- मेयर का हमेशा सत्ता से रहा टकराव, जिस कारण नहीं हो सका भरपूर विकास
- कुटिया गुप्ता टी स्टाल पर रविवार को दोपहर के समय चाय की चुस्की ले रहे बड़े बुजुर्गों के साथ चुनाव पर जनवाणी ने निकाय चुनाव पर की चर्चा
- ऐसा हो मेयर, निगम में भ्रष्टाचार पर नकेल, धरातल पर सर्वांगीण विकास
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में इस समय जिधर भी देखे उधर ही लोग निकाय चुनाव को लेकर चर्चा करते हुये देखे जा सकते हैं। सभी अपनी-अपनी पसंद के प्रत्याशी को इस बार महापौर बनता देखना चाहते हैं। जो कार्य उनकी प्राथमिकता में होने चाहिए वह नहीं हो सके यदि उनकी पसंद का यदि महापौर बना तो उन्हे महानगर में उन सब विकास कार्यों के होने की उमीद है।
रविवार को दोपहर के समय कुटिया गुप्ता टी स्टॉल पर कुछ लोग चुनावी चर्चा कर रहे थे। इसी बीच ‘जनवाणी’Þ ने भी चुनावी चर्चा में व्यस्त युवाओं के साथ बडेÞ बुजुर्गों से बातचीत की तो उन्होंने महापौर को सर्वांगीण विकास कराने वाला होना चाहिए। जिसमें उन्होंने बताया कि जाति, धर्म, मजहब से ऊपर उठकर महानगर में चहुंमुखी विकास कार्य कराये और विभिन्न समस्याओं से निजात दिलाने वाला होना चाहिए।
महापौर के साथ ही वार्ड में पार्षद कैसा हो उस पर भी बेबाकी से बताया कि महापौर एवं पार्षद मिलकर ही बेहतर विकास करा सकते हैं। यदि उनके बीच तालमेल में कुछ कमी होती है तो उसका भी असर विकास कार्यो पर पड़ता है। साथ ही बताया कि जितने भी अब तक मेयर बने उनका अब तक सत्ता से टकराव ही रहा है। जिसके चलते भी महानगर की विकास की गति बाधित हुई है।
साथ ही निगम में भ्रष्टाचार भी पनपा और चरम सीमा तक जा पहुंचा, लेकिन सत्ता व मेयर के टकराव के चलते बड़े-बडेÞ भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे फाइलों में कैद होकर रह गये। उधर, युवा भी गुप्ता टी स्टॉल कुटिया पर चाय की चुस्की ले रहे थे। जिसमें उनसे भी निकाय चुनाव पर चर्चा की तो उन्होेने भी महापौर को विकास कराने वाला होना चाहिए बताया।
युवाओं में कार्तिकेय, पिनाक, संभव, शिखर, रेबन आदि शामिल रहे। युवाओं ने कहा कि महापौर विकास कराने वाला हो और वह युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध कराये वहीं सभी वर्गों के लोगों का ध्यान रखे और उनके दुख दर्द में शामिल हो सके। युवाओं में कार्तिकेय, पिनांक, शिखर, रेवन आदि शामिल रहे।
समान विकास वाली सोच रखने वाला होना चाहिए
जो महापौर अपने कुछ चहेते पार्षदों के वार्डों में ही विकास कार्य कराए और अन्य वार्डों के विकास में उपेक्षा करे ऐसा महापौर नहीं होना चाहिए। महानगर की जर्जर सड़कों पर ध्यान दे ऐसा महापौर चुना जाना चाहिए। -प्रणवीर सिंह
गड्ढों में दिखाई दे रही शहर की सड़क
वर्तमान में सड़कों में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में भी सड़क दिखाई नहीं देती। महापौर ऐसा होना चाहिए जो सड़कों के निर्माण एवं उनकी मरम्मत कराने पर भी ध्यान दें। -विशाल सिंह
सड़कें और पथ प्रकाश व्यवस्था बदहाल
महानगर के लोगों का समझे दर्द करे संपूर्ण विकास। जिसमें वर्तमान में सड़कें खराब पड़ी हैं और पथ प्रकाश व्यवस्था भी बदहाल है। सड़कों पर आवारा खूंखार कुत्ते घूम रहे हैं, जो इन सब समस्याओं से निजात दिलाये ऐसा महापौर होना चाहिए। ज्यादातर मेयर जो बने उनकी कमान नगरायुक्त के हाथों में ही रही वह तो केवल मानों कठपुती की तरह से आंख मूंदकर या तो फाइलों पर हस्ताक्षर करते चले आये, यदि किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अवाज उठाई तो उसे उसका खमियाजा भी उस महापौर को उठाना पड़ा और उसकी आवाज को दबा दिया गया।-गौतम सिंह
जाम और अतिक्रमण मुक्त हो शहर
महानगर को जाम एवं अतिक्रमण से मुक्त कराये ऐसा महापौर होना चाहिए। सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त कराकर सर्वांगीण विकास कराये ऐसा महापौर होना चाहिए। -आर के सिंह
सीवर और नाले चौक सबसे बड़ी समस्या
महानगर में सीवर एवं नाले चौक होने की सबसे बड़ी समस्या है। सीवर एवं चौक नालों की साफ-सफाई बेहतर तरीके से कराये और स्वच्छता पर विशेष ध्यायान दे, ऐसा महापौर होना चाहिए। -प्रो. सुभाष यादव
सड़कों पर घूम रहा निराश्रित गोवंश
महानगर में सड़कों पर आवारा कुत्तें एवं गोवंश घूम रहा है। जिसमें सड़कों को आवारा गोवंश एवं कुत्तों से मुक्त कराये, ताकि सड़क हादसों से बचा जा सके। महापौर को चाहिए की वह इन छोटी-छोटी समस्याओं का भी समाधान कराये। उन्होंने बताया कि हमेशा ही सत्ता एवं महापौरों का आपस में टकराव रहा है। जिसके चलते निगम में तमाम बडेÞ-बड़े भ्रष्टाचार के मुद्दे फाइलों में दबकर रह गये और विकास की दिशा में मेरठ की क्रांतिधर गति नहीं मिल सकी। -अमित सिरौही