जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बिछुड हमसे गया वह दोस्त मेरा, कसम खाता था मेरी दोस्ती की!! ये खूबसूरत अशआर जिस शायर की पहचान बन गया उसका नाम है मदन शर्मा, जो हमें छोड़कर चला गया। मेरठ में गीत गजलों की चौकड़ी कहे जाने वालों में धर्मजीत सरल, ओंकार गुलशन, बृजलाल गुंजन और मदन शर्मा। ब्रजलाल गुंजन काफी पहले ही चल बसे थे। अब कवि सत्यपाल सत्यम का नाम भी इनके खास दोस्तों में जुड़ गया था। लोकप्रिय अस्पताल में कोरोना से आखिरी जंग लड़ते हुए कल रात मदन शर्मा जैसा मुहब्बत का शायर भी हार गया।
शहर की साहित्यिक संस्था काव्य शाला कलम ने आज एक आॅनलाइन शोकसभा में दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। साथ के अध्यक्ष गजलकार डा. रामगोपाल भारतीय ने कहा कि मुहब्बत की बात करने वाला शायर चला गया। सत्यपाल सत्यम के भावुक शब्द थे, गजलों का बेताज बादशाह! शायरी की बात करने वाला! हर मौजू पर गजल और शेर कहने वाला! कवि सम्मेलन और मुशायरा में बराबर दखल रखने वाला! संजीदा और हास्य और व्यंग के विधा में पूर्णत: निपुण दोस्तों का दोस्त काल के गाल में समा गया। उनके कुछ चुनुंदा शेर, अलग है शान अपनी शायरी की, पिलाती है मुझे आंखें किसी की!! हजारों साल का जीवन भी कम है, कितनी ख्वाहिशें हैं आदमी की!! अगर दम है किसी की शायरी में, जरूरत क्या उसे बाजीगरी की!!
हास्य व्यंग बहुत ही बेहतरीन पढ़ते थे उनकी बहुत मशहूर कविता है…
लैला मेरी क्लास में…और होली के अवसर पर बहुत सारे गीत कविता उनकी होती थी’ कई चैनलों से हलचल से और सुभारती चैनल से उनकी कविता लोगों ने भरपूर दाद के साथ सुनी है। स्व. मदन शर्मा के भाई दिव्य शर्मा और पुत्र अनित शर्मा के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में जाने माने कवि प्रो. हरिओम पंवार, केके बेदिल, ओंकार गुलशन, धर्मजीत सरल, जीडी हरित, सुमनेश सुमन, मनोज कुमार मनोज, चंद्रशेखर मयूर, तुषा शर्मा, गोविंद रस्तोगी, निस्पंद शर्मा, सुधाकर आशावादी, सुधीर अनुपम, राकेश गौड़, नीरज स्वामी, आशुतोष, संगीत शर्मा, यशपाल कोत्सायन, ब्रजराज किशोर राहगीर, कौशल कुमार तथा कथाकार निर्मल गुप्त सहित अनेक कवि शायर शामिल थे।