Tuesday, February 11, 2025
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त्योहारी सीजन में मिलावटी तेल का खेल

Nazariya 22


manojत्योहारों का सीजन आ रहा है। दशहरा, दिवाली पर खाद्य तेलों की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए तमाम कारोबारी मिलावट करने से बाज नहीं आते हैं, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। मिलावटी खाद्य पदार्थ ही नहीं, बल्कि मिलावटी खाद्य तेल के उपयोग के कई दुष्प्रभाव भी हैं। मिलावटी सरसों के तेल के उपयोग से हमारी सेहत पर गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। सबसे पहले जी मिचलाना और पेट खराब होना जैसी समस्या होती हैं। पेट में सूजन यहां तक कि दिल और सांस की बीमारी तथा एनीमिया का खतरा भी बढ़ जाता है। खाद्य तेलों में कई तरह के पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो गर्म होने के बाद पेट की कई बीमारियों को जन्म देते हैं। ऐसे में खाद्य तेलों पर जरा भी संदेह होने पर घर पर ही उसकी जांच कर सकते हैं। इसके अलावा शहद में चीनी का घोल मिलाकर बाजार में बेचा जा रहा है। कई लोग खाद्य तेलों में पाम आॅयल तो कुछ लोग केमिकल मिलाते हैैं। यदि इनका सेवन किया जाए तो यह सेहत पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैैं। ऐसे खाद्य तेलों से बने उत्पादों के सेवन से पेट खराब हो सकता है। इससे त्योहार पर हॉस्पिटल भी जाना पड़ सकता है। कई बार तो ऐसे खाद्य तेलों के सेवन से लंबे समय के लिए पेट की समस्या जैसे कब्ज इत्यादि हो जाती है। यही हाल चीनी, शहद इत्यादि में मिलावट होने से हो सकता है, इसलिए त्योहार पर सावधान रहें और देख-परख कर ही खाद्य उत्पादों को खरीदें। खाना बनाते समय ज्यादातर लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। वहीं कुछ लोग स्किन और हेयर केयर में भी सरसों का तेल यूज करना पसंद करते हैं। बेशक सरसों का तेल सेहत के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। मगर ज्यादातर लोग मार्केट से नकली सरसों का तेल खरीद लेते हैं। मिलावट की दुनिया में शुद्ध सरसों का तेल विरले ही मार्केट में देखने को मिलता है। वहीं मिलावटी तेल का इस्तेमाल करने से हेल्थ, स्किन और बालों पर भी कई साइड इफेक्ट होने लगते हैं। ऐसे में सरसों के तेल को फ्रिज में रखने, रबिंग टेस्ट और कलर टेस्ट ट्राई करने जैसे टिप्स अपनाकर आप मिनटों में असली और नकली सरसों के तेल की पहचान कर सकते हैं।

इधर, मिलावट के धंधेबाज तेल में खेल करने से बाज नहीं आ रहे। पिछले साल जब केंद्र सरकार ने पाम आॅयल का आयात प्रतिबंधित किया तो खाद्य तेल में मिलावट और उनकी पैकेजिंग में गड़बड़ी का खेल शुरू हो गया। धंधेबाजों ने रिफाइंड जैसे दिखने वाले सस्ते नेपाली तेल का आयात कर उसमें रासायनिक अखाद्य रंग और एसेंस (सुगंध) मिलाकर उसकी पाम आॅयल और सरसों के तेल के तौर पर बिक्री शुरू कर दी थी। जब से मलेशियन पाम आॅयल के आयात पर रोक लगाई गई है, तब से न केवल सरसों तेल, बल्कि सोयाबीन, राइस ब्रान, सूरजमुखी, मूंगफली आदि तेलों में मिलावट बढ़ गई है। दुकानदार रिफाइंड जैसे दिखने वाले सस्ते नेपाली तेल में एसेंस मिलाकर उसे सरसों के तेल के तौर पर बेच रहे हैं। यही तेल अन्य खाद्य तेलों में भी खपाया जा रहा है।

मिलावट का खेल वैसे तो पूरे साल चलता है, लेकिन त्योहारों में मांग बढ़ने से मिलावटखोरी और बढ़ जाती है। दशहरा, दिवाली पर सबसे ज्यादा रिफाइंड एवं सरसों के तेल की मांग होती है। महंगाई की वजह से सरसों के तेल में मिलावट की जड़ें सभी जगहों पर मजबूती से फैली हुई हैं। बाजारों में नकली सरसों का तेल भी खूब बिक रहा है। राइस ब्रान में बटर एलो मिलाकर सरसों के तेल की कीमत वसूली जा रही है। सरसों की तेल में मिलावट करने वाले अधिक मुनाफे के चक्कर में लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। नकली खुला सरसों का तेल तो बिकता ही है, विभिन्न ब्रांड के नाम पर भी नकली तेल बेचा जाता है। दुकानदार पाम आॅयल, राइस ब्रान, सोया आॅयल मिलाकर सरसों का तेल बनाते हैं। साठ, सत्तर रुपए लीटर मिलने वाले इन तेलों की खासियत यह होती है कि इनमें किसी तरह की खुशबू नहीं होती है और मिलावटखोर इसी का जमकर फायदा उठाते हैं और लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं।

एफएसएसएआई ने पिछले साल देश भर से खाने के तेल के हजारों सैम्पल जुटाए। इन सैम्पलों में ब्रांडेड और खुले में बिकने वाले तेल दोनों शामिल रहे। नियामक ने सरसों तेल, नारियल तेल, पाम आॅयल, ब्लेंडेड आॅयल, सोयाबीन तेल, राइस ब्रान आॅयल, मूंगफली तेल समेत खाने वाले 15 तेलों के नमूनों को टेस्ट किया। इनमें से एक चौथाई नमूने मानकों से नीचे पाए गए। इस टेस्ट में यह भी पता चला कि खाने के तेल में विटामिन ए और विटामिन डी मिलाए जाने के दावे फर्जी हैं। इनकी जगह पर कंपनियों ने ऐसे केमिकल का तय मात्रा से अधिक इस्तेमाल किया, जो कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। ज्यादातर नमूनों में कुछ एसिड तय मात्रा से अधिक पाए गए। ये केमिकल मात्रा से अधिक होने पर सिरदर्द, सुस्ती, बेहोशी से लेकर नाक से खून निकलने तक के जिम्मेदार हो सकते हैं। नशीले असर वाले इन केमिकलों को कई बीमारियों का जनक भी माना जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावट वाला तेल खाने से तुरंत कोई समस्या महसूस नहीं होती, लेकिन लंबे समय तक इसका इस्तेमाल बहुत सी हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है। इससे सबसे ज्यादा दिमाग के काम करने की शक्ति पर असर पड़ता है। बेहतर होगा कि अपने खाने के तेल को टेस्ट करने के बाद ही प्रयोग में लाएं। एक्सपर्ट कहते हैं कि खाद्य पदार्थों में प्रचलित उच्च स्तर की मिलावट चिंता का कारण बन रही है। यह एक लगातार मिलने वाली समस्या रही है। खुले उत्पादों को खरीदने से बचा जाना चाहिए।


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