दुनिया में कोरोना को लेकर हाहाकार मची हुई है और हमारे देश में स्थिति हर रोज कितनी खतरनाक होती जा रही है यह सबको भलीभांति पता है, लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में आईपीएल खेला जा रहा है। इसको लेकर हमारे देश के तंत्र को शर्म नहीं आ रही, लेकिन आईपीएल फ्रेंचाइजी में बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी की टीम राजस्थान रॉयल्स के खिलाडी एंड्रयू टॉय ने बीच में ही छोड़कर आस्ट्रेलिया वापिस चल गए। एंड्रयू ने कहा कि ‘इंडिया में इतने लोग मर रहे हैं और आईपीएल में अरबों रुपयों की बर्बादी हो रही है, लोग यहां बुनियादी सुविधाओं से तड़प कर दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में यदि लोगों की जान बचाने में इतना पैसा लगाया जाए तो कई गरीब व जरूरतमंदों की जान बचाई सकती है। इसके अलावा यह भी कहा कि यदि इस खेल की वजह से लोगों की जनता की परेशानी व तनाव कम होता हो तो इसका फायदा भी समझ आता है, लेकिन इससे ऐसा कुछ नही हो पा रहा।’
क्रिकेट हो या सिनेमा यह सब दर्शकों के पैसों से ही चलते हैं और यदि दर्शक के रूप में जनता ही मरती रहेगी तो यह सब कैसे चलेगा? एक मैच में करोड़ों रुपये की टिकट बिकते हैं, जिससे विज्ञापन कंपनियों और टीम को फायदा होता है। पूरी दुनिया में आईपीएल जैसा खिताब केवल हमारे देश में ही होता है जहां देशी-विदेशी खिलाड़ियों को खरीदा जाता है और जो फ्रेंचाइजी जिस खिलाड़ी को अधिक पैसा देती है वो उसकी ओर से खेलता है। जैसा कि आईपीएल का आयोजन देश की पूंजीपतियों द्वारा किया जाता है, जिसमें खिलाड़ियों को मोटी रकम दी जाती है और इस पूरी आयोजन को संचालित करने करोड़ो-अरबों खर्च होता है।
आॅस्ट्रेलियाई खिलाड़ी द्वारा की गई बात को हर किसी का समर्थन मिल रहा है, चूंकि बात भी सही है। आर्थिक तंगी, आॅक्सीजन व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव पर इंसान बेमौत मर रहा है। यदि इतना पैसा लोगों के उत्थान के लिए लगाया जाए तो देश की तस्वीर बदल सकती है। साथ ही जहां एक पूंजीपति व बुद्धिजीवी वर्ग आईपीएल को संचालित करने में अपने मस्तिष्क को खर्च कर रहा है, यदि वो कोरोना से लड़ने के लिए सोचेंगे तब भी एक बड़ी मदद मिल सकती है। ऐसे समय में देश में कोई खेल संबंधित आयोजन करना वैसे भी गलत है, चूंकि संक्रमण से कब, कौन व कहां संक्रमित हो जाए नहीं पता। इसमें आईपीएल को संचालित करने वाले लोग व खिलाडियों को भी जान का खतरा है।
कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है, जिसकी वजह से दुनियाभर में सभी आयोजन स्थगित कर दिए गए हैं, लेकिन हमारे देश में सिर्फ वो काम रोके गए हैं, जिससे आम जनता को नुकसान हो। पश्चिम बंगाल समेत अन्य कुछ राज्यों में चुनाव इस बात का सजीव उदाहरण है। बहराहल, कहने व सुनने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन अब मानवता व समझदारी का परिचय देते हुए जनता को बचाने की जरूरत है। मानव जीवन पर हो रहे प्रहार को रोकने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को बिना राजनीति किए देश को संकट से बाहर निकलना चाहिए।
आईपीएल जैसे इवेंट हर वर्ष होते रहेंगे। देश जिस बदहाली से गुजर रहा है, उसमें किसी भी प्रकार का कृत्य सरकार व क्रिकेट बोर्ड का सम्मान कम हो रहा है। देश में आईपीएल की शुरुआत 2008 में हुई थी और उस समय विशेषज्ञों ने कहा था कि इस तरह के खेल फॉरमेट से मनोरंजन कम सट्टेबाजारी ज्यादा बढ़ेगी और हुआ भी यही था। इसमें हमेशा क्रिकेट का जूनून किसी दूसरे देश के साथ ही खेलने से आता है। एक ही टीम में किसी भी देश का खिलाड़ी खेलेगा तो वह रोमांच नहीं बचता।
इसके अलावा जब इस खिताब की शुरुआत हुई थी तो क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने कहा था कि आने वाले समय में क्रिकेट जगत को भारी नुकसान हो सकता है। चूंकि किसी भी देश व खिलाड़ी की अपनी एक्सक्लूसिव टेक्निक होती है, जो आईपीएल के मैचों में खेलकर बाहर आ रही है। हालांकि इसका नुकसान व फायदा दोनों ही हैं। बहराहल, पूरी दुनिया में क्रिकेट को सबसे ज्यादा हमारा देश में पसंद किया जाता है लेकिन कोरोना के चलते अब बहुत कुछ बदल रहा है। मौजूदा स्थिति में हमारे यहां हजारों लोगों का मरना जारी है। दवाइयों, बेड व शवों को जलाने या दफनाने तक पर कालाबाजारी चल रही है।
प्राइवेट अस्पताल कोरोना के मरीजों को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाने की हिदायत दे रहा है। परिजनों से कहा जा रहा है कि कहीं से भी इंजेक्शन की व्यवस्था करो, लेकिन कहीं भी यह इंजेक्शन आराम से उपलब्ध नहीं हो पा रहा! जहां मिल भी रहा है, कालाबाजारी में इसका दाम 30 हजार के पार पहुंच गया! कोरोना का इलाज अब लाखों में पहुंच रहा है। सरकारी तंत्र चाहे कितनी भी बातें बना ले, लेकिन धरातल पर सच्चाई बेहद गंभीर है। आखिर कहां से लाएं इंजेक्शन? किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा। इसके जहां सरकारी स्टोर बना रखे हैं, वहां स्टॉक नहीं रहता! लोग घंटों तक लाइन में लगकर निराश आ रहे हैं। इसके लिए सरकार को बेहद गंभीरता से काम करने की जरूरत है जिससे लोगों की जान बच सके!