रसूलपुर में मकान जमींदोज, कई भवन भी क्षतिग्रस्त, चीख-पुकार के बीच मलबे से निकाले गए दबे लोग
जनवाणी संवाददाता |
फलावदा: थाना क्षेत्र के गांव रसूलपुर में देर शाम एक मकान में आतिशबाजी के बनाने के बारूद से हुए भयानक विस्फोट से गांव के कई मकान तबाह हो गए। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, दर्जनभर लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। घटना के बाद समीपवर्ती गांवों के ग्रामीणों का हुजूम मौके पर पहुंच गया। पुलिस फायर ब्रिगेड तथा प्रशासनिक अफसर भी मौके पर पहुंच गए। वहीं, देर रात एसएसपी अजय साहनी, आईजी प्रवीण कुमार व एसपी देहात अविनाश पांडे भी घटनास्थल पर पहुंचे तथा घटना की जानकारी ली।
गांव रसूलपुर निवासी निसार पुत्र नफीस अवैध रूप से आतिशबाजी का कार्य करता था। उसके स्व. पिता के नाम पर आतिशबाजी का लाइसेंस था। बताया गया है कि मंगलवार को रात करीब 8:30 बजे मकान में रखी विस्फोटक सामग्री में आग लग गई, जिसके चलते तेज धमाका हुआ। धमाका इतना तेज था कि निसार का मकान जमींदोज हो गया। उसके परिवार के सदस्य मलबे में दब गए।
धमाके से आसपास के मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए। दूर तक धमाके की गूंज होने के कारण ग्रामीण मदद के लिए मौके पर दौड़ पड़े। पुलिस तथा फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने ग्रामीणों की मदद से दबे हुए लोगों को मलबे से निकलवाया। बताया गया है कि निसार व उसके 15 वर्षीय पुत्र फैसल की मौके पर मौत हो गई। इस घटना में घायल निसार की पत्नी सायरा बेटी अर्शी व पड़ोसी सनी पुत्र इंद्रपाल सहित सभी घायलों को अस्पताल भिजवा दिया गया।
विस्फोट से आजाद पुत्र नफीस इकरामुद्दीन निसार साबिर, सलेकी आदि ग्रामीणों के करीब आधा मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। घटना के बाद आसपास के गांवों के काफी ग्रामीण मौके पर पहुंचने से वाहनों की लंबी कतारें लग गई। गांव में चीख-पुकार तथा मातम पसरा हुआ है। घटनास्थल के आसपास रहने वाले ग्रामीण दहशतजदा है। आतिशबाजी के बारूद से हुए धमाके को सिलेंडर फटने से हुआ हादसा बताए जाने की चर्चा हो रही है।
पुलिस की लापरवाही का परिणाम है रसूलपुर में विस्फोट
थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में विस्फोट से हुई तबाही स्थानीय पुलिस की लापरवाही का परिणाम है। पाबंदी के बावजूद इस गांव में छिपा बारूद के ढेर को पकड़ने को लेकर यदि पुलिस सक्रिय होती तो यह घटना टल सकती थी। हादसे को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
दीपावली के मौके पर पाबंदी होने के बावजूद स्थानीय पुलिस की दायित्व हीनता के चलते थाना क्षेत्र में जमकर आतिशबाजी के सामान का उत्पादन तथा खरीद फरोख्त हुई। आलम ये है कि दीपावली का त्योहार गुजरने के कई दिन बाद भी आतिशबाजी का का सिलसिला चल रहा है। फलावदा पुलिस ने सरधना में विगत दिनों हुई भयानक घटना से सबक नहीं लिया। पुलिस की निष्क्रियता के चलते रसूलपुर में पटाखे विस्फोटक सामग्री बनाने का काम सुचारू रूप से चलता रहा। दरअसल, थाना क्षेत्र में आतिशबाजी का एकमात्र लाइसेंस रसूलपुर निवासी नफीस के नाम था।
नफीस की कई वर्ष पूर्व मृत्यु होने के बाद उसके पुत्रों ने लाइसेंस अपने नाम कराने की कवायद शुरू की, जिसमें लाइसेंस नफीस के पुत्र अब्दुल के नाम हो गया, लेकिन इस लाइसेंस की आड़ में निसार आतिशबाजी का काम करता रहा। अपने भाई से तंग आकर अब्दुल गांव से पलायन करके खतौली शिफ्ट हो गया। गांव में निसार ने आतिशबाजी व पटाखे बनाने का कार्य जारी रखा। बताया गया है कि उसके घर विस्फोटक सामग्री रखी हुई थी।
पुलिस ने शासन आदेश के अनुपालन में सरधना की घटना से भी सबक नहीं लिया। पुलिस ने बारूद के ढेर पर बैठे इस गांव में पुलिस ने सर्च करना गवारा नहीं किया। इलाके में चर्चा है पुलिस यदि समय रहते रसूलपुर में छिपाकर रखे गए बारूद के ढेर को पकड़ लेती तो यह हादसा टल सकता था।यह भयानक विस्फोट पुलिस की निष्क्रियता का परिणाम माना जा रहा है।
देखते ही देखते तबाह हो गया निसार का परिवार
