- शासन से नियुक्त लोकपाल ने दोनों गांव का किया औचक निरीक्षण, बडे स्तर पर गोलमाल आया नजर
- गाधी गांव में दिखायी गयी थी नाले की सफाई, लेकिन धरातल पर कार्य शून्य, नहीं पहुंची बीडीओ
- लोकपाल के निर्देश पर भी बीडीओ, प्रधान व पंचायत सचिव नहीं पहुंचे, मुख्य सचिव को भेजेंगे रिपोर्ट
जनवाणी संवाददाता |
बागपत: यहां तो धनराशि को ठिकाने लगाने का कार्य किया जाता है और जब अधिकारी निरीक्षण करता है तो वहां धरातल पर कुछ नहीं मिलता। ऐसा ही गाधी गांव में देखने को मिला। कागजों में नाले की सिल्ट सफाई करायी गयी थी, लेकिन जब जाकर देखा तो वहां कुछ नहीं मिला।
इसके अलावा प्राइमरी स्कूलों में सौ में मात्र 35 ही पौधे मिले और अन्य पौधे गायब थे। इतना ही नहीं एक ही व्यक्ति को मनरेगा में कार्य दिया जाता है और उसका भी जॉब कार्ड तक नहीं बनाया गया। वहीं अहमदपुर गठीना गांव का भी यहीं हाल था। यह पोल लोकपाल के निरीक्षण करने पर खुली।
लोकपाल के निर्देश पर भी बीडीओ, प्रधान व पंचायत सचिव ने पहुंचना जरूरी तक नहीं समझा। लोकपाल ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव व विभागीय अधिकारी को देेंगे और उसके बाद उक्त अधिकारी के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शासन से नियुक्त लोकपाल अंशु त्यागी को बागपत में तैनात कर रखा है और गुरूवार को लोकपाल ने गाधी व अहमदपुर गठीना गांव में विकास कार्यों की स्थिति जानी। बताया कि बागपत बीडीओ, प्रधान व सचिव को आने की सूचना दी गयी थी, लेकिन न तो बीडीओ न आना जरूरी समझा न ही सचिव और प्रधान तो मौके पर मिले तक ही नहीं।
बताया कि गाधी गांव में जब वह पहुंची तो वहां पर स्कूलों का निरीक्षण किया और पौधे देखे तो वह हैरान रह गयी, क्योंकि कागजों में 100 पौधे लगाए गए थे, लेकिन धरातल पर 35 पौधे मिले। इसके बाद नाले का निरीक्षण किया तो वहां भी सफाई नहीं दिखी।
कागजों में नाले की सिल्ट हटाना दर्शाया गया था, लेकिन स्थिति वहां तो कुछ ओर ही नजर ही आ रही थी। बताया कि गांव में पांच साल से किसी भी श्रमिक को रोजगार नहीं दिया गया और वह रोजगार के लिए भटक रहे है। जब बात की गयी तो ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान के करीबी को ही मनरेगा योजना में कार्य कराया जाता है और जब जांच की गयी तो उसका जॉब कार्ड तक नहीं बना था और उससे कार्य तक कराकर भुगतान किया जा रहा था।
इससे तो वहां लगता कि शासन की धनराशि का पूरी तरह से दुरूपयोग हो रहा है और इसमें बीडीओ से लेकर प्रधान तक मिले हुए है। उसके बाद अहमदपुर गठीना गांव का निरीक्षण किया गया। वहां स्कूलों में पौधे देते और कागजों में दर्शाया गया कि पौधारोपण श्रमिकों से कराया गया था, लेकिन जब शिक्षकों से बात की गयी तो बताया कि उन्होंने खुद ही पौधे लगाए है और यहां कोई भी श्रमिक तक नजर नहीं आया।
तालाब पर एक भी पौधा तक नहीं मिला। इसके अलावा कागजों में जो कार्य कराए गए है वह भी धरातल पर नहीं मिले। ना ही सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। यहां देखने पर मिला कि सरकारी धनराशि को ठिकाने लगाने का कार्य होता है। लोकपाल अंशु त्यागी ने बताया कि मामले की रिपोर्ट मुख्य सचिव व विभागीय अधिकारी को शासन में दी जाएगी और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।