Sunday, May 19, 2024
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सरधना: चौबीसी के तेवर से भाजपा नरम

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  • चौबीसी को लेकर ही भाजपा भर रही थी दम, लेकिन इस बार क्षत्रिय समाज हुआ मुखर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सरधना विधानसभा का चौबीसी क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा हैं। जनसंघ से पहली बार 1989 में ठाकुर अमरपाल सिंह विधायक बने थे, जिसके बाद चौबीसी भाजपा का राजनीतिक गढ़ बन गया था। इसके बाद से ही भाजपा सरधना से क्षत्रिय समाज के ही दिग्गज को चुनाव मैदान में उतारती रही हैं। चौबीसी को लेकर ही भाजपा दमभर रही थी, लेकिन इस बार क्षत्रिय समाज जिस तरह से मुखर हुआ,अपने किये प्रण पर अडिग भी दिखा। भाजपा को पहले ही इसका अहसास भी हो चुका था। इसी वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा भी यहां कराई गयी।

मतदान के दिन भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान के खिलाफ टेÑंड देखने को मिला।डा. संजीव बालियान की पेशानी पर भी बल दिखाई दिये। यही नही, क्षत्रिय समाज ने कहकर भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान के खिलाफ वोटिंग की। क्षत्रिय समाज के द्वारा किये गये प्रण का असर 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखाई दिया। क्षत्रिय समाज की पंचायत में भाजपा के बायकाट की धमकी से लग रहा था कि क्षत्रय समाज भाजपा शीर्ष नेताओं को डरा रहे हैं। आखिर वोट भाजपा को ही जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वोट डालकर लौट रहे मतदाताओं से बातचीत के दौरान ये बात निकलकर सामने आयी है कि भाजपा से क्षत्रिय समाज ने मुंह मोड लिया है तथा साइकिल को खूब दौड़ाया गया। ये खबर हैरत कर देने वाली थी।

जो कभी भाजपा का गढ़ रहा है, वहां पर साइकिल कैसे दौड़ गई? कुछ तो ऐसा हुआ, जिससे क्षत्रिय समाज के लोग भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान से खफा हो गए। चौबीसी का सलावा सबसे बड़ा गांव हैं। यहां प्राइमरी स्कूल पर मतदान चल रहा था। मतदान केन्द्र से थोड़ी दूरी पर युवा मतदाताओं का जमघट लगा था। युवाओं ने साफ कर दिया कि भाजपा नहीं, साइकिल चली हैं, लेकिन फिफ्टी-फिफ्टी। भाजपा के गढ़ में साइकिल के दौड़ने से भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान की टेंशन बढ़ा दी हैं। दो बार डा. संजीव बालियान की जीत का सेहरा चौबीसी ने ही बांधा हैं, उसी चौबीसी ने इस बार साइकिल को दौड़ा दिया।

चौबीसी में हुए नुकसान की भाजपा कहां भरपाई कर पाएगी? ये फिलहाल समय के गर्भ में हैं। रार्धना भाजपा जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा का गांव हैं, वो बूथ पर डटे हुए भी थे। फिर भी साइकिल दौड़ी, लेकिन यहां भाजपा और सपा फिफ्टी-फिफ्टी में रहे। खेड़ा भी चौबीसी का बड़ा गांव हैं, यहां भी साइकिल का पूरा प्रभाव दिखा। सभी ये कह रहे थे कि भाजपा के खिलाफ नमक ‘लोटा’ डाला था, उस ‘प्रण’ को निभा रहे हैं। यूथ ज्यादा बगावती दिखा, फिर भी बुजुर्ग भाजपा के प्रति शॉफ्ट दिखे। इसी वजह से भाजपा को भी वोट पड़े।

कभी भाजपा के अलावा दूसरे दल चौबीसी में वोट पाने के लिए तरस जाते थे। भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान का नुकसान क्षत्रिय समाज में ही नहीं हुआ, बल्कि बसपा प्रत्याशी दारा सिंह ने भी नुकसान किया। पिछड़ी जातियों में दारा सिंह का हाथी दौड़ता हुआ दिखा। पिछड़ी जातियां भी भाजपा के साथ जुड़ी हुई थी। दरअसल, 1989 में अमरपाल सिंह सरधना विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ से विधायक बने थे।

इसके बाद तो क्षत्रिय समाज ने सरधना सीट पर कब्जा कर लिया। 1991 में जनता दल से ठा. विजयपाल सिंह तोमर विधायक बने और 1993, 1996, 2002 में तीन बार रविंद्र पुंडीर सरधना विधानसभा से विधायक बने। 2012 और 2017 में संगीत सोम दो बार सरधना विधानसभा से विधायक चुने गए। इस तरह से सरधना विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ बना हुआ हैं।

चौबीसी में संगीत की मौजूदगी ने बालियान के समर्थकों की बढ़ाई टेंशन

भाजपा में तब हलचल मच गई, जब भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान के समर्थक नेताओं को ये पता चला कि पूर्व विधायक संगीत सोम चौबीसी में एंट्री कर गए हैं। खेड़ा मतदान से 300 मीटर की दूरी पर पत्रकारों ने संगीत सोम को घेर लिया। उनसे चौबीसी में हो रहे मतदान को लेकर बातचीत की, लेकिन उन्होंने यहीं कहा कि मैं आ गया हूं, सब ठीक हो जाएगा। भाजपा चार सौ पार जा रही हैं।

चौबीसी को लेकर संगीत सोम सवालों से बचते रहे। यहां करीब 15 मिनट संगीत सोम रुके, इसकी खबर भाजपा के नेताओं तक पहुंची, जिसके बाद हलचल मच गई। यूथ की भीड़ संगीत को घेरे हुए थी। खेड़ा में अलग पेड़ के नीचे गए, युवाओं से बात की, फिर गाड़ियों का काफिला लेकर रवाना हो गए।

दअरसल, भाजपा नेता संगीत सोम अपने पैतृक गांव में मतदान करने के लिए आये थे। दोपहर करीब एक बजे संगीत वोट डालकर खेड़ा इंटर कॉलेज की तरफ पहुंच गए। चौबीसी होते हुए संगीत सोम दोपहर में अपने सरधना स्थित कार्यालय पर पहुंचे, जहां शाम तक उनकी मौजूदगी रही। संगीत सोम की मौजूदगी से आखिर भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान के समर्थक नेता क्यों परेशान थे? इस परेशानी की वजह क्या थी? ये कोई भी भाजपा नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं थे।

आखिर संगीत सोम की चौबीसी और सरधना कस्बे में मौजूदगी से डा. संजीव बालियान के समर्थक क्यों परेशान थे? इसके पीछे क्या रहस्य हैं, जो भाजपा नेता नहीं खोल रहे हैं। कुछ तो है, जो भाजपा नेता दबाने का प्रयास कर रहे हैं। मुखर होकर कोई भी डा. संजीव बालियान के खिलाफ बगावत नहीं कर रहा हैं, लेकिन भीतर क्या चल रहा हैं, उससे हर भाजपा नेता परेशान हैं।

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