- तीन माह के पट्टे पर बेखौफ चल रही थी पोर्कलेन मशीन
- किसानों और ग्रामीणों की शिकायत के बाद की कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
कैराना: गांव रामड़ा के यमुना खादर क्षेत्र में किसान की कृषि भूमि की सफाई के नाम पर सरकारी स्तर पर तीन माह के लिए पट्टा आवंटित किया गया है। वैसे तो फावड़ों से रेत उठानी की अनुमति होती है, लेकिन यहां खनन ठेकेदार ने एनजीटी की गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाते हुए पोर्कलेन मशीन को यमुना नदी में उतार दिया। खनन का कार्य शुरू होने के बाद विरोध के स्वर उठने लगे और किसानों के साथ ही ग्रामीणों की ओर से एक के बाद एक शिकायती पत्र प्रशासन को दिए गए। कुछ किसानों ने फसलों को नुकसान की बात कही, तो कुछ किसानों ने रास्ते को लेकर समस्या बताई।
इसके बाद शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए मंगलवार शाम एसडीएम शिवप्रकाश यादव ने राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ मौके पर छापेमारी की, जिसके चलते ठेकेदार और उसके वर्करों में हड़कंप मच गया। प्रशासन की टीम को प्रतिबंधित पोर्कलेन मशीन से खनन होता मिला। इसके बाद प्रशासन ने आवंटित पट्टा क्षेत्र की भूमि की पैमाइश भी कराई। पट्टे पर भारी अनियमितताएं पाए जाने पर प्रशासन ने खदान को बंद करने के आदेश जारी कर दिए।
आखिर किसके इशारे पर चलाई पोर्कलेन मशीन?
कृषि भूमि की सफाई के नाम पर आवंटित पट्टे की आड़ में रामड़ा गांव में खनन ठेकेदार तमाम नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाई। खनन स्थल पर मौके पर रेत उठाने के बाद बने गड्ढे और वहां खड़ी पोर्कलेन मशीन से साफ हो गया कि अवौ खनन किया गया है, क्योंकि पोर्कलेन मशीन की अनुमति नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर खनन ठेकेदार किसके इशारे पर प्रतिबंधित पर्कलेन मशीन से यमुना नदी को छलनी कर रहा था ? खनन विभाग कहां सोया है ?