Monday, June 30, 2025
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डीजी खुफिया ने लिया संज्ञान, सीओ को सौंपी जांच

  • फर्जी पासपोर्ट का मामला: खुफिया एजेंसी फेल
  • एजेंटों का खेल शीर्षक से प्रकाशित की थी खबर
  • फर्जी पासपोर्ट बनवाने में स्थानीय एलआईयू दारोगा पर खड़े हुए सवालिया निशान
  • पांच साल से मठाधीश दारोगा कर रहा है जांच के नाम पर एजेंट से वसूली

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मवाना नगर क्षेत्र में फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले एजेंटों से सांठगांठ करने वाले मवाना तहसील क्षेत्र में तैनात एलआईयू दारोगा ने पासपोर्ट बनवाने से पहले जांच के नाम पर हजारों रुपये की वसूली का आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। जनवाणी ने सोमवार के अंक में खुफिया तंत्र फेल, एजेंटों का खेल शीर्षक से खबर प्रकाशित किये जाने के बाद मंगलवार को लखनऊ खुफिया एजेंसी से जुडे डीजी ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते कडी नाराजगी जाहिर कर जिला मुख्यालय पर तैनात स्पेशल एजेंसी सीओ से एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग पासपोर्ट जारी होने की जानकारी लेते हुए गंभीरता से जांच कर रिपोर्ट मांगी है।

वहीं, ट्विटर हैडंल चलाने वाले संचालकों ने जनवाणी खबर को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों को टैग कर मामले की जांच कराने की मांग उठाई है। आरोप है कि तहसील मवाना में करीब पांच साल से मठाधीश बने बैठे खुफिया विभाग के दारोगा ने नगर में एजेंट छोड़ रखे हैं। जिनके द्वारा जांच के नाम पर अवैध वसूली कराई जा रही है। एटीएस की टीम ने भी एक व्यक्ति के नाम से दो फर्जी पासपोर्ट बनने की बात गले से उतरती हुए नजर नहीं आ रही है।

फर्जी पासपोर्ट तैयार होने के बाद स्पेशल इंटेलीजेंस से लेकर आईबी अधिकारी लखनऊ से घनघनाई घंटी के आधार पर पूरे प्रकरण की जांच अपने स्तर से कर रहे हैं। जिसके बाद रिपोर्ट लखनऊ डीजी खुफिया कार्यालय में भेजी जाएगी। मवाना के मोहल्ला कल्याण सिंह अटोरा रोड निवासी मुंशी पुत्र सिराजुदीन ने अपनी अलग-अलग दस्तावेज के आधार पर दो फर्जी पासपोर्ट बनवाने में कामयाब होने के पीछे स्थानीय खुफिया विभाग से जुडेÞ दारोगा की बड़ी लापरवाही उजागर होने के बाद एटीएस की टीम ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए गत दिनों थाना मवाना पहुंची थी। एटीएस ने खुफिया एजेंसी से जुड़े दारोगा जितेन्द्र कुमार एवं एजेंट की मिलीभगत सामने आने की बात उच्चाधिकारियों को बताई जाने के बाद पुलिस एवं खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया।

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मवाना के मुंशी पुत्र सिराजुद्दीन ने सर्वप्रथम आधार कार्ड से वर्ष 2012 में मुंशी नाम से अपना पासपोर्ट बनवाया था, लेकिन इसी के विपरीत वर्ष 2020 में एलआईयू दारोगा से एजेंट ने मिलीभगत कर आधार कार्ड में मुंशी से अपने नाम में फेरबदल कर मोहम्मद मुंशी पुत्र सिराजुद्दीन करने के बाद दूसरा फर्जी पासपोर्ट बनवाने में कामयाब हो गया। एक वल्दियत और फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले युवक का अलग-अलग होने की बात एटीएस की पकड़ में आने के बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया।

पुलिस को अवगत कराने पर फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले मुंशी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मामले की कड़ी खुलती चली गई। फर्जी दस्तावेज पर पासपोर्ट बनने की बात गले से उतरती हुए नजर नहीं आ रही है। जनवाणी ने सोमवार के अंक में खुफिया तंत्र फेल एजेंटों का खेल शीर्षक से प्रकाशित किये गये समाचार की गूंज लखनऊ तक पहुंचने के बाद खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गयी है। लखनऊ खुफिया विभाग से जुडे डीजी ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए नाराजगी जताते हुए स्पेशल खुफिया क्षेत्राधिकारी से प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट मांगी है।

फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले आरोपी मुंशी पुत्र सिराजुद्दीन ने पुलिस हिरासत के दौरान एटीएस टीम को बताया कि स्थानीय एलआईयू दारोगा एवं एजेंट ने मिलकर हजारों रुपये लेने के बाद जांच भेजी गई थी। पुलिस द्वारा जेल भेजे गए फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले आरोपी मुंशी पुत्र सिराजुद्दीन के खिलाफ थाना मवाना में विद्युत विभाग संबंधित मुकदमे भी दर्ज बताए जा रहे हैं। बावजूद इसके बिना जांच करे दूसरा फर्जी पासपोर्ट बन गया है, जोकि विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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