- मेडिकल में स्टाफ के व्यवहार से परेशान है तीमारदार, मरीजों के बारे में नहीं देते सही से जानकारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शासन द्वारा भले ही लाख दावें किए जा रहे हो सरकारी अस्पतालों में मरीजों के देखभाल अच्छे से की जा रही हो, लेकिन जमीनी स्तर के हालात कुछ और ही नजर आते है। जिसका नजारा लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में देखने को मिलेगा। जहां पर हर रोज बड़ी संख्या में मरीजों को भर्ती कराने के लिए तीमारदार अन्य जनपदों से लेकर आते है। मगर अस्पताल में बेड उपलब्ध न होने के बात कहकर अस्पताल प्रबंधन मरीजों को वापस भेज देता है। जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
भर्ती होने के बाद नहीं हो रही सही देखभाल
पहले तो तीमारदारों को मरीजों को अस्पतालों में बेड दिलाने के लिए जुझना पड़ता है। तमाम सिफारिसों के बाद जैसे-तैसे बेड का इंतजाम होता है, उसके पश्चात मरीजों की देखभाल नहीं होती। जिस वजह से हर रोज अस्पतालों में हंगामा होता रहता है। तीमारदार आदिल ने बताया कि उनके मरीज को सांस लेने में परेशानी है। इसलिए उन्होंने अपने मरीज को मेडिकल में भर्ती कराया।
जब वह मेडिकल स्टॉफ से मरीज के हालत के बारे में पूछते है तो कर्मचारी अटपटे जबाव देता है। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि मरीज के आॅक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था भी खुद ही करनी पड़ रही है। इसी तरह से वसीम ने बताया कि उनके भाई को कोविड-19 वार्ड में भर्ती कराया है। पहले तो बेड ना होने की बात कही गयी, लेकिन उन्होंने जान पहचान वालों से बात करके भर्ती कराया।
इलाज चल रहा है, लेकिन डॉक्टर समय पर देखने नहीं आते। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह से हालात रहे तो वह अपने भाई को यहां से डिस्चार्ज कराएंगे। दरअसल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार दावा करते है कि मेडिकल में किसी भी तीमारदार को बाहर से आॅक्सीजन की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती। जबकि तीमारदार आॅक्सीजन के सिलेंडर को लेकर मेडिकल में ही भटकते रहते हैं।