Thursday, March 28, 2024
HomeसंवादCareerकॉमर्स में कॅरियर के अवसरों का बढ़ता दायरा

कॉमर्स में कॅरियर के अवसरों का बढ़ता दायरा

- Advertisement -

PROFILE 2


कॉमर्स का सामान्य अर्थ विनिमय अर्थात कमोडिटी का क्रय और विक्रय होता है। प्रॉडयूसर से वस्तुओं और सेवाओं को जिस माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है, उसके अध्ययन को ही कॉमर्स कहा जाता है। कॉमर्स का प्रत्यक्ष संबंध अकाउंटिंग, फाइनेंस और बिजनेस से होता है। इस संकाय के अंतर्गत मुख्य विषयों के रूप में अकाउन्टन्सी, ईकनॉमिक्स और बिजनेस स्टडीज होते हैं। तेजी से बढ़ती जीडीपी, मल्टीनैशनल कंपनियों का वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रसार, इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी और इंटरनेट के फास्ट डेवलपमेंट के परिणामस्वरूप मॉडर्न युग में कॉमर्स के डोमेन में जॉब्स और कॅरियर के अवसरों की कोई कमी नहीं है। ।

शुरुआत कहां से करें

कॉमर्स मे कॅरियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवार इस दिशा में दसवीं पास करने के बाद ही शुरुआत कर सकते हैं। दसवीं के बाद कॉमर्स स्ट्रीम के साथ बारहवीं पास करने से इस सेक्टर में उच्च शिक्षा के लिए राहें खुल जाती हैं। बीकॉम आॅनर्स के साथ ग्रेजुएशन और एमकॉम के साथ कॉमर्स में मास्टर की डिग्री हासिल की जा सकती है। इसके अतिरिक्त कॉमर्स के स्टूडेंट्स कुछ ऐसे कोर्स भी कर सकते हैं जो उनके स्किल्स में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं जिसके फलस्वरूप जॉब पाने की संभावनाओं में भी वृद्धि होती है। कॉमर्स स्ट्रीम में बारहवीं करने के बाद ऐसे कई कोर्स निम्नांकित हैं-

चार वर्षीय डिप्लोमा इन एडवांस्ड अकाउंटिंग : यह कोर्स अकाउंटिंग के क्षेत्र में एडवांस्ड स्किल्स में निखार लाता है और अकाउंटेंट, टैक्स एडवाइजर, फाइनेंशियल एडवाइजर और बजट ऐनलिस्ट के रूप में जॉब्स पाने में प्रॉफिशयन्सी प्रदान करता है।

सर्टिफिकेट इन बैंकिंग : यह कोर्स छह महीने से एक वर्ष की अवधि का होता है और जिसके बाद एक उम्मीदवार बैंकिंग प्रोफेशनल्स के रूप में अपने कॅरियर की शुरूआत कर सकते हैं।

डिप्लोमा इन रिटेल मैनेजमेंट : हाल के वर्षों में ई-कॉमर्स में तेजी से विकास के कारण रिटेल सेक्टर में जॉब प्रॉस्पेक्ट्स में भी काफी वृद्धि हुई है। डिप्लोमा इन रिटेल मैनेजमेंट से इस क्षेत्र में प्रॉफिशयन्सी बढ़ जाती है और एक लाभप्रद कॅरियर की राहें आसान हो जाती हैं।

सर्टिफिकेट इन आन्ट्रप्रनरशिप : इस कोर्स से बारहवीं के बाद खुद का बिजनेस स्टार्ट करने की स्किल्स में बढ़ोतरी होती है। साथ ही कैपिटल मैनेजमेंट से लेकर इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट तक के ट्रिक्स में निखार आता है।

सर्टिफिकेट कोर्स इन एडवरटाइज : बिजनेस सेक्टर में अपने प्रॉडक्ट और सर्विस के ब्रांड निर्माण का कार्य अत्यंत कठिन होता है। एडवरटाइजिंग के माध्यम से कस्टमर बेस बनाने और ब्रांड मैंटीनेंस में काफी मदद मिलती है। कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए कुछ और निम्नांकित आॅप्शंस उपलब्ध हैं-

