- ये तीनों क्लर्क हो चुके हैं एमडीए से सेवानिवृत्त आडिट विभाग ने लगाई आपत्ति
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण के तीन क्लर्कों से 60 लाख की वसूली की जाएगी। ये तीनों क्लर्क सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आडिट टीम ने इन तीनों क्लर्कों पर गलत तरीके से ज्यादा वेतन लेने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट लगाई है, जिसके बाद ही एमडीए के अधिकारियों की नींद टूटी। एमडीए अधिकारी अब मान रहे है कि वेतन स्केल ज्यादा लग गया था, जो नियम विरुद्ध लगा है।
मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) में वरिष्ठ क्लर्क रमाशंकर वर्मा, सरोज व शशी त्यागी को गलत तरीके से वेतन स्केल में वृद्धि करना एमडीए स्थापना अनुभाग मान रहा है। इसको लेकर तीनों क्लर्कों को नोटिस भी दिये गए थे, लेकिन तब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बाद में लखनऊ से आयी आडिट टीम ने आडिट किया तो उसमें भी यह घालमेल होना पाया गया था। आडिट टीम ने भी ही तीनों क्लर्कों को दिये जा रहे वेतन को लेकर आपत्ति दर्ज करते हुए नॉट लगा दिये थे। इसके बाद ही एमडीए अधिकारी हरकत में आये।
लखनऊ व अन्य प्राधिकरण से भी वेतन स्केल वृद्धि को लेकर पत्र व्यवहार किया गया था। पत्रव्यहार के बाद ये तथ्य सामने आया कि मेरठ विकास प्राधिकरण में जो वेतन वृद्धि 1988 में की गई, वह गलत थी, यह नियम विरुद्ध थी। इसको लेकर एमडीए के अधिकारियों ने इसके बाद ही क्लर्कों के वेतन को रोक दिया था।
प्राधिकरण के अधिकृत सूत्रों का कहना है कि 1988 से ही ये तीनों क्लर्क स्केल के नियम से ज्यादा वेतन एमडीए से पा रहे थे। इस तरह से करीब बीच लाख से ज्यादा एक क्लर्क एमडीए के खजाने से रुपये प्राप्त कर चुके हैं, जिसके चलते अब एमडीए ने तीनों क्लर्कों को नोटिस जारी कर गलत तरीके से लिये 60 लाख रुपये की रिकवरी आदेश जारी कर दिये हैं।
एक क्लर्क को 20 लाख रुपये देने होंगे। अब बड़ा सवाल यह भी है कि जो तीनों क्लर्क रामशंकर वर्मा, शशी त्यागी और सरोज सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनकी ग्रेजुएटी भी एमडीए ने रोक ली है। इनकी ग्रेजुएटी भी करीब-करीब 60 लाख तीनों की बैठ रही है।
ग्रेजुएटी रोकने के बाद तीनों क्लर्कों में हड़कंप मच गया। अधिकारियों से भी सेवानिवृत्त क्लर्क एमडीए वीसी मृदुल चौधरी से भी मिले, लेकिन इनको राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। क्योंकि आॅडिट टीम की रिपोर्ट के चलते फाइल लटक गई है। इसमें प्राधिकरण उपाध्यक्ष भी कोई निर्णय नहीं ले सकते।
कोर्ट में पहुंचे दो क्लर्क
ग्रेजुएटी नहीं मिलने पर सेवानिवृत्त क्लर्क सरोज व शशी त्यागी न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं। इन दोनों का कहना है कि तत्कालीन वीसी कुंवर फतेहबाहुदर के आदेश के बाद ही उन्हें यह वेतन मिल रहा था। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। अधिकारियों के आदेश के बाद ही इस स्केल से वेतन पा रहे थे।
अब वो रिटायर्ड हो गए है तो दिक्कत पैदा हो गयी है। इसके बाद ही उनकी ग्रेजुएटी नहीं दी जा रही है। इसमें न्यायालय की शरण में जाकर न्याय की गुहार लगाते हुए रोकी गई गे्रजुएटी को दिलाने की मांग की है। फिलहाल इसको लेकर कोई निर्णय न्यायालय का नहीं आया है।
सात माह से जेई को नहीं मिली ग्रेजुएट
अवर अभियंता राजेश त्यागी सात माह पहले सेवानिृवत्त हुए थे। उन्हें तब से ग्रेजुएटी नहीं मिली है। सिर्फ 10 लाख रुपये दिये गए हैं, जबकि शासन के नये आदेश है कि 20 लाख रुपये ग्रेजुएटी दी जाएगी।
सोमवार को भी राजेश त्यागी एमडीए आफिस पहुंचे तथा अपनी शिकायत लिखित में दी। उनका आरोप कि सात माह से लगातार परेशान किया जा रहा है।
यदि इसी तरह से उसे परेशान किया जाता रहा तो वह कमिश्नर आफिस में धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उनका कहना है कि सेवानिवृत्त होने के तत्काल बाद में ग्रेजुएटी व पेंशन आदि का कार्य पूर्ण कर देना चाहिए, लेकिन यहां पर परेशान किया जा रहा है।