- अतीत की घटनाओं में ले जाकर अलग ही दुनिया से रूबरू कराती हैं पांच गैलरियां
- एक करोड़ 72 लाख रुपये की लागत से दिल्ली, जयपुर और कोलकाता के चित्रकारों ने किया 1857 की क्रांति का संजीव चित्रण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ के भैंसाली मैदान के निकट स्थित शहीद स्मारक परिसर में देश का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है जो कि 1857 की क्रांति से जुड़ा हुआ है। राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय का औपचारिक लोकार्पण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगांठ पर 10 मई 2007 को किया गया था। 1995 में प्रदेश के संस्कृति विभाग की ओर से बनाए गए संग्रहालय में पांच गैलरियां मौजूद हैं। जिनमें पहली व दूसरी गैलरी में 1857 की क्रांति गाथा का चित्रण डायरोमा से किया गया है।
इस संग्रहालय के अंदर प्रत्येक गैलरी में 1857 की क्रांति के समय घटित हुई मुख्य घटनाओं को सहेजा गया है। 1857 की क्रांति के समय हुई प्रमुख घटनाओं का सजीव चित्रण से गैलरी की दीवारों पर उकेरा गया है। इस संग्रहालय में मेरठ के साथ साथ भारत के अन्य भागों में घटित घटनाओं को भी चित्रित किया गया हैं।
इसके अतिरिक्त 1857 के गदर के समय मेरठ क्षेत्र में हुई स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी प्रमुख यादों को भी एकत्र कर उन्हें संजोने का कार्य किया गया है। इस संग्रहालय में पुरातात्विक संपदाओं के संग्रह का कार्य भी किया गया है। संग्रहालय में एक पुस्तकालय भी है जिसमें आजादी की लड़ाई से जुड़ी किताबें मौजूद हैं। इस संग्रहालय में लगे शहीद स्तंभ पर 1857 की क्रांति में शहीद हुए 85 वीरों के नाम अंकित किए गए हैं।
जिससे यहां आने वाले लोगों को आजादी की पहली लड़ाई के बारे में कई अहम जानकारियां मिलती है। 1857 की क्रांतिकारी नगरी मेरठ में शहीद स्मारक पर इतिहास की कहानियों का चित्रण नजर आता है। एक करोड़ 72 लाख रुपये की लागत से निर्मित संग्रहालय में बनाई गई पांच गैलरी में 10 सेक्शन को दिल्ली, जयपुर और कोलकाता के चित्रकारों ने तैयार किया है।
इसमें झांसी की रानी, वीर कुंवर सिंह की रियासत, कालपी का दृश्य, नाना साहेब, तात्या टोपे जैसे शूरवीरों की गाथा उकेरी गई है। सदर थाने का गदर और कोर्ट मार्शल भी प्रदर्शित किया गया है। दरअसल 1857 की क्रांति पर 1400 पेज का ऐतिहासिक शोध लखनऊ से प्राप्त हुआ था। इसमें से ही प्रमुख घटनाओं को चित्रकारी के माध्यम से दिखाया गया है।
वहीं, अन्य इतिहास को डिजिटल माध्यम से टैब से दिखाया गया है। संग्रहालय स्थल के प्रमुख द्वार पर मध्य में रिवॉल्विंग प्रोजेक्टर तैयार किया गया है, ये चारों तरफ घूमता है। इसमें प्रमुख घटनाओं की सीनरी लगाई गई। बिजली मोटर से रिवॉल्विंग प्रोजेक्टर को घुमाया जाता है, इसे रात के समय भी देखा जा सकता है।
हाईटेक बनाया गया है संग्रहालय
राजकीय संग्राम संग्रहालय में 1857 की क्रांति के साथ-साथ देश भर के विभिन्न राज्यों के क्रांतिवीर के इतिहास को एलईडी, चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। संग्रहालय को काफी हाईटेक बनाया गया है। इसमें एक तरफ जहां चित्रों के माध्यम से क्रांतिकारियों के अहम योगदान के इतिहास को बड़ी ही आसानी से समझाया गया है। वहीं दूसरी ओर एलईडी लाइट के माध्यम से भी घटनाओं को देख भी सकते हैं। इसके अलावा संग्रहालय में साउंड सिस्टम भी लगाया गया है। जिसके माध्यम से क्रांति की घटनाओं के बारे में साउंड सिस्टम के माध्यम से भी सुना जा सकता है।
संग्रहालय देखने का समय
प्रतिदिन 10:30 से सायं 4:30 बजे तक यह खुलता है। जबकि प्रत्येक सोमवार व माह के द्वितीय शनिवार के बाद पड़ने वाले रविवार एवं अन्य सार्वजनिक अवकाशों में संग्रहालय बन्द रखा जाता है।
पीएम और सीएम के आगमन के बाद बढ़ने लगी पर्यटकों की तादाद
वर्ष 2022 में दो जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सलावा गांव में खेल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करने आए थे। उस समय मेरठ पहुंचने पर पीएम ने जहां बाबा औघड़नाथ मंदिर में दर्शन किए, वहीं शहीद स्मारक और संग्रहालय पहुंचकर 1857 की क्रांति के नायकों को नमन करते हुए जानकारी ली। इसके उपरांत 10 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की 165वीं वर्षगांठ के अवसर पर शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।
और अमर शहीदों की याद में स्थापित अमर जवान ज्योति, शहीद स्मारक एवं शहीद मंगल पांडे की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए नमन किया। मुख्यमंत्री ने 1857 की क्रांति पर बने संग्रहालय का निरीक्षण किया, तथा शहीद स्मारक परिसर में 50 लाख की लागत से बने बहुउद्देश्यीय हाल का फीता काटकर लोकार्पण भी किया था।
पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज राजनेताओं के शहीद स्मारक और राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय पहुंचने के बाद इसका महत्व काफी बढ़ रहा है। इन दिनों शहीद स्मारक पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। 1857 की क्रांति के जांबाजों के बारे में जानने के लिए युवा वर्ग काफी उत्साहित है। छात्र-छात्राएं यहां पहुंचकर जानकारी एकत्र कर रहे हैं।
क्रांतिकारियों के सम्मान में प्रज्ज्वलित है अमर जवान ज्योति
शहीद स्मारक परिसर में क्रांतिकारियों के सम्मान में अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित की गई है। इसके निकट बना शहीद स्मारक सबसे पुराने युद्ध स्मारकों में से एक है। सफेद मार्बल से बना यह स्मारक 30 मीटर ऊंचा है। इसका निर्माण युद्ध में शहीद हुए भारतीय सिपाहियों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था।
इस स्मारक का संबंध 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई से है। स्मारक के बायीं ओर शिलापट पर उन 85 सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने चर्बी वाले विवादित कारतूस चलाने से इंकार कर दिया था। शिलापट को शीर्षक दिया गया है- 10 मई 1857 को मेरठ से प्रारंभ स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार अमर सेनानी।
शहीद स्मारक परिसर में मुख्य रूप से मंगल पांडे की प्रतिमा स्थापित है। जिसके बारे में जानकारी दी गई है कि वीर मंगल पांडे के बलिदान स्थल बैरकपुर प. बंगाल से मेजर बीडी वाधवा द्वारा लाए गए पावन मिट्टी कलश की स्थापना मंगल पांडे के बलिदान दिवस आठ अप्रैल 2005 को की गई थी।