हमारे भोजन का हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है, इससे तो हम सब वाकिफ हो ही चुके हैं, इसलिए अक्लमंदी इसी में है कि मोटापा, हृदय रोग या उच्च रक्तचाप होने से पूर्व ही अपनी भोजन शैली ऐसी बनाई जाए ताकि ये समस्याएं पैदा ही न हों।
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दरअसल मोटापे के विरुद्ध लड़ाई एक ऐसी प्रक्रि या है जो शीत युद्ध की भांति सदा चलती ही रहती है। मोटापा एक ऐसी समस्या है जो जाने के बाद भी सदा लौटने का प्रयास करता ही रहता है। इससे लड़ना आसान नहीं है। आइए देखें, विभिन्न आहार विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं?
प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ डा. अंजलि मुखर्जी के अनुसार मोटापे की समस्या के साथ प्राय: अधिक कोलेस्ट्रॉल या गुर्दे के ठीक से काम न करने की समस्या भी जुड़ी रहती है। वे मरीज की स्थिति के अनुसार शरीर शुद्धि की योजना बनाती हैं जिसमें भोजन, मिनरल, विटामिन, पोषक तत्वों और व्यायाम का प्रयोग किया जाता है। शरीर की प्रकृति के अनुसार गुग्गल और हल्दी जैसे पदार्थ और जिंक जैसे खनिज पदार्थ घटाए या बढ़ाए जाते हैं। डॉ. अंजलि मुखर्जी नित्य 15 बादाम खाने की सलाह देती हैं। ये प्राकृतिक वसा का स्रोत होते हैं। वे सोयाबीन, फल और सब्जियों पर भी जोर देती हैं।
डा. अंजलि मुखर्जी के अनुसार चीनी, सफेद चावल और मैदा का प्रयोग यथासंभव नहीं किया जाना चाहिए। वह सफेद ब्रेड, पिजा, बन और बर्गर से भी दूर रहने को कहती हैं।
प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ रमा बंस के अनुसार हमारे भोजन का 70 प्रतिशत भाग फलों और कच्ची सब्जियों के रूप में लिया जाना चाहिए। वह बाजरा, मक्का और ब्राउन राइस जैसे अनाज खाने पर जोर देती हैं। उनके अनुसार कम से कम आठ गिलास पानी नित्य पिया जाना चाहिए।
रमा बंस सूखे मेवे खाने को मना करती हैं। वे मैदे से बनी वस्तुएं, चाय, काफी, सूप, जूस व अतिरिक्त चीजें भी लेने को मना करती हैं। उनके अनुसार दिन में केवल 2 चम्मच चीनी ही ली जा सकती है। यदि चाय पीनी ही हो तो टी-बैग का प्रयोग करें।
पोषण विशेषज्ञ डा. मुखीजा अपने मरीजों को कुछ भी खाने से मना नहीं करती किंतु उनके अनुसार हर वस्तु एक सीमा में ही और निश्चित समय पर ही खाई जानी चाहिए। उनका कहना है कि आप तभी खायें जब आपको सचमुच भूख लगी हो। उनके अनुसार यदि कोई पूरी, पकौड़े या समोसे खाना चाहता है तो खा सकता है इन्हें बहुत सीमित मात्र में ही यदा कदा खाना चाहिए ताकि किसी चीज की तरसाहट न रहे।
डा. शिखा शर्मा अपने मरीजों को मोनोडाइट पर रखती हैं जिसमें उन्हें एक ही प्रकार का अनाज/दाल या प्रोटीन खाने को कहा जाता है। वे हर सप्ताह डाइट में परिवर्तन करती हैं। वे अपने मरीजों को मोटे अनाज, सलाद व फल खाने को कहती हैं जिनमें बुढ़ापा रोकने के गुण होते हैं। इसके साथ ही वे मैदा, सूजी, और क्र ीम से बने खाद्य पदार्थ खाने को मना करती हैं।
मिठाइयां, जूस, शीतल पेय और तले हुए खाद्य पदार्थ खाने की तो बिल्कुल मनाही है। उनके अनुसार दाल और अनाज केवल सुबह 10 से शाम 6 बजे तक के बीच ही खाए जाने चाहिएं।
आहार विशेषज्ञ लिसा जॉन के अनुसार आप जो खाते हैं, आपका शरीर उसके अनुसार ही बनता है। वे फल और सब्जियां अधिक से अधिक खाने की सलाह देती हैं। उनके अनुसार इन्हें भोजन के साथ और स्नैक के रूप में भी खाया जाना चाहिए। रेशे के लिए वे गेहूं की ब्रेड, सूखी चपाती, सेब और नाशपाती जैसे फल और सलाद खाने की सलाह देती हैं।
उनके अनुसार प्रोटीन के लिए दाल बहुत आवश्यक है। तेल का प्रयोग 2-3 चम्मच तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। वे दिन में दो तीन गिलास स्किड मिल्क पीने की सलाह भी देती हैं।
लिसा जॉन के अनुसार पतला होने के लिए मलाई, मक्खन, घी, चीज, पनीर, तले हुए खाद्य पदार्थ, बिरयानी, अचार, नारियल चटनी, सूखे मेवे, मिठाइयां, शीतल पेय, शराब और मांस से दूर रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त वे दिन में तीस मिनट तेज सैर करने की सलाह भी देती हैं। उनके अनुसार नित्य 12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।
यूं तो सब आहार विशेषज्ञों के अपने अपने सुझाव हैं किंतु इन सब का निचोड़ यही निकलता है कि फल, सब्जियां, अनाज और दालों का सेवन मोटापे को दूर रखने में प्रभावी है जबकि मिठाइयां, शराब, तले हुए खाद्य पदार्थ, मक्खन, चीज और घी का प्रयोग मोटापे को निमंत्रण देता है।
अशोक गुप्त