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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज शुक्रवार को देशभर में वट सावित्री व्रत पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ विधि-विधान से इस त्योहार को मनाती हैं। पौराणिक गाथा के अनुसार, माता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। इसलिए महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस दिन यह व्रत रखती हैं।
ऐसें करें पूजन
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वट सावित्री पर्व के दिन बांस की दो टोकरी लें, उसमें गेंहू, चावल, तिल,कांगुनी, सॉवा भर लें। उन दोनों में से एक पर ब्रह्मा और सावित्री व दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें। यदि उनकी प्रतिमाएं न हो तो मिट्टी या कुश में ही परिकल्पित कर स्थापित करें।
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अब बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर ब्रह्मा-सावित्री और उसके बाद सत्यवान-सावित्री का पूजन करें। सावित्री के पूजन में सौभाग्य वस्तुएं चढ़ाएं। अब माता सावित्री को अर्घ्य दें। इसके बाद बरगद के पेड़ का पूजन करें।
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बरगद के पेड़ के पूजन के बाद उसकी जड़ों में जल चढ़ाएं। फिर पेड़ की परिक्रमा करते हुए उसके तने पर 108 बार कच्चा सूत लपेटें। यदि इतना न कर सकें, तो 28 बार अवश्य परिपालन करें और अंत में वट सावित्री व्रत की कथा सुनें।
इस व्रत का क्या है महत्व
बता दें कि, इस व्रत प्राचीन समय से बरगद के पेड़ की पूजा करने रीती चली आ रही है। बताते हैं कि, इस व्रत से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि, बरगद के पेड़ ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था, जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके।
इसलिए वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
आइए जानते है कुछ व्रती महिलाओं से इस त्योहार का महत्व
मेरठ स्थित बहादुर मोटर की रहने वाली पूजा शर्मा ने बताया कि, इस परंपरा का निर्वहन हम सभी का कर्तव्य है। जब मैं शादी करके ससुराल गई तो मेरी सास वट सावित्री व्रत रखती थीं। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मैंने भी इस व्रत रखना शुरू किया। व्रत से आत्म संतुष्टि मिली।
दूसरी ओर दिव्या शर्मा कहती हैं कि, वट सावित्री व्रत पति के प्रति सम्मान प्रकट करने का जरिया है। हम अपनी परंपरा को भी आगे बढ़ाते हैं। सुहाग की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है। व्रत को रखने से मन को शांति भी मिलती है।
परतापुर निवासी श्रीमति दुर्गेश ने बताया कि, हिंदू धर्म में मान्यता है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है। त्रिदेव से अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ ये व्रत शादी के बाद से ही रख रही हूं।
वहीं, रिना देवी ने कहा कि, यह सिर्फ वट सावित्री ही नहीं सभी तरह के व्रत और त्योहार हमारी जिंदगी, समाज और राष्ट्र के लिए मायने रखते हैं। वट सावित्री का व्रत पति-पत्नी के बीच में विश्वास को बढ़ाता है।
साथ ही सरिता देवी का कहना है कि, आज के समय में जब रिश्ते कमजोर हो रहे हैं तो ये तीज-त्योहार इसे और मजबूती देते हैं। पति-पत्नी के बीच विश्वास बढ़ता है तो उसका सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है।
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