निसार के मकान में हुए विस्फोट को देखते ही देखते उसके परिवार की तबाही का सबब बन गया। मलबे में दबने के कारण पिता-पुत्र की मौत व कई लोग गंभीर रूप से घायल होने के कारण गांव में चीख-पुकार व बदहवासी छा गई। रात भर समीपवर्ती गांव के लोग तमाशबीन बने रहे। क्षेत्र के गांव रसूलपुर में हुई इस हृदय विदारक घटना ने आमोखास के मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया है।
गांव में रहने वाला निसार घटना के समय अपने परिवार के साथ घर में ही मौजूद था। विस्फोट के कारण उसका मकान जमींदोज हो गया। वह परिजनों के साथ मलबे में दब गया। समीप स्थित मकानों का मलबा गिर पड़ा। चीख-पुकार के बीच कुछ लोगों ने साहस करके मलबे से उन्हें निकाला। मौके पर ही निसार व उसके बेटे फैसल की मौत हो गई। उसकी पत्नी व बच्चे अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। घायलों को मोदीपुरम स्थित एसडीएस ग्लोबल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बारूद के बजाय सिलेंडर फटने की फैलाई गई खबर
विस्फोटक सामग्री से हुई इस तबाही पर पर्दा डालने के लिए सिलेंडर फटने की खबर फैलाई गई। पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए सिलेंडर फटने से हुआ हादसा बताकर मामले को दूसरा रूप देने का प्रयास करती दिखाई दी। विस्फोट के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड तथा फॉरेंसिक टीम जांच में जुट गई। पुलिस व पीड़ित परिवार से जुड़े लोग सिलेंडर फटने के कारण हादसा होने की बात कह रहे थे। हालांकि मौके पर पड़ा गैस का चूल्हा और जमींदोज मकान और उसकी सच्चाई बयान कर रहे थे। दबी जुबान में कुछ ग्रामीण हादसे की हकीकत बता रहे थे। घटना के संबंध में सीओ मवाना उदय प्रताप सिंह का कहना है कि फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगी। घटना के सही कारणों की जांच करने के लिए मौके पर फील्ड यूनिट लगी हुई है। सीओ ने दो लोगों के मरने की पुष्टि की है।
लखनऊ तक पहुंची रसूलपुर विस्फोट की गूंज
घटनास्थल पर दौड़े पुलिस अफसर
थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में कोई विस्फोट की घटना की खबर लखनऊ तक गूंज उठी। घटना की सूचना मिलते ही आला अफसर मौके पर दौड़ पड़े। आईजी और कप्तान ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। रसूलपुर गांव में देर शाम विस्फोट की घटना से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही आईजी प्रवीण कुमार कप्तान अजय साहनी तथा एसपी देहात अविनाश पांडे एसडीएम सरधना अमित भारतीय व कई थानों के थाना प्रभारी मौके पर पहुंच गए। अफसरों ने घटनास्थल का निरीक्षण कर स्थानीय पुलिस को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।हादसे की खबर लखनऊ तक गूंजने के बाद अफसरों के फोन बजने लगे। दूसरी ओर हादसे का शिकार हुए पिता पुत्र के पोस्टमार्टम को लेकर संशय की स्थिति बनी रही।
पटाखों में विस्फोट को सिलेंडर फटना बता रहे एसएसपी
शासन की सख्त रोक के बाद भी मेरठ पुलिस पटाखों के जखीरे को जमा किए जाने पर अंकुश नहीं लगा सकी है। इतना ही नहीं अधिकारी पटाखों के जमा किए गए जखीरों में हो रहे विस्फोटों पर लीपापोती पर उतर आए हैं। रसूलपुर में भी पटाखों में ही विस्फोट हुआ है, लेकिन मौके पर पहुंचे एसएसपी अजय साहनी उसको सिलेंडर का फटना बता रहे हैं। आला अधिकारियों की इस लीपापोती से गांव वालों में भी जबरदस्त रोष है।
गांव वालों का कहना है कि अधिकारियों का यही रवैया इस प्रकार के विस्फोटों का कारण बन रहा है। इसी प्रकार की एक घटना करीब सप्ताह भर पूर्व सरधना में भी हो चुकी है। यदि पुलिस ने पटाखों पर रोक के शासन के आदेशों को लेकर गंभीरता बरती होती तो शायद पटाखों के जखीरे न जमा होते। न ही फिर विस्फोट सरीखी घटनाओं में मौतों का सिलसिला शुरू होता। पुलिस के आला अधिकारियों के लीपापोती के रवैये के कारण ही आए दिन जनपद में इस प्रकार की घटनाएं सामने आ रही हैं। बेहतर होता बजाय लीपापोती के एसएसपी विस्फोट का जखीरा जमा करने के मामले में लापरवाही बरतने वाले थाना स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करते।