- नवागत मुख्य नगर लेखा परीक्षक अमित भार्गव के सामने निगम के भ्रष्टाचार को रोकना बड़ी चुनौती
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के आॅडिट विभाग से मुख्य नगर लेखा परीक्षक(एमएनएलपी) कर्म विक्रम सिंह श्रीवास्तव का गोरखपुर के लिए स्थानांतरण हो गया। उनकी जगह पर कानपुर नगर निगम से अमित भार्गव को तैनाती दी गई है। सोमवार को अमित भार्गव ने नगर निगम के आॅडिट विभाग में कार्यभार ग्रहण कर लिया। जल्द ही कर्म विक्रम सिंह गोरखपुर नगर निगम में अपनी ज्वाइनिंग देंगे।
कुछ समय से आॅडिट विभाग के मुख्य नगर लेखा परीक्षक एवं नगरायुक्त समेत तमाम विभागों के अधिकारी आमने-सामने चले आ रहे थे। जिसमें हाल ही में एमएनएलपी ने बताया था कि कुछ फाइलें तो आॅडिट विभाग में आती ही नहीं और आॅडिट विभाग से यदि नगरायुक्त एवं अन्य अधिकारियों को किसी फाइल के संबंध में जवाब देने के लिए पत्र लिखा जाये तो उसका जवाब तक नहीं आता।
कुछ समय से आॅडिट विभाग एवं नगर निगम के बीच कुछ फाइलों पर सामने-सामने की स्थिति बनी हुई थी। अब ऐसे में कानपुर से आए एमएनएलपी जैसा पूर्व में चलता आ रहा है,उसके हिसाब से चलेंगे या फिर वह आॅडिट विभाग को पारदर्शी बनाने के लिए कोई ठोस कदम उठाऐंगे।
किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आॅडिट विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग होता है। जिसमें यदि किसी मामले में कोई भ्रष्टाचार किया गया है तो वह आॅडिट विभाग के द्वारा फाइल की अच्छी तरह से जांच के दौरान पकड में आ जाता है, लेकिन यदि आॅडिट विभाग में कम स्टॉप है तो उसके बाद आॅडिट विभाग में फाइलों को मानों सरसरी तोर पर ही जांच के नाम पर औपचारिकता के लिए ही भेजा जाता है।
यदि औपचारिकता की जांच के दौरान फाइलों में गड़बड़ी मिलती है तो समझा जा सकता है कि कहीं न कहीं कोई बड़ा गड़बड़झाला जरूर है। कुछ इस तरह का मामला नगर निगम के आॅडिट विभाग में काफी समय से चल रहा है। नगर निगम परिसर में बने आॅडिट विभाग में काफी समय से कर्मचारियों की कमी चल रही है। जबकि आॅडिट विभाग में जांच के लिए हजारों फाइलें आती हैं। नगर निगम में 12 जून 2018 से कर्म विक्रम सिंह श्रीवास्तव ने चार्ज संभाला था ओर तभी से वह कम स्टॉप के बीच आॅडिट विभाग को संभाले हुए थे।
उन्होंने आॅडिट विभाग एवं नगर निगम के कुछ विभागों के बीच फाइलों की जांच के दौरान तालमेल सही तरह से नहीं बनने की भी शिकायत नगरायुक्त समेत तमाम आलाधिकारियों से की। साथ ही जो स्टॉप कम है, उसके लिए भी शासन को पत्र लिखा, लेकिन आॅडिट विभाग भ्रष्टाचार को पकड़ने में अहम भूमिका निभाता है। उसके चलते न तो कम स्टॉप की भरपाई की गई और न ही जो आॅडिट विभाग में निर्माण विभाग से संबंधित फाइलें नहीं आ पा रही थी, वह पूरी तरह से शुरू हो सकी।
बीवीजी कंपनी की फाइल के संबध में जब मीडिया ने नगर निगम के अधिकारियों व आॅडिट विभाग के एमएनएलपी से वर्जन लिया तब दोनो विभाग-खुलकर आमने सामने आ गए। जिसमें नगर निगम के अधिकारियों ने एमएनएलपी पर आरोप लगाया कि वह जांच के नाम पर फाइल को कई-कई महीनें तक आॅडिट विभाग में लटकाए रखते हैं। जबकि एमएनएलपी ने भी आरोप लगते ही मीडिया के सामने निगम के अधिकारियों की भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़ी कलई खोलकर रख दी।
जिसमें बताया कि निर्माण विभाग से संबंधित कुछ फाइलें तो ऐसी होती है कि वह आॅडिट के लिए आती ही नहीं। तत्कालीन नगरायुक्त मनीष बंसल के समय में तो निर्माण विभाग की अधितर फाइलें आॅडिट विभाग में आॅडिट के लिए भेजी ही नहीं जाती थी, लेकिन जब कई बार पत्राचार किया तब जाकर कुछ फाइलें भेजी जाने लगी थी। वहीं, जिन फाइलों में कुछ गÞडबड़ी होती थी, उसके लिए अधिकारियों के साथ नगरायुक्त को भी पत्र लिखा जाता था, लेकिन उधर से जवाब आना संभव नहीं होता था।
अब ऐसे में दोनों विभागों के बीच जो आमने-सामने का मोर्चा खुला हुआ था, क्या अब नवागत एमएनएलपी अमित भार्गव उसे कैसे बैलेंस बनाऐंगे वह देखना होगा। क्या जिस तरह से निगम में भ्रष्टाचार की लीपापोती के मामले चले आ रहे हैं,ऐसे ही चलता रहेगा या फिर वह आॅडिट विभाग में फाइल की जांच के दौरान जो मामले भ्रष्टाचार के पकड़ में आयेंगे उन मामले में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करा पायेंगे।