वैज्ञानिक दुनिया भर में गायब हो रहे कीटों की घटना को ‘इन्सेक्ट एपोकैलिप्स’ कहते हैं। इंसानी गतिविधियों से पृथ्वी लगातार बदल रही है, जिसके परिणामस्वरूप धरती पर से कीट हर साल 2 फीसदी की अभूतपूर्व दर से गायब हो रहे हैं। जंगलों की कटाई कीटनाशकों का इस्तेमाल, कृत्रिम रोशनी, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के बीच ये कीट जीवन के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं। इनके साथ ही वो सारी फसलें, फूल और दूसरे जानवर भी अस्तित्व का संकट देख रहे हैं, जिन पर इन कीटों का जीवन निर्भर है। कीट वह भोजन है, जिससे सारी चिड़िया बनती हैं, सारी मछलियां बनती हैं, यह वे तंतु हैं जो पूरी पृथ्वी पर ताजे पानी और धरती के पूरे इकोसिस्टम को जोड़े रखते हैं।
यह कहना बहुत आसान है कि कीट आराम से जी रहे हैं। आखिर वे हर जगह नजर आते हैं, कभी वर्षावनों में रेंगते, तो कहीं मिट्टी खोदते, ताजे पानी के तालाबों में तैरते और कभी निश्चित रूप से हवा में उड़ते हुए भी। जीव विज्ञान के अंतर्गत कीट आर्थोपॉड फाइलम या शाखा के अंतर्गत आते हैं।
जीव समुदाय में ऐसी कुल 40 शाखाएं हैं। विविधता के मामलों में कीटों की कोई बराबरी नहीं कर सकता। अब तक पहचाने गए 15 लाख से ज्यादा कीट पृथ्वी पर पाये जाने वाले कुल कीटों के दो तिहाई हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अभी 10 लाख से ज्यादा कीटों की पहचान होनी बाकी है। धरती पर मौजूद दूसरे जीवों से इनकी तुलना करें तो कशेरुकी यानी रीढ़ की हड्डी वाले जीवों की संख्या महज 73000 है। इसी में इंसान से लेकर चिड़िया जानवर और मछलियां आ जाते हैं।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के मुताबिक यह जीव समुदाय का महज पांच फीसदी है। ऐसे में वातावरण के लिए उनके महत्व को कम करके नहीं देखा जा सकता। कीट भोजन चक्र में अहम भूमिका निभाते हैं, वे चिड़ियों सरीसृपों और चमगादड़ जैसे स्तनधारियों का मुख्य भोजन हैं।
कुछ जीवों के लिए तो कीट किसी दावत से कम नहीं। शाकाहारी जीव ओरांगटाउन को दीमकों को खाने में बहुत मजा आता है। इंसान के भोजन में भी 200 से ज्यादा कीट शामिल हैं। हालाँकि कीट भोजन से ज्यादा भी बहुत कुछ हैं। किसान इन कीटों पर अपनी फसलों के परागण और मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए निर्भर हैं। कीट दुनिया भर की फसलों के 75 फीसदी से ज्यादा का परागण करते हैं, और इस सेवा की कीमत दुनिया भर के लिए हर साल 577 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। अमेरिका में हर साल कीटों के सेवा की कीमत वर्ष 2006 में 57 अरब डॉलर आंकी गयी थी। अमेरिका के मवेशी उद्योग में केवल गुबरैले ही हर साल 38 करोड़ डॉलर के कीमत की सेवा मुहैया कराते हैं।
यह काम खाद को तोड़ने और उन्हें मिट्टी में मिलाने का है। ज्ञात हो कि कीटों के घटने से हमारे पास भोजन कम होगा, हम सारी फसलों के उपज में भी कमी देखेंगे। प्रकृति में 80 फीसदी से ज्यादा जंगली पौधे परागण के लिए कीटों पर निर्भर हैं। ऐसे में धरती पर इनकी उपयोगिता को चुनौती नहीं दी जा सकती। फरवरी 2020 में बायोलॉजिकल कंजरवेशन जर्नल की एक रिसर्च के मुताबिक पिछले 150 सालों में सभी कीटों की 5 से 10 फीसदी यानी 2,50000 से 5,00000 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। कीटों का खत्म होना लगातार जारी है। वैज्ञानिकों के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि फिलहाल कितने कीट बचे हैं।
ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में कीटों की पहचान बहुत मुश्किल है, क्यूंकि हम वहां जितना जानते हैं उससे बहुत ज्यादा प्रजातियां वहां मौजूद हैं। उत्तर पश्चिमी कोस्टारिका में 100 किलोमीटर के नेशनल पार्क में जितनी प्रजातियां हैं, उतनी पूरे यूरोप में नहीं हैं। जिसके कारण उनकी समस्या का पता लगाना बेहद मुश्किल काम होता जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी हर दशक में 9 फीसदी कीटों की आबादी खो रही है। यह संख्या कितनी ज्यादा है इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि इंसान की आबादी हर साल महज एक फीसदी की दर से बढ़ रही है, अगर हर साल एक फीसदी भी खत्म हो रहे हैं तो 40 सालों में करीब एक तिहाई प्रजातियां और एक तिहाई कीट खत्म हो जाएंगे।
यानी पूरे जीवन वृक्ष का एक तिहाई खत्म हो जाएगा। कीटों के खत्म होने के पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं। कीटों की आबादी एक साथ कई तरह के खतरे झेल रही है। इनमे आवास का खत्म होना, औद्योगिक खेती से लेकर जलवायु परिवर्तन तक शामिल हैं। सीवेज और उर्वरकों के कारण नाइट्रोजन की अधिकता ने नम जमीनों को डेड जोन में बदल दिया है। कृत्रिम रोशनी रात के आकाश को दूधिया कर दे रही है, और शहरी क्षेत्रों के विकास के साथ कॉन्क्रीट का जंगल बढ़ता जा रहा है। ये सब कीटों के दुश्मन हैं। बाहरी पौधों का आना नए वातावरण पर गहरे असर डालता है और कीटों को नुकसान पहुंचता है।
बहुत से कीट किसी खास पौधों से अपना भोजन हासिल करते हैं, और जब उन्हें वह पौधा नहीं मिलता तो फिर उनका अस्तित्व संकट में घिर जाता है। कीटों के खत्म होने से उन्हें खा कर जीने वाले शिकारी भी खत्म होते जा रहे हैं। अमेरिका में गाने वाली चिड़िया अपने बच्चों को कीट खिला कर पालती है वर्ष 1970 के बाद से अमेरिका और कनाडा में इन चिड़ियों की संख्या 29 फीसदी कम हो गयी है। इसका मतलब है कि लगभग 2.9 अरब पक्षी खत्म हो गए हैं। कुल मिलकर स्थिति बहुत डरावनी है, लेकिन फिर भी कुछ कीट ऐसे हैं जो खूब फलफूल रहे हैं।
आमतौर पर पीड़क कीट फलफूल रहे हैं, क्यूंकि ये वो कीट हैं जो तेजी से प्रजनन करते हैं और इंसानी वातावरण इन्हें भाता है। ये कीट इंसानों द्वारा पैदा किये गए कचरे में अंडे देता है। कुछ शोधों में पाया गया है कि कीटनाशकों के इस्तेमाल को कई और पक्षियों की संख्या में कमी का कारण बताया गया है। कीटों के खत्म होने के साथ हम जीवन वृक्ष के अंगों को खो रहे हैं।
ऋषभ मिश्रा