जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर नियमों के अनुसार सर्विस रोड होनी चाहिए थी, लेकिन एनएचएआई ने सर्विस रोड तैयार ही नहीं की। एक्सप्रेस वे के नियमों के अनुसार जो भी एक्सप्रेस-वे का निर्माण होता है, उसमें सर्विस रोड का निर्माण अति आवश्यक होता है। ऐसा नियम एक्सप्रेस-वे के बायलॉज में दिया गया है। क्योंकि बाइक व थ्री व्हीलर और अन्य छोटे वाहन कहां दौड़ेंगे? क्योंकि इनकी एंट्री एक्सप्रेस वे पर नहीं होती।
इसलिए इनको प्रतिबंधित किया गया है। इसकी पुष्टि खुद एनएचएआई के अधिकारियों ने की है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे जनता के लिए खोल दिया गया है, लेकिन कहीं भी सर्विस रोड का निर्माण एनएचएआई ने नहीं किया है। सिर्फ कार और बड़े वाहन ही इस पर दौड़ सकते हैं।
यही नहीं, एक्सप्रेस वे को चालू करने से पहले जन सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं। मेरठ से लेकर डासना तक एक्सप्रेस वे पर पेट्रोल मिलना तो दूर पानी की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। कायदे में एक्सप्रेस-वे के निर्माण पूरा करने के तत्काल बाद जन सुविधाएं मुहैय्या कराई जानी चाहिए थी, लेकिन पेट्रोल पंप भी एक्सप्रेस-वे पर होना चाहिए था, मगर यहां नाम के लिए एक्सप्रेस-वे हैं, सुविधाएं सिफर है।
बेशक एक्सप्रेस-वे बेहर बना है। जनता को दिल्ली आने-जाने में समय कम लगेगा। जाम से भी छुटकारा मिलेगा, लेकिन जनता की सुविधा को एक्सप्रेस-वे पर ध्यान में क्यों नहीं रखा गया है। नियम कहते है कि एक्सप्रेस-वे की दोनों तरफ सर्विस रोड होनी चाहिए थी, तभी उसे एक्सप्रेस-वे कहा जा सकता है। अन्यथा नहीं। यहां एनएचएआई के अधिकारियों ने इसे नाम तो एक्सप्रेस-वे दे दिया है, लेकिन एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ सर्विस रोड क्यों नहीं दी? यह बड़ा सवाल है। कहां चूक हुई?