Thursday, April 25, 2024
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गर्म मौसम में सावधानी बरतें

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ब्लडप्रेशर और हृदय रोगी

गर्मियों का मौसम ब्लड प्रेशर के रोगियों और हृदयरोग के पीड़ितों की परेशानियां बढ़ा सकता है। शरीर का तापमान हमेशा 98.6 डिग्री फेरनहाइट के आसपास रहता है। यही वह तापमान है जब हमारा शरीर अपनी सर्वोच्च कार्यक्षमता से काम कर सकता है। यदि शरीर का तापमान बढ़ता है तो वह स्वयं का तापमान नियंत्रित करने का प्रयास करता है। पसीना निकलना तापमान को नियंत्रित करने की सबसे मुख्य प्रक्रिया है। पसीना निकलने के बाद जब वाष्पित होता है तो शरीर का तापमान ठंडा होने लगता है। इस प्रक्रिया में दिल की धड़कनों की गति बढ़ जाती है। रक्त धमनियां चौड़ी हो जाती हैं। इसी तरह ब्लड प्रेशर भी लो हो जाता है।

ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों के इलाज में ‘बीटा ब्लाकर्स’ और मूत्रवर्धक दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं शरीर में तापमान को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं पर असर डालती हैं। पसीने के साथ नमक भी निकल जाता है। कुछ मरीज चिकित्सकों की सलाह के बगैर ही गर्मियों में नमक की मात्रा यह सोचकर बढ़ा देते हैं कि पसीने में निकले नमक की पूर्ति हो जाएगी। ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारियों से संबंधित दवाओं का बदलाव हमेशा चिकित्सक की सलाह से ही करें।

ठंडे पानी से नहाए

गर्मी के वक्त हमें ठंडे पानी से नहाना चाहिए। कभी भी गर्म महसूस हो तो ठंडे पानी से नहाए, दिल को भी फायदा होता हैे

पानी खूब पिएं

हार्ट के रोगियों को गर्मी में खूब पानी पीना चाहिए। इससे हमारे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर आ जाते हैं। गर्मी में हार्ट के रोगियों को 6 से 7 लीटर से ज्यादा पानी पीना चाहिए इससे दिल स्वस्थ बना रहता है।

डिहाइड्रेशन और दिल का दौरा

तपतपाती गर्मी में दिल के दौरे अधिक बढ़ने का मुख्य कारण डिहाइड्रेशन है, जिसे लोग आमतौर पर नजरअंदाज करते हैं, लेकिन यह जानलेवा बन सकता है। अधिक गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन से ग्रस्त व्यक्तियों को दिल का दौरा पड़ने की आशंका बहुत अधिक होती है। बहुत अधिक समय तक तेज धूप या गर्मी में रहने पर ब्लड प्रेशर में गिरावट आ जाती है। वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण गर्मी के दिनों में दिल के मरीजों के लिए खतरे और बढ़ गए हैं। डिहाइड्रेशन की वजह से हमारे शरीर में सोडियम और पोटे शियम की मात्रा में गड़बड़ी पैदा हो जाती है।

डाइट में करें सुधार, नाश्ता जरूर करें

सुबह के नाश्ता बेहद जरूरी है, इसमें अगर आप अंकुरित अनाज लें तो यह शरीर के लिए अच्छा होता है। चने और मूंगफली के दाने भिगोकर खाने से भी शरीर को काफी ऊर्जा मिलती है और यह फैट भी नहीं बढ़ाते। कम वसा, कोलेस्ट्रॉल और नमक वाले खाद्य पदार्थ खाएं। सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन हृदय की रक्षा में सहायता होते हैं। छिलके वाले अनाज, फल, फलियां, सब्जियां, बीज और नट्स अपने आहार में शामिल करें और हृदय की बीमारियों से दूर रहें।

लू न लगने दें

लू लगने को हीट स्ट्रोक भी कहा जाता है। तेज गर्मी के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। पसीने के साथ नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकल जाता है। इससे खून गर्म हो जाता है। कभी कभी मरीज का तापमान 105 डिग्री फेरनहाइट तक हो जाता है। मरीज को सिर में भारीपन महसूस होता है। नाड़ी की गति बढ़ने लगती है। खून की गति भी तेज हो जाती है। सांस की गति अनियंत्रित हो जाती है। शरीर में ऐंठन होने लगती है। तेज बुखार हो जाता है। हाथ और पैरों के तालुओं में जलन होने लगती है। आंखों में जलन होती है साथ ही अचानक बेहोशी भी आने लगती है। उपचार नहीं होने की दशा में मरीज की मौत भी हो सकती ह

अधिक गर्मी है घातक

जिन मरीजों को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत है या दिल की किसी बीमारी से जूझ रहे हों तो उन्हें अधिक सावधानी रखने की जरूरत है। अत्यधिक गर्मी में दिल की धड़कनों की गति इतनी बढ़ सकती है कि ब्लड प्रेशर खतरे की सीमा तक कम हो सकता है।

इस तरह करें बचाव

  • तेज धूप में बहुत जरूरी हो तो ही बाहर निकलें अन्यथा सुबह या शाम को ही बाहर जाएं।

  • नियमित अंतराल पर प्यास न भी लगे तब भी पानी पीते रहें।

  • जिन मरीजों को किसी वजह से पानी की मात्रा कम रखने की सलाह दी गई हो उन्हें चिकित्सक से पूछ कर ही पानी की मात्रा तय करना चाहिए।

  • ढीले और सूती वस्त्र ही पहनें।

  •  तेज धूप और गर्मी में अत्यधिक शारीरिक श्रम न करें।

  • ब्लड प्रेशर लो होने पर थकान होती है और पसीना आता है साथ ही दिल की धड़कन भी तेज हो जाती है। इन लक्षणों के सामने आते ही अस्पताल जाएं।

  • मरीज के शरीर को ठंडा रखें और उसे लगातार पानी या ओआरएस का घोल पिलाते रहें।

  • कमरे के पंखे या एसी बंद न करें।

  • यदि मरीज होश में हो तो उसे नहला सकते हैं। इससे उसके शरीर का तापमान कम हो जाएगा। ,

-डॉ. योगेश शाह, डायबिटोलॉजिस्ट


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