Saturday, April 20, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutमेडिकल कैंपस बना डेंगू का महफूज ठिकाना

मेडिकल कैंपस बना डेंगू का महफूज ठिकाना

- Advertisement -
  • नगर निगम अफसर हैं बे-खबर, मेडिकल में पसरा बीमारियों का खतरा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बारिश ने मेडिकल कैंपस को डेंगू का महफूज ठिकाना बना दिया है। बारिश को थमें भले ही कई दिन हो चुके हो, लेकिन कैंपस में जगह-जगह भरें पानी का कोई इंतजाम नगर निगम प्रशासन नहीं कर सका है। मेडिकल कैंपस में फ्लू ओपीडी, साइक्रेटिक विभाग, नयी इमरजेंसी के सामने समेत कई स्थानों पर पानी भरा हुआ है। यहां रहने वाले एमबीबीएस छात्रों ने बताया कि यदि मलेरिया विभाग की टीम आकर जांच करे तो निश्चित तौर पर डेंगू का लार्वा मिलेगा।

मेडिकल में प्रतिदिन बड़ी संख्या में बुखार के मरीज आते हैं। इनमें कई में वायरल और डेंगू सरीखे संक्रमण भी होते हैं। जो तीमारदार इन मरीजों को लेकर मेडिकल पहुंच रहे हैं वो खुद को अपने परिवार के बीमार सदस्य से तो बीमारी लगने से भले ही बचा लें, लेकिन कैंपस में जगह-जगह भरें बारिश के पानी में पनप रहे डेंगू के लार्वा से खुद को बचाना वाकई बेहद मुश्किल है।

मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए ही यहां खतरा नहीं है, बल्कि मेडिकल के लाला लाजपत राय अस्पताल में जो डाक्टर व नर्स तथा दूसरे पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों का इलाज में लगे हैं, उनको भी यहां खतरा हो सकता है।

08 6

कैंपस में ही मेडिकल में काम करने वाले चिकित्सक व गैर चिकित्सक कर्मचारियों के सरकारी आवास हैं। कुछ परिवार के साथ यहां रह रहे हैं। इसके अलावा मेडिकल के गर्ल्स व ब्वॉयज हॉस्टल में भी बड़ी संख्या में एमबीबीएस के अलग-अलग सेमेस्टर की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं रहते हैं। उनके लिए भी यह कम खतरनाक नहीं। नर्सिंग छात्र-छात्राओं के भी यहीं कैंपस में हॉस्टल हैं।

उनको भी डेंगू के डंक का खतरा है। सबसे ज्यादा खतरे में हॉस्टल में रहने वाले हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर नर्सिंग की एक छात्रा ने बताया कि यहां रूम में रहना किसी मुसीबत से कम नहीं है। डेंगू व वायरल के खतरे को देखते हुए हॉस्टल के रूम में रहना किसी सजा से कम नहीं। मच्छरों का उपाय किया जाना बेहद जरूरी है। अन्यथा हॉस्टल में रहने वाले कई स्टूडेंट भी बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि इसकी ओर समुचित ध्यान दिया जाए।

09 7

प्राचार्य ने किया निरीक्षण

मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि डेंगू के खतरे के बीच उन्होेंने दो दिन पहले ही सभी हॉस्टलों को चेक किया था। वहां रहने वाले स्टूडेंट को बताया गया कि कहीं भी मच्छर न जमा होने दें। साफ-सफाई का समुचित ध्यान रखा जाना चाहिए।

निगम प्रशासन गायब

पूरे कैंपस में कूड़ा कचरा उठाने के लिए नगर निगम के वाहन आते हैं, लेकिन बारिश का जो पानी भरा है उसको लेकर अफसर लापरवाह नजर आते हैं। निगम के कर्मचारियों ने बताया कि निगम के कर्मचारियों से भी इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

डेंगू के एक्टिव केसों की सेंचुरी, 10 नए केस

डेंगू के एक्टिव केसोें ने सेंचुरी मार दी है। रविवार को 10 नए केस मिले हैं। इसके साथ ही अब एक्टिव केसों की संख्या 103 पर जा पहुंची है। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि 10 नए केस मिले हैं। जबकि एक्टिव केसों की संख्या 103 है। अब तक 84 डेंगू पीड़ित ठीक भी हो चुके हैं।

डेंगू के एक्टिव केसों में से 52 अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। 51 होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे हैं। इसके चलते डेंगू को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। साथ ही कंट्रोल रूम बना दिया गया है। दरअसल, मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

