नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा का विधान है। यह प्रायः भादो मास के शुक्ल पक्ष में पड़ता है।
आज मंगलवार 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती धूमधाम के साथ दुनियाभर में मनाई जा रही है। आइए जानते हैं, विश्वकर्मा पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और उपयोगी जानकारियां।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण, रचना और सृजन देवता माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष रूप से कारीगर, शिल्पकार, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और निर्माण कार्य से जुड़े लोगों और संस्थानों द्वारा की जाती है। मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन औजारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है और कार्य सुचारू रूप से चलता है और सफलता मिलती है।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार विश्वकर्मा पूजा रवि योग में पड़ रही है। 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त के दिन रवि योग में सुबह 6:07 बजे से है, जो दोपहर 1:53 बजे तक है। हिंदू नियम के अनुसार, आज सभी औजारों और मशीनों के कलावा बांधें एवं मिठाई से पूजा करते हुए उनकी आरती करें। पूजा के दौरान “ॐ विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का उच्चारण करें। उसके बाद सभी को प्रसाद वितरित करें। ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।
क्या करें, क्या न करें
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विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दिन खुद भी इस उपकरण का इस्तेमाल न करें और दूसरों को न करने दें।
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चूंकि विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन इनका अपमान भूल कर भी नहीं करना चाहिए।
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इस शुभ अवसर पर ऑफिस, दुकान और फैक्ट्री की साफ सफाई अच्छे ढंग से करनी चाहिए और हर जगह गंगाजल का छिड़काव जरूर करना चाहिए।
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विश्वकर्मा पूजा के दिन सामर्थ्य के अनुसार भोजन, वस्त्र या धन का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ प्राप्त होता है।
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