- महिला के आडियो टैप से खुला पूरा मामला, पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पुलिस के खेल भी निराले हैं। एक ऐसा ही ‘महाखेल’ लिसाड़ी गेट थाने का सामने आया हैं। दुष्कर्म हुआ नहीं, रिपोर्ट दर्ज हो गई। पीड़िता की डॉक्टरी भी नहीं हुई। जिस आरोपी ने महिला के साथ दुष्कर्म किया, उससे महिला उससे कभी मिली ही नहीं और नहीं उसे जानती हैं। पुलिस के इस झूठ का खुलासा तब हुआ, जब महिला का एक आॅडियो टैप वायरल हो गया।
महिला ने स्वीकारा कि पुलिस ने फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के लिए उसे थाने बुलाया था। उसके कागज पर निशानी अंगूठे लगवा लिये गए। पुलिस ने जिसे दुष्कर्म का आरोपी बनाया, वो एक नामचीन ठेकेदार हैं। ठेकेदार को पुलिस ने निशाने पर क्यों लिया? यह तो ठेकेदार और मुकदमा दर्ज कराने वाले पुलिस कर्मी ही जानते हैं, लेकिन इसमें सीओ कोतवाली की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
क्योंकि पूरा प्रकरण सीओ के संज्ञान में था, फिर भी फर्जी मुकदमा दर्ज कर ठेकेदार को जेल भेजने की बड़ी साजिश हुई। यह सुनकर यकीन नहीं हो रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी इस तरह के महाखेल पुलिस कर सकती हैं। लगता है पुलिस अधिकारियों में भी सरकार का खौफ खत्म हो गया हैं। दरअसल, जाकिर कालोनी गली नंबर-2 निवासी दिलदार अहमद ने अल्पसंख्यक आयोग से शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है।
बकौल, दिलदार वो ठेकेदार का काम करता है। पूर्व में सिंचाई विभाग व अन्य विभाग में ठेकेदारी करता था। दिलदार ने शिकायत में आरोप लगाया कि लिसाड़ी गेट, उज्जवल गार्डन निवासी शबाना नाम की महिला ने इसी वर्ष 9 जून को पुलिस के कहने पर उसके खिलाफ लिसाड़ी गेट थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है, इस झूठे मामले में वह जेल भी चला गया, लेकिन शबाना नाम की महिला से मिला तक नहीं।
दुष्कर्म केस से संबंधित एक आॅडियो टैप वायरल हुआ है, जिसमें दुष्कर्म पीड़िता बोल रही है कि वह दुष्कर्म के आरोपी को जानती नहीं, लेकिन ये सब पुलिस के कहने पर किया गया है। दिलदार ने बताया कि उसक ी ललित यादव नाम के युवक से जान-पहचान थी। रु पयों के लेन-देन को लेकर उससे अनबन हो गई थी।
ललित के पिता डिप्टी एसपी रहे हैं। वर्तमान में रिटायर्ड हो चुके हैं। रिटायर्ड सीओ ने खाकी की हनक दिखाते हुए ये दुष्कर्म के फर्जी मामले में दिलदार को जेल भिजवाने की कहानी तैयार की। इसमें सीओ कोतवाली व इंस्पेक्टर लिसाड़ी गेट को अपने प्रभाव में लिया, जिसके बाद फर्जी दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ। ललित और दोनों दरोगाओं ने उससे साढ़े तीन लाख का ड्राफ्ट ओर पचास हजार रुपये छीन लिये थे।
उसने ललित व पुलिस के खिलाफ कोर्ट में 156/3 का केस डाला था। इसी के चलते समर गार्डन चौकी इंचार्ज हरेन्द्र और जाकिर कालोनी चौकी इंचार्ज धर्मेन्द ने उसके खिलाफ ऐसा जाल बुना कि एक महिला से मिलकर दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज करवा दिया। पुलिस ने ठेकेदार के खिलाफ दुष्क र्म की ऐसी पटकथा तैयार की और रंजिशन के तहत उसे अपने जाल में फंसा लिया।
पुलिस ने केस में दो अन्य को भी अभियुक्त बना डाला। जिनका मकान को लेकर शबाना से विवाद चल रहा था। पुलिस ने इसी बात का फायदा उठाया और शबाना को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि उसे मकान दिलवा देेंगे। अगर तुम दिलदार को एक के स में फंसवा दोगी। शबाना भी मकान के लालच में तैयार हो गई। लेकिन अब मकान न मिलने पर दुष्कर्म पीड़िता बोल रही है कि पुलिस ने ही उससे झूठा मुकदमा दर्ज करवाया था।
दुष्कर्म की पटकथा लिखने वाला दरोगा कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन समर गार्डन चौकी इंचार्ज हरेन्द्र ही है। जिसे एसएसपी ने एक लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में जांच के बाद निलम्बित किया था। पीड़ित ने दुष्कर्म के झूठे मुकदमे की जांच के लिए पुलिस अफसरों सहित अल्पसंख्यक आयोग का दरवाजा खटखटाया है।