इकोनॉमिक्स में बैचलर आॅफ आर्ट्स

बैचलर आॅफ आर्ट्स: बिना मैथमैटिक्स बैकग्राउंड के केंडीडेट्स जो कॉमर्स में इन्टरेस्टेड हैं, तीन वर्ष का मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग और सेल्स मैनेजमेंट में बीए कर सकते हैं। एडवरटाइजिंग, सेल्स और मार्केटिंग में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा का कोर्स भी किया जा सकता है।

बैचलर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन : बीबीए की डिग्री से प्रोफेशनल स्किल्स और एलिजबिलिटी में काफी इजाफा होता है, जिससे कॅरियर निर्माण में काफी आसानी होती है।

कुछ प्रोफेशनल कोर्स

उपर्युक्त स्किल कोर्स के अतिरिक्त विशेष रूप से कॉमर्स के स्टूडेंट्स के लिए कुछ अन्य प्रोफेशनल कोर्स भी हैं, जो उम्मीदवारों को कॅरियर निर्माण में काफी सहायता करती हैं।

चार्टर्ड अकाउन्टेंट्स : चार्टर्ड अकाउंटेंसी कोर्स थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों का कोंबीनेशन होता है। यह कोर्स काफी कठिन प्रोफेशनल कोर्स के रूप में शुमार होता है। कॉमर्स के उम्मीदवारों के लिए चार्टर्ड अकाउटेंट के रूप में कॅरियर सर्वोत्तम आॅप्शन के रूप में गिना जाता है। एक चार्टर्ड अकाउटेंट की जिम्मेदारी किसी कंपनी के अकाउंट्स, टैक्स और फाइनेंस के मैनेजमेंट के साथ विभिन्न प्रकार के डाटा और रिकॉर्ड्स को मैंटेन करना होता है। चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा निम्नांकित तीन लेवल पर कन्डक्ट की जाती है –

फर्स्ट लेवल : चार्टर्ड अकाउटेंट बनने के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं पास की होती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट के लिए शुरुआत सीपीटी (कॉमन प्रफिशयन्सी टेस्ट) में क्वालिफाई करने के बाद होती सीपीटी का रेजिस्टेशन दसवीं पास करने के बाद ही शुरू हो जाता है, किंतु इस परीक्षा में बारहवीं पास करने के बाद ही बैठा जा सकता है।

सेकंड लेवल : यह इंटरमीडिएट स्टेज कहलाता है। यह स्टेज इंटेगरटेड प्रोफेशनल कॉम्पिटन्स कोर्स (आईपीसीसी) कहलाता है। सीपीटी क्लीयर करने और उसके नौ महीने के स्टडी के बाद इस स्टेज की परीक्षा में बैठा जा सकता है। आईपीसीसी की परीक्षा में कुल सात सबजेक्ट्स के दो ग्रुप्स होते हैं, जिसमें पहले ग्रुप में चार सबजेक्ट्स और दूसरे ग्रुप में तीन सबजेक्ट्स होते हैं।

तीसरा लेवल : यह चार्टर्ड अकाउंटेंसी का फाइनल स्टेज होता है। इस स्टेज में चार:चार विषयों के दो ग्रुप्स होते हैं।
इंस्टिट्यूट आॅफ कॉस्टस अकाउन्टेनट्स (आईसीएआई) : यह एक प्रोफेशनल बॉडी है, जो भारत सरकार के मिनिस्ट्री आॅफ कॉरपोरेट अफेयर्स के अंतर्गत आता है। इस संस्था को विश्व स्तर पर कॉस्ट और मैनेजमेंट अकाउंटेंसी के डोमेन में स्पेशलाइजेशन प्राप्त है और जिसका लक्ष्य कॉस्ट और मैनेजमेंट अकाउंटेंसी में कोचिंग और ट्रेनिंग प्रदान करना होता है। बारहवीं पास स्टूडेंट्स इस इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग पा सकते हैं। स्टूडेंट्स को फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल तीन स्टेज पास करनी होती है। ग्रेजुएट कंडीडेटस को फाउंडेशन कोर्स करने की अनिवार्यता से छूट मिली होती है।

