Sunday, September 8, 2024
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आरटीओ में संविदा कर्मी कर रहे खेल

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  • पहले भी संविदा कर्मियों पर उठती रही अंगुलियां

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आरटीओ में संविदा कर्मी बड़ा खेल कर रहे हैं। पहली बार ऐसा नहीं हुआ, इससे पहले भी संविदा कर्मी घालमेल करते हुए पकड़े जा चुके हैं। कुछ संविदा कर्मी है तो कुछ बाहरी युवकों को कंप्यूटर पर बिना वेतन के ही रखा हुआ हैं। जब इनको वेतन सरकार से नहीं मिल है तो क्या भ्रष्टाचार कर इनको वेतन दिया जा रहा हैं? इनको कंप्यूटर पर रखने के लिए क्या शासन स्तर से अनुमति मांगी गई हैं? यदि अनुमति नहीं ली गई है तो प्राइवेट लोगों को कंप्यूटर पर कैसे बैठाकर रखा गया हैं?

इनके हाथ में गोपनीय दस्तावेज कैसे दिये जा रहे हैं? इसके लिए जवाबदेही निर्धारित होनी चाहिए, लेकिन आरटीओ में कर्मचारी बेलगाम हैं। यहां सेटिंग का खेल चल रहा हैं, जिसके चलते नियम तो फ्लो होते ही नहीं हैं। गोपनीय फाइल भी दलालों के हाथ में होती हैं। जो आॅफिस से बाहर लिये हुए घूमते रहते हैं। इस पर कोई रोकटोक नहीं हैं। इसके लिए जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं। जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली तो आरटीओ में भी दलालों की दुकानों के शटर बंद हो गए थे। कुछ दिनों तक दलालों के शटर बंद ही रहे।

इसके बाद फिर से धीरे-धीरे दलालो की एंट्री आरटीओ आॅफिस में हो गई, जिसके बाद से ही दलाल आरटीओ आॅफिस का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि शासन स्तर से स्पष्ट आदेश है कि दलाल ‘राज’ खत्म होना चाहिए। इसके लिए आॅन लाइन सिस्टम भी चालू किया गया, लेकिन फिर भी दलाल के बिना आरटीओ आॅफिस में कुछ नहीं होता हैं। ड्राइविंग लाइसेंस हो या फिर एनओसी, ये सभी दलाल के माध्यम से ही मिलती हैं। आप हर रोज आरटीओ आॅफिस आये, लेकिन काम होगा ही नहीं।

जहां दलाल को फाइल दी तो सुबह फाइल दी शाम को काम होने के बाद आपके हाथ में होगा। इतनी फास्ट सेवा दलालों की चल रही हैं। दलालों की सेटिंग संविदा कर्मियों से है। प्रत्येक फाइल पर कोड लिख दिया जाता हैं, जिसके बाद फाइल के साथ पैसे का आदान-प्रदान नहीं होता हैं, बल्कि शाम को आॅफिस आॅफ होने के बाद ही दलाल हिसाब करने के लिए आरटीओ में पहुंचते हैं। किस दलाल की कितनी फाइल थी, उसके हिसाब से पैसा लिया जाता हैं। इसमें पूरी ईमानदारी दलाल और आरटीओ आॅफिस के क्लर्क करते हैं।

इस तरह से बड़ा खेल आरटीओ में चल रहा हैं। ये इतना बड़ा भ्रष्टाचार है कि इसको रोकने के लाख प्रयास किये, मगर कार्रवाई कुछ नहीं हुई। एक बारगी तो पुलिस कुछ दलालों को उठाकर ले गई थी, जिसके बाद से तो दलालों पर आफत आ गई थी। फिर दलाल दिखाई नहीं दिये, लेकिन अब फिर से दलालों की एंट्री आरटीओ आॅफिस में प्रत्येक सीट पर हो रही हैं। फाइलों को लेकर दलाल सीटों के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं, जिसके वीडियो ‘जनवाणी’ के पास सबूत के तौर हैं।

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