- हापुड़ चौराहे के पास क्षतिग्रस्त डिवाइडर, जिम्मेदार अनजान
- शिकायत के बावजूद नहीं हो रही कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा को सुंदर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। सुंदर शहर बनाने की योजनाएं तैयार कर ली गई हैं। बड़े-बड़े कार्यक्रमों से बड़े-बड़े वादे व दावे सुंदर शहर के लिये किये गये हैं। प्रशासन कई कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छ व सुंंदर मेरठ शहर की बात करता है, लेकिन वर्तमान हालातों पर किसी का ध्यान नहीं है। हमें भविष्य की योजनाओं को बनाने के साथ-साथ शहर के वर्तमान हालातों का भी ध्यान रखना चाहिये, जिससे आमजन को रोज-रोज जूझना पड़ता है।
हम बात कर रहे हैं शहर की यातायात व्यवस्था के दौरान डिवाइडरों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे उन आमजनों की जो शहर की सड़कों के बीचों बीच इसलिये निर्मित किये गये हैं, ताकि सुलभ और सुरक्षित यातायात जनमानस को उपलब्ध हो सके, लेकिन शहर के अतिव्यस्तम इलाके हापुड़ चौराहे पर बना डिवाइडर क्षतिग्रस्त हालत में जिम्मेदारों की पोल खोलने के लिए काफी है। यह क्षतिग्रस्त डिवाइडर न केवल मेडा की पोल खोल रहा है, बल्कि वाहन चालकों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। इस क्षतिग्रस्त डिवाइडर पर न तो रेडियम पट्टिका लगाई गई है।
जिससे यह डिवाइडर और भी अधिक भयावह हो गया है। न कि इसलिये कि ये डिवाइडर किसी के लिये जानलेवा बन जायें। अक्सर हमने व आपने देखा होगा कि जिन शहरों में सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर बनाये जाते हैं। उनके रखरखाव व उनका सही ढंग से प्रबंधन का जिम्मा भी मेडा या फिर नगर निगम का होता है। समय-समय पर उनकी रंगाई-पुताई किया जाना। उन पर रेडियम पट्टिका लगी होना ताकि रात के समय लाइट न होने के बावजूद गाड़ी की रोशनी पड़ने पर वह वाहन चालक को स्पष्ट नजर आ सकें।
मेडा ने शहर के मेन्टीनेंस के नाम पर लाखों रुपये की राशि शासन-प्रशासन द्वारा भेजी जाती है। बावजूद इसके शहर के इन डिवाइडरों की हालत बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुकी है। सड़क के गड्ढों से खुद को बचाते हैं तो डिवाइडर मुसीबत बन जाता है एक तो क्रांतिधरा की गड्ढेदार सड़कें और ऊपर से बिना रंग-रोगन के रात के अंधेरे में नजर न आने वाले जर्जर व्यवस्था में बने सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर वाहन चालक के लिये परेशानी का सबब तब बन जाता है,
जब वाहन चालक गाड़ी को गहरे गड्ढे में जाने से बचाने का प्रयास करता है। ऐसे में चूंकि सड़क के डिवाइडरों पर न तो रंग रोगन है और न ही रेडियम पट्टिका या किसी प्रकार का संकेत, ऊपर से यदि खराब मौसम या किसी अन्य कारण से सड़क की बिजली गुम हो जाये तो इस डिवाइडर से गाड़ी का टकराना स्वाभाविक हो जाता है। नतीजतन कई लोगों को ऐसे हालातों में डिवाइडरों से दुर्घटनाग्रस्त होते देखा गया है।
डिवाइडरों से रिफ्लेक्टर गायब
डिवाइडरों पर रिफ्लेक्टर न लगे होने के कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। बढ़ते हादसे देखते हुए कई बार विभाग ने रिफ्लेक्टर लगाए है, लेकिन वह भी दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ गए। उसके बाद विभाग ने रिफ्लेक्टर नहीं लगाए। शहर के हापुड़ चौराहे पर बनाए गए डिवाइडर से रेडियम रिफ्लेक्टर पूरी तरह गायब हो चुके हैं।
इस कारण रात के समय वाहन सवारों को यह डिवाइडर नजर नहीं आता। नतीजा अक्सर हादसे हो जाते हैं। रिफलेक्टर नहीं लगाए जाने से डिवाइडर दिखाई नहीं देता है और गाड़ियां डिवाइडर पर चढ़ जाती हैं। शहर के मुख्य मार्गों में भी रिफलेक्टर नहीं हैं। जिसकी शायद मेडा को जानकारी नहीं है।
सुरक्षा की अनदेखी
रैपिड रेल निर्माण कार्य के चलते शहर में भारी वाहनों का दबाव होने के बाद भी यहां पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। हापुड़ चौराहे पर डिवाइडर काफी समय से क्षतिग्रस्त पड़ा है, लेकिन नजर नहीं आता है। ट्रैफिक पुलिस ने भी यहां पर रेडियम और सिग्नल नहीं लगाए हैं। स्ट्रीट लाइट की रोशनी बेहद कम रहती है। न तो रात में गड्ढे नजर आते और न ही डिवाइडर दिखता है। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।