Thursday, May 15, 2025
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मुंबई में बाला साहेब का असली वारिस बनने की होड़, दशहरा रैलियां बनी शक्ति प्रदर्शन

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: आज दशहरे के दिन शिवसेना के दोनों धड़े अलग-अलग रैलियां कर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। जून में बगावत कर उद्धव ठाकरे से सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए एकनाथ शिंदे मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) स्थित एमएमआरडीए मैदान में रैली कर रहे हैं। इस दौरान बालासाहेब ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे अपना समर्थन दिखाने आए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मंच साझा किया। इस दौरान स्मिता ठाकरे भी मंच पर मौजूद थीं।

वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मध्य मुंबई स्थित शिवाजी पार्क में परंपरागत रैली में हैं। इन रैलियों को देखते हुए मुंबई पुलिस ने सख्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इस दौरान उन्होंने अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। ठाकरे ने कहा कि भाजपा ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा और उसे सबक सिखाने के लिए मैंने कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन किया। उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को गरीबी जैसे मुद्दों पर आइना दिखाने के लिए आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले को बधाई दी।

उद्धव ने अंकिता हत्याकांड और बिलकिस बानो मामले को भी उठाया। उन्होंने आज सुबह के मोहन भागवत के भाषण का जिक्र किया। उसमें स्त्री शक्ति के सम्मान की बात पर कड़ा प्रहार करते हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड का जिक्र किया। साथ ही बिलकिस बानो प्रकरण का जिक्र करते हुए भाजपा पर तगड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा महिला सशक्तिकरण की बात करती है और देश में क्या हो रहा है। उत्तराखंड में क्या हुआ? गुजरात में बिलकिस बानो केस के आरोपियों को छोड़ दिया गया।

ठाकरे ने कहा कि रावण की तरह शिंदे ने चेहरा बदला। गद्दारों को गद्दार ही कहेंगे। यह गद्दी हमारी है। यह सीएम पद 50 खोखे का हो गया है। उन्होंने हमें धोखा दिया है। उन्होंने शिंदे को कटप्पा कहते हुए कहा कि शिवसैनिक ‘कटप्पा’ को काफी माफ नहीं करेंगे।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारी वार्षिक परंपरा के अनुसार ‘रावण दहन’ समारोह होगा, लेकिन इस वर्ष का रावण अलग है। समय के साथ रावण भी बदल जाता है। वह अब तक 10 सिर वाला हुआ करता था, उसके पास अब कितने सिर हैं? वह 50 गुना अधिक विश्वासघात कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे केवल एक ही बात बुरी लगी और इस पर गुस्सा भी आता है कि जब मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो जिन लोगों को मैंने राज्य की जिम्मेदारी दी, वे कटप्पा बन गए और हमें धोखा दिया। वे मुझे काट रहे थे और सोच रहे थे कि मैं अस्पताल से कभी नहीं लौटूंगा।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिन्हें हमने सब कुछ दिया, उन्होंने हमारे साथ विश्वासघात किया और जिन्हें कुछ नहीं दिया, वे सब एक साथ हैं। यह सेना एक या दो की नहीं बल्कि आप सभी की है। जब तक आप मेरे साथ हैं, मैं पार्टी का नेता रहूंगा।

मुख्यमंत्री शिंदे से पहले शिवसेना के शिंदे गुट के नेता रामदास कदम ने उद्धव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपके भाई, चचेरे भाई भी आपके साथ नहीं हैं उद्धव जी! अगर आप अपने परिवार को भी बरकरार नहीं रख सकते हैं, तो आप राज्य को कैसे बरकरार रखेंगे? इसके बाद सीएम शिंदे ने रैली को संबोधित किया। उन्होंने खुद को बालासाहेब का उत्तराधिकारी बताया।

उन्होंने उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा कि गद्दारी तो हुई है, लेकिन गद्दारी हमने नहीं की। गद्दारी तो 2019 में हुई थी। आपने पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा, लोगों से वोट मांगे और फिर जनादेश का अपमान किया। चुनाव में एक तरफ बाल ठाकरे का फोटो और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी का फोटो लगाया, पर चुनाव के बाद कांग्रेस से हाथ मिला लिया। ये धोखा नहीं तो क्या है? आपने हिंदुत्व के साथ समझौता कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाई और सीएम बन गए।

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह आपकी (उद्धव ठाकरे) प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है। शिवसेना उन शिवसैनिकों की है, जिन्होंने इसके लिए अपना पसीना बहाया है। आप जैसे लोगों के लिए नहीं, जिन्होंने पार्टनरशिप की और उसे बेच दिया।

उधर, सीएम शिंदे बीकेसी मैदान पर होने वाली अपनी पहली दशहरा रैली में हैं। मैदान पर शस्त्र पूजा के लिए 51 फीट लंबी तलवार की प्रतिकृति बनाई है। इसके अलावा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे, शिवसेना नेता स्व. आनंद दिघे की होलोग्राम छवियां लगाई गई हैं।

अपनी रैलियों को कामयाब बनाने के लिए शिवसेना के दोनों गुटों ने पूरी ताकत झोंक दी है। शिंदे के गढ़ ठाणे से बांद्रा के बीकेसी मैदान पर शिंदे गुट के कार्यकर्ता सैकड़ों बसों में बैठकर पहुंचे हैं। ठाणे से करीब 40 हजार से लोगों के रैली में शामिल हो रहे हैं। उधर, उद्धव ठाकरे गुट के कार्यकर्ता लोकल ट्रेनों व पैदल शिवाजी पार्क पहुंचे हैं।

बता दें, जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों ने बगावत की थी। इससे उद्धव ठाकरे नीत महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी और शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई है। शिंदे अब खुद के गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं। यह मामला चुनाव आयोग के समक्ष विचाराधीन है।

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