Friday, March 29, 2024
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लिंकन और किताब

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ब्राहम लिंकन बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे। वे पढ़ने का बहुत शौक रखते थे, लेकिन उनके पिता जी बहुत गरीब थे जिस वजह से अब्राहम लिंकन के पास किताबें खरीदने के लिए अधिक पैसे नहीं हुआ करते थे। बालक लिंकन अन्य सहपाठियों और मित्रों से पुस्तकें मांग-मांग कर पढ़ा करते थे।

एक बार अब्राहम लिंकन को पता चला कि उनके शिक्षक एंड्रू क्राफर्ड के पास जॉर्ज वॉशिंगटन की जीवनी है, जिसको पढ़ने के लिए उन्होंने अपने शिक्षक से काफी मन्नत की तो उनके शिक्षक ने वह पुस्तक अब्राहम को पढ़ने के लिए दे दी।

लेकिन एक बार अचानक किताब पढ़ते पढ़ते अब्राहम की आंख लग गई तथा रात को आयी बारिश की बोछारों से वह पुस्तक भीग गई। जब अब्राहम दु:खी मन से वह किताब लेकर अपने शिक्षक के पास पहुंचे तो उन्होंने अब्राहम को बहुत फटकार लगाई और उन्होंने उससे कहा कि उसने उनकी पुस्तक खराब कर दी है।

अब या तो वे इसके पैसे भरो या उनके खेत में तीन दिन तक काम करो, तभी यह किताब उसकी हो पाएगी। परन्तु अब्राहम के पास शिक्षक को देने के लिए पैसे नहीं थे। फलस्वरूप अब्राहम ने उनके खेत में लगन से तीन दिन तक काम किया और उस पुस्तक को पा ही लिया। पुस्तक को पाकर बालक लिंकन बहुत खुश हुए।

पुस्तक पढ़कर पूरी होते ही जॉर्ज वॉशिंगटन उनके आदर्श बन गए। अब अब्राहम लिंकन ने ठान लिया कि वह भी जॉर्ज वॉशिंगटन की तरह बनेंगे। आगे चलकर वह अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने।
                                                                                                    -सतप्रकाश सनोठिया

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