- लापरवाही के वायरस की चपेट में आयी स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल
- मरीज भले ही मर जाए नंबर आएगा एक माह बाद
- प्रभारी मंत्री के सामने जिला अस्पताल ने खोल दी स्वच्छता अभियान की भी पोल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: संगठन के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आए जनपद के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह के सामने स्वास्थ्य सेवाओं में लगे लापरवाही के वायरस की पोल खुल गयी। स्वास्थ्य सेवाओं पर खासतौर से जिला अस्पताल में किस प्रकार से दलालों का कब्जा है, इसकी पोल प्रभारी मंत्री के सामने खुल गयी।
स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के दावों में कितना दमखम है इसकी पोल उस वक्त खुल गयी जब जिला अस्पताल पहुंचे प्रभारी मंत्री धर्मपाल ने मरीजों व तीमारदारों से फीड बैक लेना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने कई मरीजों व उनकी देखभाल कर रहे तीमारदारों से भी बात की।
प्रभारी मंत्री के साथ महानगर भाजपा के अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज और महापौर हरिकांत अहलूवालिया तथा संगठन के कुछ दूसरे लोग भी मौजूद थे। हालांकि प्रभारी मंत्री जिला अस्पताल पहले पहुंच गए। महानगर भाजपाध्यक्ष व महापौर को पहुंचने में विलंब हो गया।
दरअसल हुआ यह कि गुरुवार सुबह करीब पौने नौ बजे महानगर भाजपाध्यक्ष के मोबाइल पर आयी काल में बताया गया कि प्रभारी मंत्री जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर मंत्री के औचक निरीक्षण से ही अफसरों, कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल गए।
प्रभारी मंत्री जब जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं का फीड बैक लेने के लिए मरीजों व तीमारदारों से जब बात की तो उन्हें उम्मीद थी कि सूबे की योगी सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पब्लिक से अच्छा फीड बैक मिला, लेकिन जो कुछ भी प्रभारी मंत्री को फीड बैक के बदले में सुनने को मिला उससे वह खिन्न दिखाई दिए। यहां तक कह दिया कि यदि किसी दलाल के थ्रू काम कराया जाए तो आसानी से हो जाता है। वर्ना तो काफी समय लग जाता है।
जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड के निरीक्षण के दौरान कुछ ही बेडों पर मच्छरदानी लगायी गयी थी, इस पर साथ चल रहे डा. कौशलेन्द्र से पूछा कि यह डेंगू वार्ड और इन दिनों डेंगू का मच्छर अधिक सक्रिय होता है। ऐसे में सभी मरीजों के बेड पर मच्छर दानी क्यों नहीं लगायी गयी है। दरअसल, कुछ ही मरीजों के बेड पर मच्छरदानी लगी थी। इसके अलावा वार्ड में गंदगी देखकर भी उन्होंन नाराजगी व्यक्त की गई।
भले ही मरीज मर जाए…
जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की लोगों ने पोल खोलकर रख दी। लोगों ने शिकायत की कि एक माह से पहले तो यहां अल्ट्रा साउंड का नंबर ही नहीं आता। एक माह की डेट तो यहां सरकारी है। इस दौरान भले ही बीमारी और तख्लीफ के चलते मरीज की जान ही क्यों ना चली जाए। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका इलाज डाक्टर तभी शुरू करते हैं जब अल्ट्रा साउंड की रिपोर्ट आए जाए।
अल्टा साउंड की रिपोर्ट के नाम पर मरीज के हिस्से में केवल इंतजार आता है। बीमारी से वह तब तक तड़पता है जब तक अल्ट्रा साउंड की रिपोर्ट नहीं आ जाती। रिपोर्ट आने के बाद ही डाक्टर इलाज शुरू करते हैंं। हालांकि यदि दलाल की मदद ली जाए तो अल्ट्रा साउंड जल्दी भी हो जाता है।