कंपनी सेक्रेटरी

दि इंस्टिट्यूट आॅफ कंपनी सेक्रेटरिज आॅफ इंडिया (आईसीएसआई) एक राष्ट्रीय प्रोफेशनल बॉडी है जो भारत सरकार के मिनिस्ट्री आॅफ कॉरपोरेट अफेयर्स के अंतर्गत कार्य करती है। यह संस्था कंपनी सेक्रेटरी के प्रोफेशन को डेवलप करने और उसे रेगुलट करने का कार्य करती है। एक कंपनी सेक्रेटरी लेबर लॉ, कारपोरेट लॉ, एनवायरनमेंट लॉ, सिक्युरोटी लॉ सहित अन्य विभिन्न प्रकार के कानूनों के एक्सपर्ट होते हैं, जो कंपनियों के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स के चीफ एडवाइजर के रूप में कार्य करते हैं। यह कॉरपोरेट सेक्टर के बेहतर मैनेजमेंट के लिए कार्य करती है।

जिन कंपनियों के पैड-अप शेयर कैपिटल 5 करोड़ से अधिक या भारत सरकार के द्वारा निर्धारित कैपिटल से अधिक होती है, उन्हें अनिवार्य रूप से एक फुुलटाइम कंपनी सेक्रेटरी अपॉइन्ट करना होता है। आईसीएसआई से प्रोफेशनल टेÑनिंग पूर्ण किए प्रोफेशनल जिन्होंने प्रैक्टिस सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है, वे फ्रीलांस कंपनी सेक्रेटरी के रूप में भी अपने कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं।

कंपनी सेक्रेटरी कोर्स को फाउंडेशन प्रोग्राम, इग्जीक्यूटिव प्रोग्राम और प्रोफेशनल प्रोग्राम के तीन चरणों में कंडक्ट किया जाता है। फाउंडेशन प्रोग्राम के लिए बारहवीं पास स्टूडेंट्स एलिजबल होते हैं। फाउंडेशन प्रोग्राम पूर्ण करने के बाद किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स एग्जिटीव प्रोग्राम के लिए एलिजबल होते हैं। अंतिम स्टेज प्रोफेशनल प्रोग्राम का होता है।

कॉमर्स की स्टडी के लिए प्रमुख संस्थान

-श्री राम कॉलेज आॅफ कॉमर्स, दिल्ली
– लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वीमेन दिल्ली
-हिंदू कॉलेज, दिल्ली
-लॉयला कॉलेज, चेन्नई
-क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर
-हंसराज कॉलेज, दिल्ली
-रामजस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
-नरसी मोनजी कॉलेज आॅफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई

जॉब्स और कॅरियर के ऐवन्यू कहां हैं
कॉमर्स में प्रोफेशनल डिग्री लेने वालों के लिए जॉब्स की कोई कमी नहीं है। कॉमर्स के प्रोफेशनल्स के लिए मुख्य रूप से निम्न डोमेंस में जॉब्स और कॅरियर के अवसर उपलब्ध होते हैं-

चार्टर्ड अकाउंटेंसी, इनवेस्टमेंट बैंकिंग, कॉस्ट अकाउंटेंसी, ऐक्चूएरी, फाइनेंशल प्लानिंग, बैंक, कंपनी सेक्रेटरी, इंश्योरेन्स सेक्टर, स्टॉक मार्केट, मैनेजमेंट अकाउंटिंग, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, पत्रकारिता, अध्यापन, आईएएस और अन्य सर्विसेज।
-श्रीप्रकाश शर्मा


janwani address 9

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments