Wednesday, December 4, 2024
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आसान नहीं नलकूपों को फ्री बिजली देने की डगर

  • उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के स्तर टैरिफ के संबंध में निर्णय लेने के बाद लागू हो पाएगी नई व्यवस्था
  • विभाग से भेजे जाने लगे अप्रैल माह के बिल, किसान जमा न कराने पर अड़े

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: घोषणाओं से लेकर उनको अमलीजामा पहनाने तक कितने पथरीले रास्तों का सफर तय करना होता है, इसकी मिसाल प्रदेश सरकार की एक अप्रैल से किसानों को नलकूपों के लिए फ्री बिजली दिए जाने की घोषणा से मिल रही है। जिस योजना की तैयारी कई माह पहले पूर्ण कर ली जानी चाहिए थी,

उसके संबंध में कोई भी अधिकारी आज की तारीख में ठीक-ठीक बता पाने की स्थिति में नहीं है। वहीं सूत्रों ने जानकारी दी है कि यह प्रकरण उप्र विद्युत नियामक आयोग के पास भेजा गया है। आयोग के स्तर से टैरिफ के संबंध में निर्णय लिए जाने के बाद ही ऊर्जा निगम की ओर से कार्यवाही शुरू की जा सकेगी। इस दौरान किसानों को बिल भी भेजे जा रहे हैं, जबकि किसान बिल जमा न कराने की बात पर अड़े हुए हैं।

पश्चिमांचल के 14 जिलों में इस समय 5.65 लाख निजी नलकूपों के कनेक्शन बताए गए हैं। जिनमें से अभी तक 50 प्रतिशत से अधिक बिल बकाया हैं। वहीं ऊर्जा निगम का जोर इस बात पर रहा कि बिजली की खपत का सही रिकॉर्ड रखने के लिए नलकूपों पर मीटर लगाए जाएं। कई महीने की जद्दोजहद और विरोध-प्रतिरोध के बीच विभाग को इसमें 40.71 प्रतिशत नलकूपों पर मीटर लगाने में कामयाबी भी मिल चुकी है।

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विभागीय अधिकारियों की जानकारी के अनुसार 5.65 लाख में से 2.30 लाख नलकूपों पर मीटर लगाने का काम हो चुका है। जबकि शेष 3.35 लाख यानि 59.29 प्रतिशत नलकूपों पर 15 जून तक मीटरिंग का काम पूर्ण करने के आदेश लखनऊ स्तर से मिले हैं। सबसे खराब स्थिति मेरठ और बागपत जिलों में है, जहां नलकूपों के कुल कनेक्शनों की संख्या करीब 76 हजार बताई है।

इन नलकूपों पर मीटर लगाने का काम सबसे धीमा रहा है। जहां पश्चिमांचल में नलकूपों पर मीटटर लगाने का कुल औसत 40 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली जैसे भाकियू के प्रभाव वाले जिलों में यह औसत अभी 20 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच सका है। इस बारे में मुख्यालय स्तर से वीसी के माध्यम से अपडेट लेते हुए ऐसे अधिशासी अभियंताओं को हिदायत जारी की गई है,

जहां मीटरिंग का काम धीमा रहा है। अधिकारियों की ओर से तर्क दिया जाता है कि नलकूपों के माध्यम से खर्च होने वाली बिजली की स्थिति का सही आकलन जरूरी है। जिसके आधार पर राज्य सरकार से निगम को सब्सिडी की राशि मिल सके। मौजूदा स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों को दी जाने वाली बिजली में विभाग को कितना खर्च करना पड़ रहा है।

चुनाव में की गई थी किसानों को फ्री बिजली की घोषणा

योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल को लेकर चुनाव के दौरान किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा जोर-शोर से किया था, लेकिन एक साल से ज्यादा की अवधि बीत जाने के बावजूद इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने की राह में कई अड़चनें आ रही हैं। इस बीच किसानों को अप्रैल माह के बिल भी भेजे जा रहे हैं,

लेकिन किसान इन बिलों को जमा न करने पर अड़े हुए हैं। यहां तक कि मार्च माह से पहले बिल भी काफी संख्या में बकाया चले आ रहे हैं। जिनक बारे में किसानों की प्रमुख मांग यही है कि मार्च महीने में दी जाने वाली छूट का लाभ देकर बिल जमा करा लिए जाएं।

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