गरीब मरीजों के लिए बाजार में अल्ट्रा साउंड कराना महंगा पड़ता है। इसलिए वो तमाम बीमारी व तख्लीफ को सहते हुए एक माह का इंतजार करने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा कई बार किसी एक सेंटर से अल्ट्रा साउंड करा भी लिया जाता है तो कई बार डाक्टर किसी दूसरे अल्ट्रा साउंड सेंटर से रिपोर्ट लाने की कहते हैं।
दरअसल, इसके पीछे डाक्टर व अल्ट्रा साउंड सेंटर संचालक के बीच कमीशन का खेल होता है। और सरकारी अस्पताल में एक माह की वेटिंग लिस्ट है। कुछ ने बताया कि तमाम अल्ट्रा साउंड सेंटरो के दलाल जिला अस्पताल में सक्रिय रहते हैं। स्टाफ का ऐसे दलालों के साथ कनेक्शन होता है।
वाह! सरकारी डाक्टर, प्राइवेट प्रैक्टिस
कुछ लोगों ने बताया कि जिला अस्पताल में काम करने वाले डाक्टर भले ही सरकारी कहलाते हों, लेकिन सरकारी डाक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक होने के कानून के बाद भी ज्यादातर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। समय पर ओपीडी में नहीं पहुंचते और समय से पहले ओपीडी में से उठकर चले जाते हैं। कुछ ने शिकायत की कि बीच ओपीडी से भी कई बार डाक्टर उठकर चले देते हैं। ओपीडी पर भी दलालों का कब्जा है। यदि किसी दलाल की मार्फत पहुंचे तो काम ठीक हो जाता है।
हालात सुधारों वर्ना…
स्वास्थ्य सेवाओं के फीड बैंक के नाम पर जो कुछ सुनने को व देखने को मिला उसके बाद बारी थी मौके पर मौजूद जिला अस्पताल के डाक्टरों का रिमांड लेने की। मौके पर जिला अस्पताल के डा. कौशलेन्द्र व डा. यशवीर सिंह मौजूद थे। ज्यादा कुछ न कहते हुए प्रभारी मंत्री ने बेहद तल्ख लहजे में कहा कि ये स्वास्थ्य सेवाओं दे रहे हैं आप। स्थिति को सुधारिए वर्ना उचित नहीं होगा
महानगर भाजपाध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज ने जानकारी दी कि प्रभारी मंत्री ने जिला अस्पताल प्रशासन को हिदायत दी है कि जितने भी मरीज आएं उन सभी के अल्ट्रा साउंड अनिवार्य रूप से कराए जाएं। इसमें यदि डाक्टरों की कमी है तो अल्ट्रा साउंड में डाक्टर बढ़ाए जाएं। दरअसल हुआ यह कि प्रभारी मंत्री से कुछ मरीजों ने शिकायत की कि वो दूर से आए हैं और यहां डाक्टरों ने आज अल्ट्रा साउंड करने से मना कर दिया है।
रेडियोलॉजिस्ट की कमी
जिला अस्पताल की सुप्रीटेंडेंट डा. ईश्वरी देवी बत्रा ने बताया कि अस्पताल में काफी समय से रेडियोलॉजस्टि नहीं है। इसकी वजह से जरूर कुछ मरीजों को शिकायत हो सकती है। किसी भी मरीज को कभी भी अस्पताल से लौटाया नहीं गया। वह स्वयं हर वक्त मरीजों के लिए उपलब्ध रहती हैं। जगह-जगह उनका मोबाइल नंबर लिखा है।
प्रभारी मंत्री बोले, शरीफ आदमी थाने में कांपे…
गुरुवार सुबह ही प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह कोतवाली का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए। मंत्री जी के कोतवाली में पहुंचते ही पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गया। मौके पर कोतवाली थाना प्रभारी नरेश कुमार भी नहीं मिले। वहीं सीओ कोतवाली अमित राय भी कार्यालय में नहीं थे। मंत्री जी ने पूछा कि कोतवाल कहां है। थाने पर तैनात एसआई ने बताया कि शोभायात्रा निकल रही है उसमें मौजूद है।
