- निजी कंपनी से करार के बाद भी शहर के अधिकांश इलाकों में लापरवाही का अंधेरा
- वार्डों में लाइट नहीं लगने से पार्षद कंपनी अनुबंध के खिलाफ लामबंद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्मार्ट सिटी बनने का सपना संजोने वाला मेरठ शहर रोशनी को तरस रहा है। यह हाल महानगर का तब है। जब शहर से अंधेरे को छांटने के लिए बकायदा एक प्राइवेट कंपनी को नगर निगम द्वारा ठेका दिया गया है। मगर पथ की प्रकाश व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। प्राइवेट कंपनी से करार के बाद भी शहर में लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं होने से निगम बोर्ड के सदस्य नाराज हैं।
सदस्यों का आरोप है कि वार्डों में पुरानी लाइट न बदले जाने से अधिकांश इलाकों में अंधेरा पसरा है। हालत यह है कि लंबी समय से बंद पड़ी लाइटों को बदला नहीं गया है और जो लाइटें जल रही हैं उनके दिन में बंद करने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। बता दें कि नगर निगम ने ईईएसएल नाम की निजी कंपनी से अनुबंध कर रखा है।
आगामी पांच जनवरी को होने वाली नगर निगम की बोर्ड बैठक के एजेंडे में भी कंपनी से करार पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया है। एजेंडे में बताया गया है कि कार्यकारिणी समिति ने शहर की स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था को खराब कहते हुए अनुबंध के अनुसार कार्य नहीं होना बताया है।
हालांकि कंपनी से करार बना रहेगा या नहीं इस पर सदन में निर्णय लिया जाएगा। वहीं, इस संबंध में मार्ग प्रकाश प्रभारी राजेश चौहान का कहना है कि मार्ग प्रकाश में सुधार की प्रक्रिया जारी है। शहर में महज तीन हजार पुरानी लाइटें बदली जानी बाकी रह गई हैं। एक सप्ताह में कार्य पूरा कर महानगर को सोडियम मुक्त कर दिया जाएगा। मेरठ अब एलईडी की रोशनी में नहाएगा।
कंपनी अनुबंध के खिलाफ पार्षदों की लामबंदी
शहर में प्रकाश की व्यवस्था बेहतर नहीं होने पर पार्षद कंपनी अनुबंध के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। वार्ड-73 के अब्दुल गफ्फार का कहना है कि शहर में मार्ग प्रकाश व्यवस्था पर सही काम नहीं हो रहा है। बैठक में कंपनी का ठेका निरस्त किए जाने की मांग उठाई जाएगी। वहीं कंपनी पर अनुबंध के मुताबिक कार्य नहीं करने पर जुर्माना लगाने की मांग रखी जाएगी।
वार्ड-83 के कय्यूम अंसारी कहते हैं कि रोशनी में सुधार के लिए निजी कंपनी कोई काम नहीं कर रही है। खंभे खाली पड़े हैं, मगर उन पर लाइट नहीं लगाई जा रही है। वहीं, वार्ड-66 की पार्षद सलमा मलिक बताती हैं कि खराब लाइटों की शिकायत के बाद भी उनको बदलने का कार्य नहीं किया गया है। हापुड़ अड्डे से इंद्रा चौक तक की लाइटें बंद है, मगर कोई सुध नहीं ली जा रही है।
ये हैं अनुबंध की शर्तें
नगर निगम ने कंपनी से अनुबंध में तय किया था कि स्ट्रीट लाइट का सेटअप लगाना होगा और सीसीएमएस यानी लाइट जलाने और बंद करने का सर्किट स्थापित करना होगा। मगर दोनों ही शर्तों को कंपनी की ओर से अभी पूरा नहीं किया गया है।