- विभाग में लंबे समय से जमे लिपिकों को बीआरसी पर भेजने का था आदेश
- अवरोही क्रम का पालन नहीं करने पर जनवाणी ने उठाया था मामला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बेसिक शिक्षा विभाग में लंबे समय से जमे लिपिकों को बीआरसी पर भेजने का आदेश सचिव उप्र बेसिक शिक्षा परिषद् ने 4 जुलाई 2021 को जारी किया था। इस आदेश का लंबे समय से पालन नहीं हुआ था, लेकिन बीएसए मेरठ ने इसपर अमल करते हुए 1 फरवरी को आदेश जारी कर जिला मुख्यालय पर जमे लिपिकों में से 13 लिपिकों को बीआरसी पर भेजने का आदेश जारी किया था।
लेकिन इस आदेश में नियमों को अनदेखा करते हुए तीन वरिष्ठ लिपिकों को शामिल नहीं किया था। जबकि सचिव बेसिक शिक्षा ने अपने आदेश में सभी परिषदीय लिपिकों को अवरोही क्रम में बीआरसी पर भेजने का आदेश दिया था। यह प्रकरण जनवाणी ने शुक्रवार के अंक में प्रमुखता से उठाया जिसके बाद बीएसए ने अपने आदेश को त्रÞुटिपूर्ण बताते हुए वापस ले लिया है। अब अगले आदेश तक पूरानी स्थिति बनी रहेगी।
गौरतलब है जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय में लंबे समय से कई परिषदीय लिपिक अपने प्रभाव की वजह से जमे हुए हैं। इस वजह से ब्लॉक संसाधन केन्द्रों (बीआरसी) पर स्टाफ की कमी से सरकारी योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचानें में परेशानी हो रही है। साथ ही बीआरसी क्षेत्र में आनें वाले विद्यालयों के शिक्षकों की समस्याओं का समाधान भी समय पर नहीं हो पाता है।
जबकि अपनी शिकायते व आवेदन लेकर यह शिक्षक जिला मुख्यालय के चक्कर लगाते रहते है। इससे न सिर्फ विद्यालयों में पढ़नें वाले छात्रों की शिक्षा प्रभावित होती है बल्कि शिक्षकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से सचिव बेसिक शिक्षा ने सभी परिषदीय लिपिकों को बीआरसी पर भेजने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इन्हें लागू करने में कोई चूक हो गई जिसे अब सुधारा जाएगा।
जिला मुख्यालय के एक वरिष्ठ लिपिक पर है गंभीर आरोप
जिला मुख्यालय पर तैनात वरिष्ठ सहायक पर लंबे समय से गंभीर आरोप लगते रहें है। निलंबन बहाली के खेल से लेकर सालों से बच्चों को शिक्षा नहीं देने वाले शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने जैसे आरोप शामिल हैं। यह वरिष्ठ सहायक दो बार निलंबित भी हो चुके है लेकिन विभाग में अपनी ऊंची पहुंच की बात करने वाले इन वरिष्ठ सहासक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
जिस आदेश को बीएसए ने वापस लिया है नियमों के अनुसार इन वरिष्ठ सहायक को भी बीआरसी पर भेजा जाना चाहिए था। लेकिन न जाने किन कारणों से इन्हें इस सूची से बाहर रखा गया। जबकि वरिष्ठता के आधार पर अवरोही क्रम में इनका नाम पहले तीन स्थानों पर रहना चाहिए था।
स्वेच्छा सेवानिवृत्ति की कर चुके है मांग
मिली जानकारी के अनुसार खुद को बीआरसी पर भेजने से बचाने के लिए वरिष्ठ सहायक के इशारे पर ही यह सूची तैयार की गई थी। लेकिन इसमें इन्होंने अपना नाम शामिल नहीं कराया। इससे पहले भी निलंबित होने के बाद यह वरिष्ठ सहायक स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग कर चुके है। हालांकि इसमें इन्होंने स्वास्थ्य का हवाला दिया था, लेकिन जब इन्होंने अपनी स्वेच्छा सेवानिवृत्ति को वापस लिया तो अपने को स्वास्थ्य बताया। सवाल यह कि दो माह में ही यह बिल्कुल स्वस्थ्य हो गए और जिला मुख्यालय का काम करने की स्थिति में आ गए।