Friday, April 19, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerut48 साल का किला ध्वस्त, अब विधान परिषद से शिक्षक नदारद

48 साल का किला ध्वस्त, अब विधान परिषद से शिक्षक नदारद

- Advertisement -
  • पांच दशक से लोगों की जुबान पर ओम प्रकाश शर्मा का नाम रटा हुआ था
  • राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ने में नाकामयाब रहे बुजुर्ग शिक्षक नेता

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कहते हैं रिकार्ड टूटने के लिये बनते हैं और कई बार रिकार्ड जानबूझ कर तोड़े जाते हैं। माध्यमिक शिक्षा में जो लोग जरा भी शिक्षक राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं। उनको प्रदेश में ओम प्रकाश शर्मा का नाम जरुर मालूम होगा। इसके पीछ खास वजहें भी है और एक योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया चक्रव्यूह भी।

आठ बार शिक्षक एमएलसी रह चुके माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रत्याशी ओम प्रकाश शर्मा को उम्मीद भी नहीं कि उनको इस बार एक संगठित पार्टी से टक्कर लेनी है। 50 साल से सक्रिय शिक्षक राजनीति में मजबूत स्तंभ माने जाने वाले इस बुजुर्ग की हार को लेकर लोग चकित भी हैं।

ओम प्रकाश शर्मा की इस हार से विधानसभा में शिक्षक दल का दबदबा खत्म हो गया। इनकी करारी हार ने साबित कर दिया कि शिक्षकों का राजनीतिक दलों के साथ तालमेल बैठाना कई बार घातक सिद्ध हो जाता है। पहली बार विधान परिषद में शिक्षक दल का न होना एक नये समीकरण को जन्म देगा।

दरअसल, इस बार भाजपा ने ओम प्रकाश शर्मा को घेरने के लिये योजनाबद्ध तरीके से काम किया। इस सीट के लिये 30 प्रत्याशी मैदान में उतरे उनमें कई ऐसे भी थे जिनको भाजपा का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन था ताकि वो विरोधी वोटों को काट सके। कांग्रेस और सपा प्रत्याशी ने कालेजों में जाकर शिक्षकों से संपर्क करने के हवाई किले सोशल मीडिया पर बनाने शुरू कर दिये थे।

जबकि भाजपा की तरफ से क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर नौ जनपदों के संगठन ने अपने अपने इलाकों के कालेजों के प्रबंधकों से संपर्क कर न केवल शिक्षकों की संख्या मालूम की बल्कि उनके वोट भी बनवाये। हालांकि शिक्षक खंड के चुनाव में धांधली के आरोप भी लगाए गए, लेकिन उन आरोपों में हवा न होने के कारण कहीं सुनवाई भी नहीं हुई।

इस हार से जहां शिक्षकों का प्रतिनिधत्व कम हो गया बल्कि एक सकारात्मक बात ये मानी जा रही है कि जिस तरह से शिक्षा नीति को लेकर शिक्षकों में नाराजगी जताई जा रही थी उससे श्रीचंद शर्मा की जीत शिक्षकों में एक संदेश देगी क्योंकि ओम प्रकाश शर्मा लगातार शिक्षा नीति की आलोचना करते आ रहे हैं। श्रीचंद शर्मा की जीत यह भी साबित कर रही है कि सरकार की शिक्षा नीति से शिक्षकों में नाराजगी नहीं है और इसी कारण से ओम प्रकाश शर्मा को करारी शिकस्त मिली है।

मुझे सरकार ने हराया, शिक्षकों की सेवा करुंगा: ओम प्रकाश

माध्यमिक शिक्षक संघ के पुरोधा ओम प्रकाश शर्मा भले जिंदगी में पहली बार हार गए हो, लेकिन उनके संकल्पों को यह हार डिगाने वाली नहीं है। हार के बाद बुजुर्ग नेता ने कहा कि सरकार ने उनको हराया है और स्थानीय प्रशासन ने इसमें अहम् रोल अदा किया है। इसके बाद भी वो मरते दम तक शिक्षकों की सेवा करते रहेंगे।

विधान परिषद के गठन से जुड़े ओम प्रकाश शर्मा छह मई 1970 को पहली बार शिक्षक एमएलसी चुने गए थे और विधायी परंपरा के वे बहुत बड़े जानकार माने जाते हैं। आठ बार लगातार एमएलसी बनने वाले ओम प्रकाश को गृह जनपद में हार निश्चित रूप से साल रही है। उन्होंने दैनिक जनवाणी से बातचीत में कहा कि उनकी 50 साल की तपस्या को सरकारी मशीनरी ने ध्वस्त कर दिया।

सरकार इस सीट को हासिल करना चाहती थी और उसने स्थानीय प्रशासन के दम पर उनको हरवा दिया। उन्होंने बताया कि वो भले हार गए हैं, लेकिन उनके हौसले बरकरार है। वो शिक्षकों के हितों की बात भले विधान परिषद में अब न उठा पायें, लेकिन सड़कों पर आंदोलन करने से उनको कोई नहीं रोक सकता है। वो हर मंच पर शिक्षकों के मुद्दों को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उनको हार स्वीकार है और श्रीचंद शर्मा की जीत हुई है, लेकिन सच्चाई सभी को पता है।

शिक्षक हित सर्वोपरि, शिक्षा नीति प्रभावशाली: श्रीचंद

पहली बार विधान परिषद में प्रवेश करने वाले गैर शिक्षक नेता श्रीचंद शर्मा का कहना है कि पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण उनकी जीत हुई है। उनके लिये शिक्षकों का हित सर्वोपरि है और वो प्रभावशाली शिक्षा नीति को लागू करवाएंगे। नोएडा के दादरी निवासी श्रीचंद शर्मा कई कालेजों के प्रबंध तंत्र से जुड़े है। भाजपा का दामन थाम कर उन्होंने एक कद्दावर बुजुर्ग नेता ओम प्रकाश शर्मा को करारी शिकस्त दी है।

उन्होंने कहा कि छह साल वो सेवा करेंगें और शिक्षकों की हितों के लिये हर वक्त तैयार रहेंगे। भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष रह चुके श्रीचंद नोएडा के जिलाध्यक्ष, आरएसएस के जिला प्रचार प्रमुख, विहिप के जिलाध्यक्ष के अध्यक्ष रहे हैं और 32 सालों से संघ से जुड़े हैं। अट्टा पारसौल में हुए किसान आंदोलन में अगुवा नेता रहे और जेल भी गए थे।

भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय में जीत के बाद श्रीचंद शर्मा ने कहा कि यह जीत पार्टी के मजबूत संगठन के कारण हुई और कार्यकर्ताओं ने जी जान से काम किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षा नीति प्रभावशाली है और वो इसे लागू करनवाएंगे क्योंकि इसमें छात्रों का भविष्य उज्जवल होगा।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments