- नौचंदी मेला संपन्न हुए चंद दिन हुए सही मायनों में कुछ दुकानें भी अभी हटी नहीं, बदहाली चरम पर
- ग्रीन बेल्ट में लगे पेड़ सूखने लगे, फब्बारा भी हटा, सड़कें भी टूटने लगी, मैदान में पसरी कीचड़, जलभराव
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नौचंदी मेला को संपन्न हुए चंद दिन हुए हैं, सही मायनों में अभी तक पूरी तरह से झूले व दुकानें भी नहीं हट सकी हैं, लेकिन निगम ने मेला परिसर के ग्राउंड को फिर से कूड़ा डंपिंग ग्राउंड बना दिया है। लाखों रुपये की कीमत से जो सड़कें बनी थी, वह कूडेÞ से लदे भारी वाहनों के चलते टूटने लगी हैं। ग्रीन बेल्ट में लगे पेड़ सूखने लगे हैं, परिसर में चारों तरफ गंदगी परसरने लगी है। नगर निगम मेला समिति के द्वारा दिए गए सुझाव पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
मेला परिसर में फिर से चारों तरफ बदहाली चरम पर पहुंच गई हैं। निगम प्रतिवर्ष नौचंदी मेला आरंभ होने से पूर्व करोड़ों रुपये खर्च करता हैं, लेकिन मेला संपन्न होने के बाद वह उसके रखरखाव को पूरी तरह से भूल जाता है। चर्चा यह भी रहती है कि यदि रखरखाव कराया गया तो फिर आगामी वर्षों में खर्च के नाम पर बजट कैसे पास कराया जायेगा, तब सबकुछ ठीक मिलेगा।
नौचंदी मेले को भले ही सरकार के द्वारा प्रांतीय मेला घोषित कर दिया गया हो, लेकिन उस तरह की व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं मेले में नजर नहीं आती। इस बार मेला समिति के द्वारा मेला शुरू होने से पूर्व निगम के सभागार में आयोजित बैठक में अपर नगरायुक्त ममता मालवीय, अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार समेत तमाम आलाधिकारियों से मेले में अतिथियों का सम्मान एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ ही मेला संपन्न होने के बाद पटेल मंड़प एवं मेला परिसर के रखरखाव सही तरह से कराए जाने की बात कही थी।
न ही तो इस बार मेले में भ्रष्टाचार ही कम हो सका, आए दिन मेले में निर्माण में घोटाला, उसके बाद दुकान आवंटन में भ्रष्टाचार, उसके बाद झूले के टिकट में ओवररेट को लेकर हंगामा। यहां तक कि बिजली ठेकेदार के लोगों ने दुकानदारों के साथ मारपीट तक की मामला थाने तक जा पहुंचा। साथ ही मेला समिति के द्वारा मेला संपन्न होने के बाद जो मेले में सहयोग करते हैं। उनके सम्मान में कार्यक्रम कर प्रतीक चिह्न आदि देकर सम्मानित किया जाये, लेकिन इस बार समापन पर प्रतीक चिंह आदि देकर किसी को सम्मानित भी नहीं किया गया।
सबसे आखिरी सुझाव मेला समिति के द्वारा दिया गया था कि मेला संपन्न होने के बाद पटेल मंडप व मेला परिसर का रखरखाव अच्छे से कराया जाये, ताकि आगामी वर्षों में निगम का बजट कम खर्च हो सके। साथ ही दस महीने के लिए पटेल मंडप एवं परिसर को लीज पर भी देने का सुझाव दिया गया था, लेकिन निगम ने अभी तक उस पर भी ध्यान नहीं दिया। बल्कि मेला परिसर को फिर से कूड़ा निस्तारण डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। उधर, ग्रीन बेल्ट में पेड़ रखरखाव के अभाव में सूखने लगी हैं। परिसर में बदहाली चरम पर पहुंच गई हैं।
मेला समिति के सुझावोें पर भी ध्यान दें निगम
नगर निगम एवं जिला पंचायत दोनो ही संयुक्त रूप से मिलकर इस तरह की व्यवस्था बनाएं, ताकि नौचंदी परिसर एवं पटेल मंड़प का रखरखाव भी अच्छे से हो और कुछ आर्थिक लाभ भी हो। जिसमें नगर निगम व जिला पंचायत के बजट की जगह-जो 10 महीने के लिए लीज पर दी गई इस भूमि से जो रेवेन्यू प्राप्त होगा। उससे ही नौचंदी मेले के दौरान साज सज्जा हो सकेगी। साथ ही रखरखाव अच्छा होगा तो आगामी वर्ष में बजट भी कम खर्च होगा। -नरेंद्र राष्टÑवादी सदस्य मेला समिति
दिल्ली में प्रगति मैदान की तर्ज पर नौचंदी मेले में हॉट मेले का आयोजन हो। इस संबंध में डीएम दीपक मीणा से बात की जायेगी। ताकि नौचंदी मेले परिसर एवं पटेल मंडप में दस महीने बदहाली की जगह रौनक बनी रहे। जल्द ही मेला समिति के सदस्यों से बातचीत कर अधिकारियों को इस मुद्दे पर फिर से अवगत कराया जायेगा। -ठा. प्रीतीश सिंह सदस्य मेला समिति
नौचंदी ग्राउंड विवादित लैंड है, कोई कहता है, नगर निगम की कोई कहता है, जिला पंचायत की। मेला प्रांतीय घोषित हो गया। डीएम के निर्देश पर लगता है, एक बार जिला पंचायत एवं बार नगर निगम, डीएम चाहें तो पटेल मंडप है, कोई कार्यक्रम, रेट पर दिया जाये। 10 माह का कांट्रेक्ट दिया जाये। दुकाने हैं, साप्ताहिक बाजार में तब्दील किया जा सकता। उन्हीं पैसे से रखरखाव होगा, दुकानों की रंगाई पुताई। बजट कम आमदनी बढ़ी। -सरबजीत कपूर, सदस्य मेला समिति
नगर निगम को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। खासकर पटेल मंडप की ओर, क्योंकि पटेल मंडप से आमदनी बढ़ेगी और जगह सुरक्षित भी होगी। जिसमें विवाह मंडप, मीटिंग हॉल के रूप में उसको रखा जा सकता है। सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों को करा सकते हैं। जबकि किसी बड़ी कंपनी को दे देता। -अंकुर गोयल सदस्य मेला समिति