Monday, October 14, 2024
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ग्रांड 5: क्या लोगों की जान जाने के बाद होती है कार्रवाई?

  • ज्यादातर मंडपों में एक या दो सिलेंडर ही मिले
  • समय रहते हादसों पर नहीं पाया जाता काबू

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विक्टोरियां पार्क अग्निकांड के बाद भी आखिर सबक क्यों नहीं लिया जा रहा हैं? सरकारी सिस्टम की आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है। ग्रेंड-फाइव की घटना से फिर विक्टोरियां पार्क अग्निकांड की पुनरावृत्ति हो सकती थी। यहां भी जर्मन हैंगर का टेंट लगा हैं, जिसमें आग पहुंच जाती तो सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी। आखिर इसका जिम्मेदार कौन होता? यदि फायर के नियमों को मंडप पूरा नहीं कर रहा है तो फिर उस पर मेहरबानी क्यों की जा रही हैं?

हादसे के बाद जिस तरह से विक्टोरिया पार्क अग्निकांड ने लोगों को झकझोर दिया था, ग्रांड 5 में भी उसी तरह से आग लगी, लेकिन शुक्र है कि आग आगे बढ़ती उससे पहले ही दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया। जिस दौरान ग्रांड 5 में आग लगी, तब उसके अंदर विवाह समारोह चल रहा था। 300 लोगों से ज्यादा मंडप में मौजूद थे। भगदड़ तो फिर भी मची। बाहर निकलने का गेट भी एक ही खुला था।

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बाद में साइड का गेट जो डिफेंस एन्क्लेव में खोला गया, उससे भागकर लोगों ने जान बचाई। जब मंडप फायर के मानक पूरे नहीं कर रहा तो फिर उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आखिर फायर आॅफिसर मंडप के मालिकों को इतना मेहरबान क्यों हैं? अग्निकांड हो गया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्या लोगों की जान जाती, तभी कार्रवाई की जाती? इसमें पार्किंग भी पर्याप्त नहीं हैं, जिससे हाइवे पर जाम रात भी लग गया था। हजारों लोगों के कार्यक्रम होते हैं, लेकिन पार्किंग सिर्फ 20 कार खड़ी करने की हैं। इसमें भी एमडीए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हैं।

अवैध बरातघरों पर एमडीए मौन क्यों?

अवैध बरातघरों का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। बरातघरों पर कार्रवाई के लिए एमडीए में फाइल भी चली, लेकिन अब फाइल भी गायब है। कार्रवाई तो होना दूर की बात हैं। इस दिशा में तमाम अवैध बरातघर संचालित हो रहे हैं। जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता हैं। आखिर उसकी जवाबदेही किसकी होगी? क्योंकि बरातघर में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं हैं। पार्किंग भी नहीं हैं।

ऐसे हालात में विवाह समारोह हो रहे हैं, जिन पर शिकंजा एमडीए नहीं कस पा रहा हैं। सिर्फ कागजों में कार्रवाई की बात कहीं जाती हैं, धरातल पर कभी बरातघरों पर कार्रवाई नहीं हुई। एमडीए के अधिकारियों का दायित्व बनता है कि अवैध मंडपों पर कार्रवाई करें। इनके मानचित्र तक एमडीए से स्वीकृत नहीं हैं। फिर ये लोगों की जान से कैसे खेल सकते हैं? इसमें जिन मंडपों का मानचित्र स्वीकृत नहीं है, उन पर कड़ी कार्रवाई एमडीए को करनी चाहिए।

नहीं है मंडपों में आग बुझाने के इंतजाम

शहर में छोटे बड़े मिलाकर 1000 के आसपास विवाह मंडप है। मंडप संचालकों को नियमों के आधार पर आग बुझाने के इंतजाम करने होते हैं, लेकिन जब शुक्रवार को जनवाणी टीम शहर के कई विवाह मंडपों पर पहुंची तो यहां वर्तमान में कई विवाह मंडपों में आग बुझाने वाले सिलेंडर ही नहीं थे। कुछ थे तो उनकी एक्सपायरी डेट तक निकल चुकी थी।

शहर के मुख्य क्षेत्र कैंट में स्थित कैसल व्यू की बात की जायें तो यहां पर दो हॉल हैं। लॉन-1 और लॉन-2 यहां दोनों ही लॉन में जहां पार्टी होती है। वहां पर एक भी आग बुझाने वाला सिलेंडर नहीं था। जो सिलेंडर थे वो हॉल के बाहर गैलरी में लगे थे। जबकि नियम विरुद्ध पार्टी वाले लॉन और हॉल में कई सिलेंडरों की व्यवस्था होनी चाहिए थी जो कि ऐसा नहीं था।

वोल्गा रिसोर्ट में नहीं मिला एक भी सिलेंडर

कैंट स्थित वोल्गा रिसोर्ट की बात की जाये तो यहां भी पूरे मैदान में जहां खाने आदि का इंतजाम होता है वहां भी एक भी सिलेंडर नहीं था जिससे आग बुझायी जाती है। स्टेज के आसपास भी कोई व्यवस्था नहीं थी। यहां लॉन और स्टेज हॉल दोनों में कोई व्यवस्था नहीं थी। जबकि यहां शादी समारों की तैयारी की जा रही थी।

ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो उस पर काबू पाने में उन्हें घंटों लग सकते हैं और इससे उन्हें नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके अलावा हापुड़ रोड स्थित सहारा मंडप समेत हापुड़ चुंगी के पास बने विवाह मंडपों का तो और भी बुरा हाल है। यहां तो कोई सिलेंडर ही नहीं था और छोटे हॉल में गेदरिंग भी दोगुना तक हो रही है। यहां एक हॉल में पूरा मंडप तैयार किया गया है, जोकि नक्शे के विरुद्ध चल रहे हैं, लेकिन यहां कार्यक्रमों का आयोजन लगातार हो रहा है और कोई देखने वाला नहीं है।

अनुमति 500 की भीड़ होती है 1000 तक

हापुड़ रोड पर कई विवाह मंडप ऐसे हैं। जहां केवल 500 लोग ही एक बार में आ सकते हैं, लेकिन यहां एक हजार से अधिक लोग इन मंडपों में घुस जाते हैं। यह क्षेत्र आवास विकास क्षेत्र में आता है और कई ऐसे मंडप हैं। जहां लोगों ने नक्शे तक पास नहीं कराये हैं और अवैध रूप से विवाह मंडप चलाये जा रहे हैं। जहां केवल 500 लोग ही आ सकते हैं। वहां एक हजार से अधिक लोगों को अनुमति दे दी जाती है। ऐसे में हादसा होने की संभावना अधिक होती है और उन हादसों से बचने की संभावना कम होती है।

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