- पाली गांव के रहने वाले थे सभी दोस्त, बड़ौत जाने की बात कहकर घर से आए थे किशोर
- काफी प्रयास के बाद लापता किशोरों को निकाला बाहर, डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
- सूचना मिलते ही पुलिस में मचा हडकंप, दो किशोर की मौत से परिजनों में मचा कोहराम
जनवाणी संवाददाता |
बागपत: बागपत के यमुना घाट पर रविवार की दोपहर को पाली गांव के रहने वाले छह दोस्त यमुना नदी में नहाने के लिए आए और वह नहाते समय अधिक पानी होने के कारण डूब गए। चार दोस्त किसी तरह से बाहर निकल आए और उन्होंने शोर मचा दिया।
सूचना मिलते अधिकारियों व पुलिस में हडकंप मच गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लापता किशोरों को ढूंढने का प्रयास किया और देर शाम सवा छह बजे के करीब दोनों किशोरों को बाहर निकाला। उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया।
यमुना नदी पर पाली गांव से ग्रामीण व परिजन भी पहुुंच गए थे। दोनों किशोर की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया और उनका रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों का कहना है कि यदि उनको पता होता कि वह यमुना नदी में नहाने जा रहे है तो वह उनको नहीं भेजते। देर शाम दोनों किशोर का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को दे दिए गए थे।
जानकारी के अनुसार पाली गांव के रहने वाले सुमित पुत्र रजनी, अक्षय पुत्र देवेंद्र, निक्की पुत्र सतीश, आंसू पुत्र रमेश चंद, सचिन पुत्र ऋषिपाल व आजाद पुत्र सहेंद्र सभी अच्छे दोस्त है और वह रविवार की दोपहर एक बजे के करीब परिजनों को बड़ौत जाने की बात कहने लगे और जल्द ही वापस लौटने को कहा।
परिजनों ने उनको जिद करने पर भेज दिया। यह सभी किशोर बड़ौत जाने की बजाय बागपत यमुना घाट पर पहुंच गए और यमुना नदी में नहाने लगे। अधिक पानी होने के कारण यह सभी दोस्त डूबने लगे और इनमें से चार दोस्त तो किसी तरह से बाहर निकल आए, लेकिन दो दोस्त सुमित पुत्र रजनी व अक्षय पुत्र देवेन्द्र अधिक पानी होने के कारण यमुना नदी में डूबने लगे और शोर मचाना शुरू कर दिए।
बाहर निकले दोस्तों ने भी बचाओ-बचाओ करना शुरू कर दिया। वहां काम कर रहे लोग पहुंचे और मामले की सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही सीओ व इंस्पेक्टर पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और यमुना नदी में डूबे दोनों किशोरों के परिजनों को सूचना दी।
सूचना मिलते ही परिजनों व ग्रामीणों में हडकंप मच गया और परिजन व ग्रामीण पूर्व जिला पंचायत सदस्य अजय चौहान के साथ यमुना नदी पर पहुंचे। यमुना नदी में डूबे दोनों किशोरों को बचाने का प्रयास किया, लेकिन वह हाथ नहीं आ सकें।
वहां गोताखोरों व ग्रामीणों ने काफी प्रयास के बाद शाम सवा छह बजे के करीब दोनों किशोर को बाहर निकाला और उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दोनों की मौत से परिजनों में कोहराम मच गया और उनका रो-रोकर बुरा हाल था। पुलिस ने दोनों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
योजनाएं तो बहुत, धरातल पर एक भी नही
यमुना नदी मेें अभी तक मजदूरों, ग्रामीणों व किशोरों के डूबने से सैकड़ों मौत हो चुकी है और इन हादसों को रोकने के लिए तमाम योजनाए चलायी जाती है, लेकिन धरातल पर एक भी योजना काम नहीं करती। यहां यमुना नदी पर यमुना मेें न नहाए के बोर्ड लगाए जाते है और इसके अलावा नाव का ठेका छोड़ा जाता है कई योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन किसी भी योजना पर पुलिस प्रशासन कार्य नहीं करता दिखाई देता।
अब गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और हर कोई गर्मी को दूर करने के लिए यमुना नदी में नहाने के लिए जाएगा, लेकिन वहां पर यदि कोई बडा हादसा हो जाता है तो प्रशासन को योजना बनाने की फिर याद आएगी, लेकिन इससे पहले वह धरातल पर कार्य करना जरूरी नहीं समझते।
फिर काम आए स्थानीय गोताखोर
यमुना नदी में यदि कोई डूब जाता है तो पुलिस प्रशासन को स्थानीय गोताखोर की याद आती है, क्योंकि जनपद में उनके पास कोई सरकारी गोताखोर नहीं है और ना ही कभी प्रशासन ने गोताखोरों की तैनाती करने के लिए मांग की है। स्थानीय गोताखोर इरफान, सलीम आदि सूचना मिलते ही यमुना में डूबने वाले को बचाने के लिए पहुंच जाता है।
आखिर कब रूकेगा यमुना में मौत का सिलसिला
यमुना नदी में हर साल दर्जनों की मौत होती है और पता नहीं यह मौत का सिलसिला कब रूकेगा। जैसे ही नया साल शुरू होता है तो यमुना नदी भेंट लेना शुरू कर देती है। यमुना में मौत का सिलसिला रोकने के लिए बागी प्रशासन कोई कदम तक नहीं उठा पा रहा है।
यदि पता होता तो नहीं जाने देते
परिजनों का कहना था कि यदि उनको पता होता कि यह सभी दोस्त यमुना नदी में नहाने के लिए जा रहे है तो वह किसी भी कीमत पर नहीं जाने देते। उनके बच्चे झूठ बोलकर यमुना नदी में नहाने के लिए आए थे।