इसके बाद मंत्री ने अभिलेखों का निरीक्षण करते हुए टॉपटेन का रजिस्टर मंगा लिया। टॉपटेन का रजिस्टर देख उसमें एक अपराधी की गिरफ्तारी देख मंत्री जी का पारा चढ़ गया। उन्होंने कहा कि नौ अपराधी बाहर हैं सिर्फ एक अंदर है। उन्होंने कोतवाली से निकलते हुए कहा कि सही काम करिये। ऐसा न हो कि थाने में आम आदमी कांपे और अपराधी आकर खुश हो। एक बात समझ लो। अपराधी को थाने में डर लगना चाहिए। जबकि भले आदमी को लगे कि वह सही जगह आया है।
नगर निगम कार्यालय की करें अच्छे से साफ-सफाई
गुरुवार को पशुधन मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह नगर निगम में सुबह करीब 9 बजे औचक निरीक्षण के लिए जा पहुंचे। इस दौरान वहां पर अच्छे से साफ-सफाई भी नहीं की गई थी। कार्यालयों में अधिकारी व कर्मचारी भी नहीं पहुंच सके थे। इस दौरान निगम कार्यालय पहुंचे तो नगरायुक्त का कार्यालय बंद मिला।
उसके ही बराबर में महापौर हरिकांत अहलूवालिया का कार्यालय है। इस दौरान वहां पर सफाई कर्मचारी सलमा मिली, कार्यालय पूरी तरह से खाली था, इस दौरान कार्यालय की भी साफ-सफाई नहीं हुई थी। प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह कार्यालय से बाहर निकले तो वहां पर पॉलीथिन पड़ी थी व गंदगी भी पसरी थी, जिस पर प्रभारी मंत्री साफ-सफाई अच्छे से करने की बात कहकर वहां से निकल गए।
बूढ़ी गंगा: ‘फरिश्तों’ को मिला शासन का साथ
महाभारतकालीन हस्तिनापुर की बूढ़ी गंगा के दिन बहुरेंगे या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन बूढ़ी गंगा को उसके खुद के पैरों पर खड़ा करने की जी तोड़ कोशिशों में लगे कुछ लोगों के लिए अच्छी खबर यह है कि शासन ने बूढ़ी गंगा के जीर्णोद्धार के लिए हामी भर दी है। नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट से जुड़े लोग बूढ़ी गंगा को पुनर्जीवन देने के लिए ‘फरिश्तों’ की मानिन्द जुटे हुए हैं। उनके इन्ही प्रयासों से ही बूढ़ी गंगा का मुद्दा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक गूंजा है।
संयुक्त राष्ट्र तक ने इसके जीर्णोद्धार की पहल की है। गुरुवार को मेरठ पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष व शोभित विवि के असिस्टेंट प्रो. प्रियंक भारती को आश्वस्त किया कि सरकार बूढ़ी गंगा के जीर्णोद्धार में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रियंक भारती गुरुवार देर रात सर्किट हाउस में प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह से मिले और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान उन्होंने मौखिक रूप से भी बूढ़ी गंगा की बदहाली मंत्री के समक्ष दोहराई और कहा कि यहां पर प्रशासन की ढिलाई के कारण एतिहासिक धरोहर का अतिक्रमण हो रहा है।
इस पर मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर उन्हें पूरा सहयोग देगी। प्रभारी मंत्री ने प्रो. प्रियंक भारती को यह भी आश्वासन दिया कि चूंकि यह मामला महाभारतकालीन इतिहास से जुड़ा है लिहाजा इसे विस्तृत रूप से मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह को बूढ़ी गंगा के उद्धार के लिए ट्रस्ट द्वारा अब तक किए गए विभिन्न प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी गई। इस पूरे मुद्दे पर प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट कियका कि सरकार जल्द ही इस पर कार्रवाई करेगी।