नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि दोषों से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत पड़ते है। पहला प्रदोष व्रत चांदनी रात यानि शुक्ल पक्ष को रखा जाता है। वहीं, दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष में रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। यह व्रत रखने से सभी कष्टों का निवारण होता है। मार्च महीने का आखिरी व्रत 19 तारीख को पड़ रहा है।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 19 मार्च 2023 को त्रियोदशी तिथि की शुरुआत सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर हो रही है। वहीं इसका समापन 20 मार्च को 4 बजकर 56 मिनट पर होगा। वहीं 19 मार्च को प्रदोष काल में पूजा का समय 6 बजकर 35 से 8 बजकर 55 मिनट तक है।
पूजन सामग्री
एक जल से भरा हुआ कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।
रवि प्रदोष व्रत पूजा
रवि प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है। सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। संध्या के समय पुनः स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें। गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि पूर्वक पूजन और आरती करें।
प्रदोष व्रत का महत्त्व
प्रदोष व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। सभी दुखों को दूर करके सुख, शांति, समृद्धि प्रदान करते हैं। मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत को करने से दुख, रोग, दोष आदि दूर हो जाते हैं। साथ ही कष्टों से मुक्ति मिलती है।