया गया था, ताकि लोगों को इसकी सुविधा मिल सके। केंद्र पर चिकित्सकों के न आने से इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों से भी कई बार इसकी शिकायत की गयी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। अस्पताल के चारों तरफ गंदगी का अंबार है।