Friday, September 20, 2024
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अहोई अष्टमी: बेटियों के लिए भी रखती हैं व्रत

रविवार को मनाया जाएगा अहोई अष्टमी का पर्व

माताओं का कहना बेटा और बेटी एक समान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: हिंदू परंपराओं में प्राचीन काल से ही माताएं अहोई अष्टमी का व्रत करती है। इसे होई के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यह व्रत पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए माताएं करती हैं, लेकिन अब इस परंपरा में बदलाव आ गया है। माताएं अब अपनी पुत्री की लंबी उम्र की कामना के लिए ही यह उपवास करने लगी है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने वाले अधिकांश हिंदू वर्गो में अहोई अष्टमी का व्रत काफी प्रचलित है। दीवाली से आठ दिन पहले और करवाचौथ के चार दिन बाद आने वाले इस व्रत को महिलाएं पुत्र की दीर्घायु के लिए रखती है। इस दिन पूरी आस्था के साथ अहोई माता की पूजा की जाती है।

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सदर निवासी रीना सिंघल का कहना है कि मेरी बेटी बेटे से बड़ी हैं,लेकिन मैने उसके होने के बाद से ही अहोई का व्रत शुरु कर दिया था। क्योंकि बेटों की सुख समृद्धि ही क्यों बेटियां भी तो अपनी होती है। बेटा और बेटी एक समान होते है। इसलिए व्रत रखकर उनकी सुख समृद्धि की भी तो कामना करनी चाहिए।

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अमिता शर्मा का कहना है कि वह अपनी बेटी के लिए अहोई अष्टमी का उपवास रखती है और यह व्रत चांद को देखकर खोला जाता है। यह व्रत बच्चों की सुख समृद्धि के लिए होता है।

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योगिता के तीन बच्चे हैं,जिसमें दो बेटियां और एक बेटा हैंं,लेकिन वह बेटे के साथ ही अपनी बेटियों की लंबी उम्र की कामना के लिए यह उपवास रखती है। क्योंकि अब इस प्रथा में बदलाव आ चुका है। बेटियां भी बेटों के समान होती है।

Taradeviतारा अपनी बेटियों की सुख समृद्धि के लिए लंबे समय से अहोई अष्टमी का उपवास कर रही है। उनका कहना है कि बेटियां भी बेटों की तरह माता-पिता के लिए एक समान होती है तो केवल बेटों के लिए ही व्रत क्यों। बेटियों के लिए भी तो करना चाहिए।

Nidhi e1604679417413निधि का कहना है कि बेटे और बेटियों में आज कोई फर्क नहीं है। बेटियों के लिए भी यह व्रत महत्वपूर्ण होता है। इसलिए मैं यह व्रत करती हूं।

Pratibha e1604679486540सदर निवासी प्रतिभा का कहना है कि वह अहोई अष्टमी का व्रत अपनी बेटी के लिए करती है। ताकि उसके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहे। वह धूमधाम से इस पर्व को मनाती है।

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रीना ने बताया कि आज के समय में बेटा और बेटी में फर्क करना गलत है। परंपराएं बदल गई है और बेटों की तरह बेटियां भी आगे बढ़ रही है तो उनके लिए मंगल कामना करना भी हमारा फर्ज है। इसलिए मैं अपनी बेटियों के लिए अहोई का व्रत करती हूं।

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