Saturday, June 10, 2023
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HomeUttar Pradesh NewsMeerutबेहद शुभ संयोग में पधारेंगी मां दुर्गा

बेहद शुभ संयोग में पधारेंगी मां दुर्गा

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  • आज से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र, चलेंगे 30 मार्च तक

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। साल भर में कुल चार नवरात्रि आते हैं जिसमें से शारदीय और चैत्र नवरात्रि का खास महत्व होता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 22 मार्च यानि आज से शुरू हो रहे हैं जो 30 मार्च तक चलेंगे। चैत्र नवरात्रि शुरू होने से साथ ही नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत भी शुरू हो जाता है।

नवरात्रि पर देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नौ दिनों तक लगातार देवी शक्ति की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के साथ नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि पर शुभ योग बन रहा है।

चैत्र नवरात्रि शुभ तिथि और मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि पर 9 दिनों के लिए मां दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर वास करती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरूआत 21 मार्च को सुबह 10 बजकर 52 मिनट से हो चुकी है

और समापन 22 मार्च की रात्रि को 8 बजकर 20 मिनट होगा। उदय तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होगी और कलश स्थापना की जाएगी।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार 22 मार्च को चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर 7 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि पर प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ 9 दिनों तक देवी आराधना का महापर्व शुरू हो जाएगा।

शुभ योग में चैत्र नवरात्रि

इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ योग में शुरू होने वाला है। चैत्र नवरात्रि पर बेहद ही दुर्लभ योग बन रहा है। इस बार चैत्र नवरात्रि के शुरू होने पर शुक्ल और ब्रह्म योग का शुभ संयोग बन रहा है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी यानी प्रतिपदा तिथि पर ब्रह्म योग सुबह 9 बजकर 18 मिनट से शुरू हो जाएगा जो कि 23 मार्च को तक रहेगा। वह दूसरा शुभ योग शुक्ल योग का निर्माण 21 मार्च को सुबह 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 22 मार्च तक रहेगा।

चैत्र नवरात्रि पूजा विधि

नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा स्थल की साफ-सफाई करके कलश स्थापना करें। इस बात का खास ध्यान दें कि कलश स्थापना के समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होने चाहिए। साथ कलश को ईशान कोण में रखें।

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