रविवार को आयोजित सीएम अरोग्य स्वास्थ्य मेला में पहुंचे करीब चार हजार मरीजों में से ज्यादातर बुखार पीड़ित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की चिंता बढ़ गयी है। हालांकि जहां तक अलर्ट की बात है तो कंट्रोल रूम की स्थापन मेडिकल में कर दी गयी है।

मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार जो लखनऊ में मौजूद हैं, ने बताया कि डेंगू को लेकर गंभीरता पर नजर रखी जा रही है। बुखार के मरीजों को प्राथमिकता पर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मेडिकल में भी बड़ी संख्या में बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं।

11 7

जारी है लार्वा का मिलना

रविवार अवकाश के दिन भी स्वास्थ्य विभाग व मलेरिया की टीमों ने अभियान जारी रखा। शास्त्रीनगर, जागृति विहार, मलियाना के निवासियों ने बताया कि समुचित सफाई व्यवस्था न होने की वजह से जहां पानी भरा हुआ है, वहां लार्वा साफ नजर आता है। निगम का इंतजार न करते हुए लोगों ने ऐसे स्थानों पर खुद ही केमिकल डालना है, ताकि लार्वा खत्म किया जा सके।

हालात की समीक्षा

सीएमओ ने डेंगू और वायरल के आ रहे केसों के लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा की। उन्होंने बताया कि हालात पूरी तरह से काबू में है। स्वास्थ्य विभाग के अलावा नगर निगम और जिला मलेरिया की टीमें भी लगातार मैदान में सक्रिय हैं। लोगों से बार-बार कहा जा रहा है कि कहीं भी पानी न जमा होने दें। लार्वा न पनपने दें।

सीएम आरोग्य मेले में बुखार के मरीजों से हड़कंप

सीएम आरोग्य मेले में बड़ी संख्या में बुखार के मरीज पहुंचने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गयी है। मेले में पहुंचे 3572 मरीजों में से ज्यादातर बुखार के मरीज पाए गए। इनको वायरल या डेंगू की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उनके परिजनों ने जो सिम्टम बताए उसके बाद वायरल की आशंका जतायी जा रही है।

अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर राजेन्द्र नगर में आयोजित स्वास्थ्य मेले का शुभारंभ राज्य महिला आयोग की सदस्य राखी त्यागी ने किया। यहां के अलावा जनपद भर में सभी पीएचसी, सीएचसी और स्वास्थ्य उप केंद्रों पर आयोजित इस मेले में मरीजों की नि:शुल्क जांच और दवाइयां दी गर्इं। बीते कई महीनों से कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के चलते आरोग्य स्वास्थ्य मेला आयोजित नहीं हो पा रहा था।

नोडल अपर चिकित्सा अधिकारी डा. एसके अग्रवाल ने बताया कि शासन के निर्देश पर जिले के 56 स्वास्थ्य उप केंद्र 26 पीएचसी, 31 सीएचसी और जिला अस्पताल में मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। मेला कराने का उद्देश्य स्पष्ट है कि एक ही छत के नीचे लोगों को अधिकाधिक स्वास्थ्य सुविधाएं, जांच, उपचार और दवाएं आदि उपलब्ध हो।

बताया कि मेला परिसर में प्रवेश करने से पूर्व प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जा रही है। मेले में मास्क और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था है। इससे जांच, उपचार और दवाओं आदि की सुविधा आसानी से मिल सकेगी। उन्होंंने बताया शाम चार बजे तक 3572 की जांच की गयी। जिसमें सबसे ज्यादा बुखार के मरीज मिले हैं। एसीएमओ डा. सुधीर गुप्ता नें बताया आरोग्य मेले का मकसद है। लोगो को अधिक से अधिक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जा सके।

मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों में गोल्डन कार्ड बनवाने, गर्भावस्था एवं प्रसवकालीन परामर्श, पूर्ण टीकाकरण एवं परिवार नियोजन संबंधी साधनों एवं परामर्श की व्यवस्था रही। साथ ही संस्थागत प्रसव संबंधी जागरूकता, जन्म पंजीकरण परामर्श, नवजात शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा परामर्श एवं सेवाएं, बच्चों में डायरिया एवं निमोनिया की रोकथाम के साथ ही टीबी, मलेरिया, डेंगू, कुष्ठ आदि बीमारियों की जानकारी, जांच एवं उपचार की नि:शुल्क सेवाएं दी गई। पीएचसी पर जो जांचें नहीं हो पाईं। उन मरीजों को जांच के लिए सीएचसी अथवा जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। इस दौरान आयुष्मान कार्ड के लाभार्थियों के कार्ड बनवाए गये।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments