Sunday, June 4, 2023
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विकास के मुद्दों पर हावी हो जाता है जातीय समीकरण

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  • विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च, अधर में लटकी योजनाएं

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: सरधना विधान सभा क्षेत्र की सबसे हॉट नगर पालिका परिषद सरधना में चेयरमैन पद के लिये जो चुनाव होता है वह विकास के मुद्दों पर नहीं बल्कि जातीय समीकरण की वोटों के आधार पर होता है। चुनाव के दौरान भले ही नगर में विकास कराने के वायदे तमाम प्रत्याशी करें, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आता है, ठीक वैसे-वैसे विकास के मुद्दे जातीय समीकरण की वोट के अंतर के चलते दब जाते हैं।

भाजपा के तमाम नेता भी विकास के मुद्दो पर पार्टी के प्रत्याशी को जीत नही दिलवा सके। वहीं, दूसरे समुदाय की वोट अधिक होने के कारण वह बिना विकास के मुद्दों के ही चुनाव में जातीय समीकरण के आधार पर चेयरमैन पद पर जीत दर्ज करा देते हैं। भले ही उन्होने नगर में गत पंचवर्षीय योजनाओं में भले ही विकास न कराया हो।

सरधना नगर पालिका परिषद क्षेत्र में आबादी सवा लाख पार हो गई है। जिसमें करीब 55 से 60 हजार के बीच मतदाताओं की संख्या पहुंच चुकी है। जिसमें हिंदू एवं मुस्लिम वोटों के बीच का 10 से 15 हजार वोटों का अंतर है। नगर पालिका परिषद में चेयरमैन पद पर जब तक जातीय समीकरण विकास के मुद्दों पर हावी नहीं थे।

तब तो विकास के मुद्दों पर किसी भी धर्म व जाति का चेयरमैन बन जाता था, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव में विकास के मुद्दों पर जातीय समीकरण हावी हुआ। ठीक वैसे-वैसे विकास के मुद्दों पर जातीय समीकरण भारी पड़ने लगा। जिसका असर आज भी चुनाव में साफ दिखाई देता है।

जिसमें यदि हिंदू-मुस्लिम को भी छोड़ दें तो मुस्लिम वर्ग में भी जातीय समीकरण चुनाव के दौरान आपस में ही विकास के मुद्दों पर हावी दिखाई देता है। भले ही विकास कराये या न कराये, लेकिन जातीय समीकरण में उस बिरादरी एवं समाज की वोट अच्छी खासी होनी चाहिए, यदि वह जातीय समीकरण में मजबूत है तो उसका चुनाव जीतना पक्का माना जाता है।

सरधना में विकास के मुद्दों पर हावी हो जाते हैं जातीय समीकरण

सरधना को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये पूर्व चेयरमैन असद गालिब ने करीब 10 वर्ष पूर्व पुराने बस अड्डे की जगह पर करोड़ों रुपये की लागत से मार्किट का निर्माण शुरू कराया था। जिसमें उनके समय की बोर्ड बैठक में करीब दो करोड़ रुपये से अधिक के बजट में 205 दुकानें बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था।

असद गालिब की योजना भी बीत गई और निवर्तमान चेयरपर्सन शबीला बेगम की पंचवर्षीय योजना बीत गई, लेकिन भी तक आधी मार्किट की दुकानों पर छत तक नहीं पड़ी और प्लास्टर भी नहीं हो सका, लेकिन उसके बावजूद विकास के मुद्दों के आधार पर जातीय समीकरण के चलते उन लोगों के हाथ में ही चेयरमैन पद की कमान आती चली गई। जिनकी पंचवर्षीय योजना में करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

करोड़ों खर्च के बाद भी डेयरियों से गोबर से नहीं मिल सकी जनता को निजात

सरधना नगर पालिका क्षेत्र में 100 से अधिक डेयरियां है। जिन पर नाली व नालों में गोबर बहाने के चलते कई बार नोटिस जारी कर जुर्माना लगाया, लेकिन कार्रवाई सिफर रही। नगर पालिका ने भी करोड़ों रुपये नाली व नाला निर्माण चर्च के निकट तालाब में करीब 30 से 40 लाख रुपये खर्च कर दो टैंक निर्माण कराए गये वह भी गोबर में अट गये, लेकिन नगर की जनता को निजात नहीं मिल सकी।

जिसमें साफ है कि जातीय समीकरण विकास के मुद्दों पर चुनाव में भारी दिखाई दिया। पूर्व चेयरमैन निजाम अंसारी दो बार खुद व एक बार पत्नी को चुनाव मैदान में उतारकर जातीय समीकरण के आधार पर जीत दर्ज कर चुके, लेकिन विकास के मुद्दों पर वह फ्लाप ही साबित हुये।

लाखों खर्च कर गुलजार नहीं कर सके रोडवेज बस अड्डा

तहसील मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर नगर पालिका परिषद ने रोडवेज बस अड्डे के लिये करोड़ों रुपये की भूमि पर लाखों रुपये खर्च कर चारदीवारी का निर्माण कराया, लेकिन आज उसमें कूडाघर चल रहा है, लेकिन भले ही विकास हुआ हो या न हुआ हो चुनाव में अक्सर जातीय समीकरण हावी दिखाई देता है।

सपा प्रत्याशी से जनता मांग रही 15 साल का हिसाब

सरधना में अध्यक्ष पद पर सपा प्रत्याशी निर्वतमान चेयरमैन सबीला बेगम व उनके पति पूर्व निजाम अंसारी को जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जनता उनसे 15 साल का हिसाब मांग रही है। जिसको लेकर लगातार वीडियो सामने आ रही है। ऐसे में सपा प्रत्याशी का चुनाव काफी चुनौती पूर्ण होता नजर आ रहा है। हाल ही में खारी कुआं मोहल्ले में हुई सभा में भी एक वृद्ध द्वारा प्रत्याशी के पति से जनता के बीच सवाल कर दिया। जिसको लेकर उन्हें काफी असहजता का सामना करना पड़ा।

सरधना सीट पर सपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में निवर्तमान चेयरपर्सन सबीला बेगम को मैदान में उतारा था। सपा के सिंबल से ही गत कार्यकाय में सबीला बेगम चेयरपर्सन बनी थी। उनके पति पूर्व चेयरमैन निजाम अंसारी भी पांच साल नगर पालिका अध्यक्ष की सीट पर रहे हैं। दो बार सबीला बेगम और एक बार निजाम अंसारी को जनता ने सरधना की कमान सौंपी। सरधना में उन्होंने 15 साल तक चेयरमैनी संभाली।

अब चुनाव आने पर सबीला बेगम के पक्ष में उनके पति निजाम अंसारी तथा पुत्र शाहवेज अंसारी जनता के बीच उतर रहे हैं। ऐसे में जनता उनसे 15 साल का हिसाब मांग रही है। तमाम जगह उन्हें जनता की विरोध का सामना करना पड़ रहा है। नाराज जनता के सवालों का सामना करना प्रत्याशी व उनके समर्थकों के लिए गले की फांस बनी हुई है।

हाल ही में खारी कुआं मोहल्ले में हुई एक जनसभा में वृद्धि ने निजाम अंसारी से भीड़ के बीच सवाल कर दिए। जिसको लेकर वह असहज हो गए। यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इन सभी हालात को देखते हुए नजर आ रहा है कि यह चुनाव सपा प्रत्याशी को काफी भारी पड़ने वाला है।

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