Sunday, October 6, 2024
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…तो नगरायुक्त की कुर्सी कूड़े के ढेर पर डलेगी

  • एनजीटी की कोर्ट में कूड़ा निस्तारण को लेकर नगरायुक्त पर सख्त टिप्पणी
  • फंड तुम्हारा पेट भरने एवं बेगमपुल के पेट्रोल पंप पर उड़ाने के लिये देते रहें
  • प्लांट का निस्तारण होने तक नगरायुक्त की सैलरी पर लगनी चाहिए रोक
  • एनजीटी ने प्रमुख सचिव, डीएम से मांगा जवाब, निगम पर लगेगा करोड़ों में जुर्माना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: राष्टÑीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की प्रधान बेंच नई दिल्ली में लोकेश खुराना की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने लोहिया नगर स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट में अवैज्ञानिक तरीके से नगर निगम के द्वारा कूड़ा निस्तारण पर सख्त रुख अपनाया। इस मामले में नौ मई को वादी एवं नगर निगम की तरफ से अपना जवाब दाखिल किया गया और दोनो पक्षों के अधिवक्ताओं ने बहस हुई।

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नगर निगम के द्वारा जो अपना पक्ष एनजीटी की कोर्ट में रखा एनजीटी उस पर संतुष्ठ नहीं हो सकी और नगर निगम में किस तरह से भ्रष्टाचार चल रहा है। उस पर भी तंज कसे। जिसमें नगर निगम के फंड के पैसे को बर्बाद कैसे किया जाता है और नगरायुक्त दूसरों की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते। कूड़ा निस्तारण में जिस तरह से लापरवाही बरती जा रही है और प्रदूषण फैल रहा है।

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जब नगरायुक्त की कुर्सी सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक कूड़े के ढेर पर डलवाई जायेगी,त् ाब जाकर उन्हें पता चल सकेगा। वहीं, जब तक कूड़ा निस्तारण प्लांट की समस्या दूर नहीं हो जाती तब तक नगरायुक्त की सैलरी भी बंद कर देने जैसी बातें बहस के दौरान उठी।

आगामी एनजीटी की सुनवाई में नगरायुक्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने और अपना जवाब देने के आदेश भी कोर्ट ने दिये। आगामी सुनवाई एनजीटी कोर्ट में आठ अगस्त को होगी। वहीं यदि कोर्ट उत्तर प्रदेश राज्य सरकार एवं नगर निगम के जवाब से संतुष्ठ नहीं हुई तो करोड़ों रुपये का जुर्माना भी नगर निगम पर लग सकता है।

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एनजीटी कोर्ट में नौ मई को वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में मेरठ नगर निगम पर एनजीटी पूरी तरह से सख्त दिखाई दिया। मुख्य रूप से नगरायुक्त एनजीटी की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान निशाने पर रहे। इस मामले में एनजीटी कोर्ट में आदर्श गोयल चेयरमैन, सुधीर गोयल न्यायिक सदस्य एवं ए एंथिल विशेषज्ञ तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की और वादी आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना की तरफ से अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ एवं नगर निगम एवं उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की तरफ से वैभव मिश्रा अधिवक्ताओं ने एनजीटी कोर्ट में बहस की।

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21 फरवरी 2021 में याचिकाकर्ता लोकेश खुराना बनाम यूपी स्टेट से आरटीआई के अंतर्गत वाद योजित किया था और जानकारी मांगी थी। जिसमें 24 अप्रैल 2023 को एनजीटी की टीम लोहिया नगर स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण करने के लिये आई थी। जिसमें टीम को अवैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण होता मिला था। जिसमें टीम ने वहां से कूड़ा व पानी के सैंपल भी लिये और कूड़ा निस्तारण के तरीके पर नाराजगी जताई थी।

जिसमें कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से पूछा है कि कूड़ा निस्तारण के मामले में लापरवाही किसकी है। जिसमें कूड़ा निस्तारण सही तरह से नहीं होने पर चीफ सेकेट्री व जिला स्तर पर डीएम नजर रखेंगे और प्रतिएक माह रिपोर्ट शासन को भेजेंगे वहीं पूर्व में छह माह के अंतर की प्रगति रिपोर्ट भी डीएम एनजीटी के रजिस्टार को भेजेंगे। वहीं, वर्तमान में मुख्य सचिव आवश्यक कदम उठाएं और लापरवाही बरतने वालों पर क्या कार्रवाई की उसे बताएं।

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वहीं एक महीने के भीतर ईमेल के माध्यम से नगरायुक्त रिपोर्ट एनजीटी को भेंजे। बहस के दौरान नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता ने कहा कि उन्हे कूड़ा निस्तारण प्लांट के लिये जो जगह आवंटित की गई थी। उस पर कोर्ट में केस चल रहा है, जिस पर एनजीटी की तरफ से कहा गया कि यदि उस भूमि का मामला कोर्ट में है तो निगम की तरफ से आगामी क्या कदम उठाए गये। आपको केवल फंड उड़ाने के लिये बजट दिया जाये।

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