- पांच लाख मुआवजा, किसान की पत्नी को संविदा पर नौकरी व अनाथ हुए बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाएंगा प्रशासन
- ठंड लगने से हुई किसान मौत, डीएम और एसएसपी भी पहुंचे किसानों के बीच
- आठ वर्ष से किसानों को शताब्दीनगर में चल रहा धरना
जनवाणी संवादाता |
परतापुर: जमीन अधिग्रहण की नई नीति से मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे एक किसान की मंगलवार को मौत हो गई। मौत ठंड लगने से होना बताया गया। धरने पर बैठे किसानों ने साथी किसान की मौत होने पर बवाल कर दिया। किसान के शव को धरना स्थल पर रखकर नौ घंटे बवाल किया।
पुलिस शव पोस्टमार्टम के लिए मांगती रही, लेकिन किसान इस पर तैयार नहीं हुआ। कई घंटे इसी तरह से किसान व पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के बीच गहमा-गहमी चलती रही। दोपहर बाद डीएम के. बालाजी व एसएसपी प्रभाकर चौधरी भी आंदोलित किसानों के बीच पहुंचे तथा किसान का शव पोस्टर्माटम के लिए देने की मांग की।
ठंड लगने से जिस किसान की मौत हुई, उसके परिजनों को पांच लाख का मुआवजा, पत्नी को संविदा पर नौकरी व बच्चों को निशुल्क शिक्षण दिलाने का आश्वासन देने के बाद आंदोलित किसानों ने मृतक किसान का शव उठने दिया। इस तरह से पूरा दिन बवाल होता रहा। आक्रोशित किसानों ने प्रशासन को खूब खरी-खौटी सुनाई।
परतापुर के शताब्दीनगर सेक्टर चार-बी में भूमि अधिग्रहण की नई नीति के तहत मुआवजे की मांग को लेकर भाकियू के बैनर तले पिछले आठ वर्षों से निरंतर चल रहे धरने पर मंगलवार को उस समय भूचाल आ गया जब सुबह एक युवा किसान की धरनास्थल पर ठंड के कारण मौत हो गई।
किसान की मौत की सूचना फैलने पर पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पुलिस व प्रशासनिक अफसर कई थानों की पुलिस फोर्स व पीएसी के साथ धरनास्थल पर पहुंचे। भारी पुलिस बल देखकर किसान भड़क गए, तभी एडीएम सिटी दिवाकर सिंह और एसपी सिटी किसानों के बीच पहुंचे और किसानों से बातचीत की। मामले की जानकारी डीएम,एसएसपी को दी गई।
दोपहर बाद किसानों की बीच डीएम, एसएसपी भी पहुंचे तथा किसानों से बातचीत की और समस्या का जल्द से जल्द हल निकालने की बात कही। शताब्दीनगर सेक्टर 4 बी में नई जमीन अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजे की मांग को लेकर भाकियू के बैनर तले आंदोलन चल रहा है।
मंगलवार तड़के आंदोलनरत युवा किसान राहुल (27 वर्ष) पुत्र कृष्णपाल की ठंड लगने से मौत हो गई। उसको किसानों ने शहीद का नाम दिया। सूचना पर सैंकड़ों किसान एकत्र हो गया। सवेरे पांच बजे जैसे ही पुलिस प्रशासन को घटना की सूचना मिली तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। कुछ देर बाद ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी कई थानों की पुलिस व पीएसी के साथ शताब्दीनगर सेक्टर चारबी पहुंच गई।
एक घंटे बाद एडीएम, एसडीएम, एसीएम किसानों के बीच पहुंचे। युवा किसान की शहादत पर अफसोस जताया। प्रशासनिक अफसरों ने भाकियू नेता विजयपाल घोपला से बातचीत की। इस बीच सपा नेता पवन गुर्जर कार्यकर्ताओं के साथ धरनास्थल पहुंचे। इसके बाद रालोद के उत्तराखंड प्रभारी राममेहर सिंह गुर्जर, मतलूब गौड़, राहुलदेव भी किसानों के बीच पहुंचे।
विजयपाल घोपला ने अफसरों के बीच आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि शहीद युवा किसान के परिजनों को 50 लाख की धनराशि दी जाए। साथ ही उसकी पत्नी लक्ष्मी को सरकारी नौकरी और नई जमीन अधिग्रहण नीति के तहत तत्काल मुआवजा दिया जाए। दोपहर तक जब किसान किसान के शव को रखकर बैठे रहे, इसके बाद ही डीएम के.बालाजी व एसएसपी प्रभाकर चौधरी किसानों के बीच पहुंचे।
साढे तीन बजे डीएम के. बालाजी और एसएसपी प्रभाकर चौधरी किसानों के बीच पहुंचे और भाकियू नेता विजयपाल घोपला के साथ पांच सदस्यीय कमेटी के लोगों से बातचीत की। डीएम ने पूरी बात सुनने के बाद कहा कि आपका आंदोलन काफी समय से चल रहा है। इसकी पूरी पड़ताल करने के बाद शासन स्तर से जानकारी कर ली जाएगी। बाकी शहीद किसान को मौके पर पांच लाख की सहायता दी जा रही है।
इस पर किसान तैयार नही हुए। डीएम ने कमेटी के सदस्यों से वार्ता कर निर्णय लिया कि मौके पर पांच लाख का चेक दिया जा रहा है तथा बाकी मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता के लिए लिखा जाएगा। इसके अलावा डीएम ने मृतक किसान के दोनों बेटों शिवा और निहाल को 18 साल तक फ्री शिक्षा और मृतक की पत्नी को दो दिन में संविदा पर नौकरी देने का आश्वासन दिया। इस पर किसान मान गए।
तब जाकर पुलिस ने पंचनामा भरकर राहुल के शव को पोस्टर्माटम के लिए भेजा। दोपहर में राहुल के पार्थिव शरीर को फ्रीजर में रख दिया गया था। धरनास्थल पर युवा किसान के शहीद होने पर भाकियू के राष्टÑीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के आने की सूचना से प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए थे। बताया गया कि राकेश टिकैत चंडीगढ़ में हैं, बुधवार को आएंगे। राकेश टिकैत के आने की सूचना से पुलिस व प्रशासनिक अफसरों में हड़कंप मच गया था।
टंकी पर चढ़े रहे किसान, जारी रहेगा धरना
भाकियू नेता विजयपाल घोपला का कहना है कि धरना जारी रहेगा। किसान टंकी पर चढ़े हैं। यदि इनमें से कोई किसान शहीद हो गया तो इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी। कहा आठ साल से किसान आंदोलन कर अपनी जमीन का मुआवजा मांग रहे हैं, लेकिन शासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
पुलिस चौकी पर बैठे रहे डीएम, एसएसपी
डीएम के. बालाजी और एसएसपी प्रभाकर चौधरी किसानों के बीच पहुंचने से पहले एक घंटा धरनास्थल से एक किमी दूर रिठानी पुलिस चौकी पर बैठे रहे और स्थिति का जायजा लेते रहे। जब पुलिस-प्रशासन के प्रति किसानों का गुस्सा कम हुआ, तब जाकर डीएम और एसएसपी किसानों के बीच पहुंचे तथा बातचीत की।