- हर बार होने वाली भजन संध्याओं पर रोक, सिर्फ रिकॉर्डेड भजन चलेंगे
- मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बनाए गए गोले
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शारदीय नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहे हैं। ऐसे में शहर के सभी मंदिरों में नवरात्रों को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं, सुबह के समय भक्तों को लेकर विशेष सावधानियां बरती जाएंगी। इस अवसर पर सवेरे ही माता रानी का शृंगार किया जाएगा और फिर कलश स्थापना होगी।
शास्त्रीनगर स्थित गोल मंदिर, जागृति विहार स्थित मनसा देवी मंदिर, नौचंदी ग्राउंड स्थित चंडी देवी मंदिर, सदर स्थित वैष्णों धाम मंदिर, काली मां मंदिर, कैंट स्थित बाबा औघड़नाथ मंदिर, मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर मंदिर में विशेष रूप से तैयारियां की गई हैं। वहीं, एक दिन पहले ही मंदिरों को भव्य तरीके से सजा दिया गया।
रात को लाइटों से मंदिर जगमग नजर आए। कोरोना काल के चलते इस बार मंदिरों में गाइडलाइंस का पालन कराने के लिए तैयारियां की गई हैं। मंदिरों में गोले बनाए गए हैं, वहीं घंटों को भी कवर कर दिया गया है। गोल मंदिर के पुजारी पंडित राम नारायण ने बताया कि शासन की गाइडलाइंस के अनुसार पूजा पद्धति में कुछ बदलाव किया गया है।
वहीं, मनसा देवी मंदिर के पुजारी पंडित भगवत गिरी का कहना है कि मंदिर में घंटों को कवर कर दिया गया है। इसके अलावा इस बार प्रसाद भी नहीं चढ़ाया जाएगा। मनसा देवी मंदिर में विशेष रुप से यह पहल की गई है, कि प्रसाद चढ़ाने के स्थान पर सभी को प्रसाद के पैकेट दिए जाएंगे। इससे प्रसाद व्यर्थ भी नहीं हो सकेगा।
150 साल पुराना है मां मंशा देवी मंदिर का इतिहास
जागृति विहार स्थित मां मनसा देवी मंदिर के दर्शन के लिए शहर ही नहीं बल्कि बाहर से भी लोग आते हैं। करीब 150 साल पुराना मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्र के दिनों में यूं तो हर साल यहां पर मेले जैसा माहौल होता है, लेकिन इस बार संक्रमण के चलते विशेष कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं और न ही भजन संध्याएं होंगी। लेकिन भक्तों की आस्था के चलते मंदिर में विशेष इंतजाम किए गए हैं।
खेतों में हुआ करता था मिट्टी का छोटा मंदिर
मां मनसा देवी का मंदिर पहले मिट्टी का छोटा सा मंदिर ही हुआ करता था, जो कि खेतों में था। उन्हीं खेतों के स्थान पर आज बसावट है। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित भगवत गिरी ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास करीब 150 से 200 साल पुराना है। उन्होंने बताया कि उनके दादा स्व. राम गिरी जो रुड़की के मंगलौर कस्बे के रहने वाले थे, यहां पर जमीन खरीदी थी। जिस पर यह छोटा सा मिट्टी का मंदिर था। इसके दर्शन के लिए रविवार को छुट्टी के दिन ही शहर से लोग आया करते थे। वर्ष 1991-92 में मंदिर को भव्य रूप दिया गया। साढ़े नौ लाख रुपयों में पहले मंदिर बनवा गया था। इसके बाद से ही यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। पुजारी भगवत गिरी का कहना है कि ऊं ऐं ह्रीं क्लीं मंशा देवाय नम: मंत्र का जप करने से माता रानी सभी की मुरादे पूरी करती हैं।

मनसा देवी मंदिर में नहीं हो पाया रंगाई-पुताई का कार्य
मनसा देवी मंदिर में हर वर्ष की भांति नवरात्रों में इस बार रंगाई पुताई का कार्य नहीं हो पाया है। पुजारी भगवत गिरी ने बताया कि हर साल मंदिर में नवरात्रों पर विशेष तौर पर रंगाई पुताई कराई जाती है, लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते मंदिर का बजट बहुत ही डगमगा गया है। मंदिर के ट्रस्ट के खाते में सिर्फ 600 रुपये ही शेष रह गए हैं। जिस कारण रंगाई पुताई का कार्य नहीं हो पाया है।