Wednesday, October 16, 2024
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अवैध खनन में राजस्व अफसरों की भूमिका पर सवाल

  • खनन ही अवैध नहीं, ढुलाई करने वाले भी वाहन अवैध
  • बिना नंबर प्लेट के ही डंपर से मिट्टी की हो रही ढुलाई

जनवाणी संवाददाता |

मवाना: एक ओर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश और दूसरी ओर अवैध खनन रोकने के बाद पर अफसरों का दो कदम आगे चार कदम पीछे सरीखा रवैया। अफसरों ने जो रवैया बना रखा है। उसके चलते जनपद में बडेÞ स्तर पर अवैध खनन जारी है। जगह-जगह खडेÞ मिट्टी व रेत ढोहन वाले डंपर व भारी भरकम जेसीबी मशीनें इस बात की गवाही दे रही है कि अफसरों की उदासीनता से अवैध खनन का काला कारोबार खूब फलफूल रहा है। अवैध खनन रोकने का दावा करने वाले अफसरों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। राजस्व विभाग के जो अफसर कार्रवाई का दम भरते हैं। उन्होंने ही अवैध खनन करने वाले जेसीबी व डंपर पकड़े, लेकिन जब बारी मुकदमा दर्ज कराने की आए तो हाथ बांधकर निकल गए।

थाना क्षेत्र में अवैध खनन माफिया प्रशासनिक अधिकारियों की सेटिंग के चलते बिना नंबर के डंपरों से खुलेआम मिट्टी का खनन कर रहे हैं। रविवार देर रात जेसीबी और डंपर पकड़े, लेकिन राजस्व विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं करने के चलते पुलिस को वाहनों को एमवी एक्ट में सीज करना पड़ा। नतीजा रहा कि सभी वाहन जुर्माना भर आसानी से छूट गए। योगी सरकार में भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही हो, लेकिन भाजपा सरकार के सात साल के कार्यकाल के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों पर समाजवादी पार्टी के नेताओं का असर देखने को मिल रहा है।

प्रशासनिक अधिकारी आजम खां के नाम पर खनन माफिया को पूरी पनाह दिए हुए हैं। रविवार रात सूचना के बाद मवाना पुलिस ने खनन करती दो जेसीबी और दो डंपरों को पकड़ लिया था, लेकिन सूचना के घंटों बाद भी राजस्व विभाग से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उसके खिलाफ खनन कराने के मामले में मुकदमा दर्ज कराने नहीं पहुंचा। मजबूरीवश पुलिस को सभी वाहनों को एमवी एक्ट में सीज करना पड़ा और सभी वाहन जुर्माना भरने के बाद छोड़ दिए गए हैं।

बिना नंबर प्लेट के ही दौड़ रहे डंपर

मिट्टी की ढुलाई में खनन माफिया दानिश बिना नंबर के डंपरों का प्रयोग कर रहा है। जो दो डंपर पुलिस ने सीज किए, उनकी नंबर प्लेट ही गायब थी। ऐसे में यदि डंपर से कोई दुर्घटना हो जाए तो उन्हें पहचाना ही मुश्किल हो जाएगा। खनन माफिया द्वारा किए जा रहे इस संगठित अपराध में प्रशासनिक अधिकारियों की हिस्सेदारी नहीं होने से कैसे इंकार किया जा सकता है, आमजन में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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