- जाएं तो जाएं कहां मेडिकल के करीब 250 संविदा कर्मचारी
- अब तो दुकानदारों ने उधार राशन भी देना कर दिया हैं बंद, दशहरा और नवरात्र भी रहे फीके
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एलएलआरएम मेडिकल के जीत कंपनी के संविदा कर्मचारियों की दीपावली इस बार अंधेरी नजर आ रही है। उन्हें अपने तीन माह के वेतन का इंतजार है। चार दिन बाद पूरे तीन माह हो जाएंगे जब वो बगैर वेतन के काम कर रहे हैं। वेतन के लिए मेडिकल के तमाम संविदा कर्मचारी जो जीत कंपनी के अंडर ड्यूटी देते हैं बुधवार सुबह जीत के यहां ठेकेदार या कहें कर्ताधर्ता संकल्प गुप्ता से मिलने पहुंचे।
इन कर्मचारियों ने बताया कि बगैर सेलरी कितनी परेशानियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नवरात्र और दशहरा सरीखा पर्व उन्होंने सेलरी न मिलने की वजह से नहीं मनाया। अगले महीने दीपावली जैसा बड़ा पर्व है जो साल में एक ही बार आता है। कर्मचारियों का कहना था कि यदि वक्त पर अब भी सेलनी नहीं दी गयी तो दीपावली का पर्व भी अंधेरा रह जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तो दुकानदारों और दूध वालों ने भी उधार देना बंद कर दिया है।
तीन महीने की सेलरी अटकी होने के कारण दुकानदार व दूध वाले के अलावा अन्य जहां भी घर का सामान आता है उन्होंने हाथ खडेÞ कर दिए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बगैर सेलरी के कैसे गुजारा करें। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्कूल की फीस, बाइक में पेट्रोल और दवाओं का खर्चा कैसे करें गुजारा। एक तो सेलरी कम ऊपर से समय से न मिले उन्होंने सवाल किया कि सरकार बताए कि वो जाएं तो जाएं कहा।
हालांकि कर्मचारियों ने जानकारी दी कि जीत कंपनी की ओर से भरोसा दिलाया गया है कि दीपावली से पहले सेलरी देने का पूरा प्रयास किया जाएगा। वहीं कर्मचारियों ने बताया कि सेलरी को लेकर वह हमेशा ही परेशान रहे हैं। उन्होंने मांग की कि उनकी सेलरी समय पर बांट दी जाए।
चार अफसरों का ट्रांसफर, रिलीव अब तक नहीं
नगर निगम में कार्यरत मुख्य अतिक्रमण अधिकारी डा. पुष्पराज गौतम एवं खाद्य एवं सफाई निरीक्षक कुलदीप, विपिन के साथ जेड एसओ का 30 जून को स्थानान्तरण हो गया था। जिसमें उन्हें अब तक रिलीव नहीं किया गया। रिलीव नहीं होने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों का शासन द्वारा वेतन भी रोक दिया गया। निगम में कार्यरत चार अधिकारी एवं कर्मचारियों का वेतन भी इसी शासनादेश के अनुसार रोक दिया गया। अब अधिकारी पसोपेश में हैं कि न तो उनका स्थानान्तरण पर रिलीव किया गया और न ही निगम से वेतन जारी किया गया।
चार महीने से वेतन नहीं मिलने से परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। साथ ही रक्षाबंधन, विजयदशमी का पर्व भी बिना वेतन के चला गया। अब दीपावली का पर्व नजदीक आ रहा है। उधारी कोई दे नहीं रहा तो क्या उनकी यह दीवाली अंधेरे में मनेगी। स्थानान्तरण होने वाले कर्मचारी एवं अधिकारियों का कहना है कि उनका आखिर दोष क्या है कि उनका न तो वेतन जारी किया जा रहा है और न ही उन्हें चार माह बीतने के बाद भी रिलीव नहीं किया जा रहा है।